डीसी को बालू-पत्थर लदे वाहनों के राज्यसात का अधिकार नहीं, उपायुक्त कोर्ट के निर्णय पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
अब जिलों के उपायुक्त बालू व पत्थर लदे वाहनों का राज्यसात नहीं कर सकेंगे। हाईकोर्ट ने डीसी की इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। दरअसल साहिबगंज उपायुक्त ने 23 मई 23 को एक आदेश निर्गत करते हुए मिर्जाचौकी थाने की पुलिस द्वारा अवैध पत्थर लदे ट्रैक्टर जेएच 16 जी 9781 को राज्यसात करने का आदेश दिया था।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज। अब जिलों के उपायुक्त बालू व पत्थर लदे वाहनों का राज्यसात नहीं कर सकेंगे। हाईकोर्ट ने डीसी की इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। दरअसल, साहिबगंज उपायुक्त ने 23 मई 23 को एक आदेश निर्गत करते हुए मिर्जाचौकी थाने की पुलिस द्वारा अवैध पत्थर लदे ट्रैक्टर जेएच 16 जी 9781 को राज्यसात करने का आदेश दिया था।
उपायुक्त के आदेश को हाई कोर्ट में दी गई थी चुनौती
मो. शाहरूख अंसारी नामक व्यक्ति ने उपायुक्त के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डीसी के आदेश को रद कर दिया।
मो. शाहरूख अंसारी के ट्रैक्टर को 2022 में बिना चालान के स्टोन चिप्स की ढुलाई करते हुए पकड़ा गया था। इस मामले में मिर्जाचौकी थाने में केस भी दर्ज है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई अब संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी के यहां होगी। हाईकोर्ट के इस निर्देश से जिले के कई लोगों को राहत मिली है।
वाहनों के पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई
उपायुक्त कोर्ट में इस तरह के मामलों की सुनवाई बंद कर दी गई है। पिछले साल बिना चालान के पकड़े गए दर्जनों वाहनों को राज्यसात कर दिया गया था।
हाईकोर्ट ने कहा है कि माइनर मिनरल लदे वाहनों के पकड़े जाने पर चालान नहीं दिखाने की स्थिति में चालक को अधिकतम एक साल की सजा व खनिज मूल्य की दोगुनी राशि के बराबर जुर्माना अथवा दोनों एक साथ लगाया जा सकता है। दूसरी बार पकड़े जाने पर इसके अतिरिक्त 50 हजार रुपया जुर्माना तथा तीसरी बार पकड़े जाने पर अतिरिक्त एक लाख रुपया जुर्माना लगाया जाएगा।
अवैध खनन करते पकड़े जाने पर...
कोर्ट ने कहा है कि जांच पदाधिकारी को अवैध परिवहन करते वाहन के पाए जाने पर उसे खनिज सहित जब्त किया जाएगा तथा किसी सरकारी प्रतिष्ठान या थाना में सुरक्षित रखा जाएगा।
जुर्माना वसूलने के बाद सक्षम पदाधिकारी द्वारा उसे इस आशय का शपथ पत्र देने पर खनिज सहित छोड़ा जा सकता है कि न्यायालय द्वारा नोटिस देने पर उन्हें उपस्थित होना होगा। इस कार्रवाई की सूचना भी न्यायिक दंडाधिकारी को दी जाएगी।
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