बांग्लादेशियों की घुसपैठ चिंता का विषय, संसद में गूंजा संताल परगना में घट रहे आदिवासियों की जनसंख्या का मुद्दा
झारखंड के संताल परगना क्षेत्र में तेजी से घट रही आदिवासियों की जनसंख्या का मुद्दा संसद में उठाया गया। पिछले कुछ सालों में यहां जितनी तेजी से आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट आई है उतनी ही तेजी से मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज: संताल परगना इलाके के साहिबगंज व पाकुड़ जिले में आदिवासियों की जनसंख्या में लगातार कमी आने व मुस्लिमों की जनसंख्या में वृद्धि होने का मामला बुधवार को गोड्डा सांसद डा. निशिकांत दुबे ने लोकसभा में उठाया। उन्होंने इस गंभीर समस्या पर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की संख्या तेजी से घटती जा रही है।
आलम ये है कि 1901 में साहिबगंज जिले में आदिवासियों की जनसंख्या 35 प्रतिशत थी, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या मात्र 9 प्रतिशत ही थी। आज आदिवासियों की जनसंख्या महज 24 प्रतिशत रह गई है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों की जनसंख्या 9 से बढ़कर 35 प्रतिशत पहुंच गई है। निशिकांत कहा कि पूरे राज्य की यही स्थिति है। इस वजह से क्षेत्र की डेमोग्राफी भी बदल रही है।
उन्होंने आगे जोड़ा कि आदिवासियों की जनसंख्या में लगातार कमी आने की वजह से ही पूरे देश में लागू होने के बाद भी झारखंड में परिसीमन लागू नहीं हो पाया है। आदिवासियों की जनसंख्या में कमी आने की वजह से उनके लिए आरक्षित लोकसभा की एक व विधानसभा की तीन सीट में कमी आ रही है। ऐसे में सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। मालूम हो कि बुधवार को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से संताल में आदिवासियों की जनसंख्या में कमी आने के मामले को प्रकाशित किया था।
तेजी से बढ़ रहा है महिलाओं और आदिवासियों संग अपराध
हाल के वर्षों में इन इलाकों में महिलाओं और आदिवासियों के प्रति अपराध और शोषण काफी बढ़ा है, जो चिंताजनक है। ईसाई मिशनरियों के बाद आदिवासियों के सामने अब मुस्लिम मतांतरण की भी चुनौती है। हाल ही में तीन आदिवासी किशोरियों के मुस्लिम युवकों द्वारा क्रूरतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया गया था, जिसके बाद इस घटना ने देशभर में खूब तूल पकड़ा, ये तीनों घटनाएं इन्हीं इलाकों में हुई है।
हाल ही में आदिवासी किशोरियों पर हुए अत्याचार
दुमका में इसी वर्ष 23 अगस्त को शाहरुख नाम के एक युवक ने एकतरफा प्रेम में घर में सो रही किशोरी को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया था। जबकि दुमका में ही तीन सितंबर को एक आदिवासी किशोरी की हत्या करने के बाद उसका शव पेड़ से लटका दिया गया। इसमें अरमान नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, ताजा मामला 16 दिसंबर को साहिबगंज के बोरियो का है, जहां आदिम पहाड़िया जनजाति की महिला रूबिका की हत्या कर उसके शव के 40 से अधिक टुकड़े कर दिए गए। आरोप पहली पत्नी के रहते रूबिका से विवाह करने वाले दिलदार अंसारी और उसके पूरे परिवार पर है।
कभी बंगाल का हिस्सा रह चुके इन इलाकों का नहीं हुआ सर्वे
कभी बंगाल का हिस्सा रहे इन इलाकों के अलग होने के बाद भी जमीन का सर्वे नहीं हुआ है। इस कारण घुसपैठिए जमीन पर भी कब्जा जमाए हुए हैं। झारखंड के संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ पुरानी समस्या रही है। संताल परगना प्रमंडल के पांच जिलों दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा और जमतारा का जुड़ाव बंगाल और बांग्लादेश की सीमा से है। इस कारण घुसपैठिये यहां आसानी से पहुंच जाते हैं।
भाजपा के सांसद और विधायक बीच-बीच में यह मुद्दा उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठ से यहां लगातार मुस्लिम आबादी बढ़ रही है और आदिवासियों की आबादी घट रही है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में अपराध भी बढ़े हैं। खासकर लव जेहाद, लड़कियों के साथ दुष्कर्म और क्रूरता से उनकी हत्या कर देने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इन इलाकों में हो रहे जनसांख्यकीय बदलाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को रिपोर्ट भी भेजी जाती रही है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 1994 में साहिबगंज जिले में 17 हजार बांग्लादेशियों की पहचान हुई थी। इनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे, लेकिन इन्हें वापस नहीं भेजा जा सका था। इनकी संख्या में कई गुना वृद्धि हो चुकी है।
प्रतिबंधित संगठनों की सक्रियता बढ़ी
चिंता की बात यह भी है कि इन इलाकों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश, पापुलर फ्रंट आफ इंडिया और अंसार उल बांग्ला जैसे प्रतिबंधित संगठनों की सक्रियता बढ़ रही है। पुलिस जांच में यह बात सामने आई थी कि दुमका में किशोरी को जलाकर मार डालने वाले शाहरुख और उसके दोस्त का संबंध अंसार उल बांग्ला से था।
एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव
झारखंड की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2018 में गृह विभाग ने बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से संताल परगना क्षेत्र में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव का हवाला देते हुए पूरे राज्य में एनआरसी लागू कराने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी सोमवार को विधानसभा में यह मांग दोहराई है। दूसरी ओर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने भी लोकसभा में यह मामला उठाया है।
लगातार कम हो रही आदिवासियों की संख्या
साहिबगंज में पिछले 50 वर्षों में आदिवासी घटे हैं तो मुस्लिम आबादी करीब दोगुनी हो गई है। इसी तरह पाकुड़ में 2001 में मुस्लिम आबादी 33.11 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़कर 35.87 प्रतिशत हो गई। गोड्डा में भी मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ने की बात सांसद निशिकांत दुबे संसद में कह चुके हैं। उनके अनुसार पाकुड़ मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है, जो 20 साल पहले 30 प्रतिशत थी।
बांग्लादेशी घुसपैठी बनवा चुके हैं भारतीय कागजात
झारखंड के इस इलाके में लंबे समय से बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ी समस्या रही है। लेकिन अब इनकी पहचान कर पाना और भी मुश्किल हो गया है क्योंकि ये
मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस समेत तमाम कागजात बनवा चुके हैं।