Move to Jagran APP

युवा लेखक नवीन चौधरी की नई किताब 'ढाई चाल' का विमोचन... कहा- 'छात्र राजनीति में हमारी संवेदनाओं के साथ ही तो सारा खेल हो रहा है'

New Book Dhai Chaal युवा लेखक नवीन चौधरी की नई किताब ढाई चाल का विमोचन झारखंड की राजधानी रांची के होटल बीएनआर में किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज की छात्र राजनीति में हमारी संवेदनाओं और इमोशन के साथ ही तो सारा खेल हो रहा है।

By Sanjay KumarEdited By: Mon, 11 Jul 2022 10:34 AM (IST)
युवा लेखक नवीन चौधरी की नई किताब 'ढाई चाल' का विमोचन... कहा- 'छात्र राजनीति में हमारी संवेदनाओं के साथ ही तो सारा खेल हो रहा है'
New Book Dhai Chaal: युवा लेखक नवीन चौधरी की नई किताब 'ढाई चाल' का विमोचन।

रांची, [कुमार गौरव]। New Book Dhai Chaal मौका था युवा लेखक नवीन चौधरी की नई किताब 'ढाई चाल' के विमोचन का...। रांची शहर के अधिकांश साहित्यकारों, लेखकों व कवियों ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। हजारा में बिछी राजनीतिक बिसात, रिश्ते बन गए मोहरे और दांव पर लगी इंसानियत को आधार बनाकर लिखी गई इस किताब की मौजूद लोगों ने न सिर्फ सराहना की बल्कि युवा लेखक नवीन चौधरी से रुबरु होकर वर्तमान समय में छात्रों के राजनीतिक जीवन और उनकी सहभागिता पर चर्चा की।

शहर के साहित्यकारों और लेखकों को संबोधित करते युवा लेखक नवीन चौधरी।

मंच संभाल रही पूनम आनंद ने सबका स्वागत करते हुए युवा लेखक का परिचय कराया। जबकि डा सीमा सिन्हा ने आए सभी लोगों का धन्यवाद किया। मौके पर नवीन चौधरी ने अपनी नई किताब ढाई चाल और आगामी दिनों आने वाली किताबों पर भी खुलकर बातें कीं।

आयोजित कार्यक्रम में शामिल साहित्यकार।

उन्हाेंने बताया कि किस तरह छात्र आंदोलन बदलते जमाने के साथ पूरी तरह से बदल चुका है...। अब छात्र आंदोलन महज आंदोलन न रहकर सत्ता की हिस्सेदारी, राजनीति की बिसात बना देने वाली कहानी, धर्म जाति मीडिया और राजनीतिक नेक्सस का हिस्सा, छल प्रपंच और निजी संबंधों के भीतर चल रहे राजनीतिक समीकरणों का हिस्सा बन चुका है...। उन्होंने कहा कि आज की छात्र राजनीति में हमारी संवेदनाओं और इमोशन के साथ ही तो सारा खेल हो रहा है। इसे समझने की जरुरत है कि कहां और कैसे हम इन हथकंडों के शिकार बन रहे हैं...।

आयोजित कार्यक्रम में शामिल साहित्यकार।

युवा लेखक नवीन चौधरी से कुछ सवाल-जवाब...

सवाल : आपकी ढाई चाल...किताब किस तरह छात्र राजनीति को अभिव्यक्त करती है।

जवाब : ढाई चाल...किताब में हमने उन तमाम दांवपेंच को उदाहरण के साथ सामने लाने की कोशिश की है जो कि आमतौर पर वर्तमान समय में घटित है। हमने इस किताब के जरिये उन अनछुए पहलुओं को सामने का प्रयास किया है जो कि आमतौर राजनीतिक बिसात का हिस्सा बनकर दब जाती है। ऐसे दौर में यह किताब बेशक युवाओं के लिए मार्गदर्शक का काम करेगी।

सवाल : क्या जेपी आंदोलन ने छात्रों की राजनीति को नया आयाम दिया है।

जवाब : बेशक जेपी आंदोलन ने छात्रों की राजनीति को एक नया आयाम दिया है। आप देख सकते हैं कि पिछले तीन से चार दशकों में युवाओं का प्रतिनिधित्व देश व राज्य की राजनीति में बढ़ी है। जो कि सुखद तो है लेकिन भयावहता इस बात की है कि आज यही छात्र राजनीतिक बिसात का हिस्सा बन रहे हैं जो कि राजनीति को एक अलग रुप दे चुके हैं। इसे बदलना होगा। इसमें किसी खास पार्टी का फार्मूला तय नहीं होना चाहिए। पूरी तरह से छात्र राजनीति छात्रों के लिए और छात्रों के द्वारा ही तय की जाए...। अन्ना आंदोलन से भी देश में एक नई राजनीतिक दशा व दिशा तय किए जाने के आसार थे लेकिन इसमें पूरी तरह से सफलता नहीं दिखी।

सवाल : ऐसे में छात्र क्या करे, क्या वक्त आ गया है कि इसमें संशोधन किए जाएं।

जवाब : बेशक, अब छात्र राजनीति में बदलाव का वक्त आ गया है। छात्रों को किसी पार्टी विशेष की धुरी से अलग होने की जरुरत है। ताकि उनकी बात उनके द्वारा ही सामने आ सके। जब तक युवाओं की फौज राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करेगी, सकारात्मक बदलाव संभव नहीं है।

सवाल : आप लेखक के साथ साथ ब्लागर, सक्रिय रुप से इंटरनेट यूजर और यूट्यूबर भी हैं, क्या साहित्यिक विचारधारा पर इसका असर पड़ेगा।

जवाब : जहां तक साहित्यिक विचारधारा की बात है तो यह पूरी तरह से जेहन वाली बात होती है। आपकी सोच व अनुभव पर आधारित होती हैं ये विचारधारा, हां इंटरनेट मीडिया इसे गति जरुर दे सकता है। जो कि आज की जरुरत है। यदि आप तकनीकी रुप से दक्ष हैं तो बेशक इसका लाभ आप अपने कार्य में ले सकते हैं। इसका लाभ भी मिल रहा है। पहले जो किताबें एक दो महीने बाद नसीब होती थी आज एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाती हैं। ये तकनीकी लाभ ही तो है...।

सवाल : साहित्य के क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के बीच इंटरनेट मीडिया की प्रासंगिकता पर आपकी क्या राय है।

जवाब : आज के युवाओं के लिए इंटरनेट मीडिया करियर बनाने का बेहतर विकल्प है। हमें पूरी आजादी रहती है कि हम अपनी बातों को महज एक क्लिक में सारी दुनिया को सुना सके। ऐसे में साहित्य के क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के लिए इंटरनेट मीडिया बेहतर विकल्प के साथ साथ कई विकल्प भी देता है, जो कि आज की जरुरत है।

सवाल : झारखंड समेत अन्य राज्यों की छात्र राजनीति के बारे आपकी क्या राय है।

जवाब : अमूमन पूरे देश में छात्र राजनीति की स्थिति एक जैसी ही है। आप चाहे जेएनयू की बात कर लें या फिर डीयू, पीयू की या फिर रांची यूनिवर्सिटी की। हर जगह कमोबेश एक ही तरह की राजनीति हाे रही है। हमें ऐसे उम्मीदवारों का साथ नहीं देना है जो अपने ड्राइंग रुम से राजनीति की दशा व दिशा तय करते हैं। जमीनी तौर पर अंगीकार कर चुके मु्द्दों के वाहकों को सामने लाने की जरुरत है। ताकि हमारी बातें सही मायने में सार्थक साबित हो सके। सिर्फ वोटर्स बनकर भेड़ चाल में चलने से बेहतर है कोई नया विकल्प चुने।