World Heart Day: अपने दिल का रखें ध्यान, क्योंकि दिल के पास 'दिमाग' नहीं होता; जानें लक्षण-रिस्क फैक्टर व इलाज
World Heart Day Jharkhand News Special News खुद को तनाव को दूर रखें ताकि आपका दिल ठीक से धड़कता रहे। दिल की बीमारी को अनदेखा नहीं करना चाहिए। कुछ चीजों पर ध्यान दिया जाए तो हृदय की बीमारियों को कम किया जा सकता है।
रांची, [संजय कुमार सिन्हा]। हृदय से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रहीं हैं। चिंता करने वाली बात यह है कि अब युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। हाल ही में एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक से महज 40 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। इसी तरह प्रोड्यूसर राज कौशल को 49 साल की उम्र में कार्डियेक अरेस्ट हुआ था और उनकी मौत हो गई थी। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब कम उम्र में ही लोग हृदय से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो हो गए। यह एक तरह से अनहोनी है।
कुछेक दशक पहले तक 40-45 की उम्र में हार्ट अटैक को रेयर माना जाता था। लेकिन अब यह सामान्य हो चला है। कम उम्र में ही युवा हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। आज विश्व हृदय दिवस है। इसका थीम है, यूज हार्ट टू कनेक्ट विथ योर हार्ट। रिस्क फैक्टर क्या हैं और कैसे हृदय की गंभीर बीमारियों से बचें, पेश है यह विशेष रिपोर्ट।
उम्र 34 साल। हिून के रहनेवाले हैं पवन मिश्रा। हृदय की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। उनकी तीन आर्टरी में ब्लॉकेज था। पहली आर्टरी में 100 प्रतिशत, दूसरी में 90 और तीसरी में 95 प्रतिशत ब्लॉकेज था। दो आर्टरी के ब्लॉकेज को पहले हटा दिया गया, जबकि तीन दिन पहले तीसरे आर्टरी के ब्लॉकेज को भी हटाया गया। रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डा. प्रकाश कुमार कहते हैं 34 साल के इस मरीज की धूमपान करने की कोई हिस्ट्री नहीं है।
हालांकि डायबिटीज और उसकी फैमिली हिस्ट्री है। इस कारण वह हृदय की बीमारियों से पीड़ित हैं। हालांकि कम उम्र में हार्ट अटैक होना या हृदय की दूसरी गंभीर बीमारियों की चपेट में आने के कई कारण हैं। इसमें दो प्रमुख कारण हैं, लाइफस्टाइल में बदलाव और तनाव। अगर हम अपने खाने-पीने, रहने, सोने-उठने आदि के बारे में सजग रहें, तो दिल की बीमारियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
रिम्स के ही कार्डियोलॉजिस्ट डा. प्रशांत का मानना है, कई रिस्क फैक्टर हैं, लेकिन कम से कम पांच ऐसे हैं, जिन पर ध्यान दिया जाए तो हृदय की बीमारियों को कम किया जा सकता है या इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ये रिस्क फैक्टर हैं, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्राल, धूमपान और तनाव। रिम्स पहुंचने वाले मरीजों में ये रिस्क फैक्टर प्रमुख कारण होते हैं।
लाइफस्टाइल बेहतर तो हृदय भी रहेगा स्वस्थ
डा. प्रकाश कहते हैं, आज की भागमभाग भरी जिंदगी में लाइफस्टाइल खराब हो गई है। यदि लाइफस्टाइल को बेहतर कर लिया जाए तो हम हृदय ही नहीं, कई दूसरी बीमारियों से भी बच सकेंगे। सात ही तनावरहित जीवन से भी आप स्वस्थ रह सकते हैं। उनका कहना है कि आजकल छोटे बच्चे भी तनाव महसूस कर रहे हैं। तनाव के कारण किशोर आत्महत्या तक कर लेते हैं। ऐसा करने से उन्हें बचाया जा सकता है। युवाओं को क्रिएटिव चीजों से जोड़ा जाए।
पोस्ट कोविड में दिख रहे कई लक्षण
डा. प्रशांत बताते हैं कि पोस्ट कोविड दौर में कई मरीज हृदय की बीमारियों की समस्या लेकर आ रहे हैं। धड़कन बढ़ा होना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, सीने में दर्द, कुछ दूर चलने में ही थक जाना आदि की शिकायत मरीज करते हैं। वे बताते हैं कि मई-जून में जब कोविड अपने चरम पर था, तब कोरोना के साथ-साथ लोग हृदय की बीमारियों से भी पीड़ित होते थे। वर्तमान में प्रतिदिन ओपीडी में 100-125 मरीज हृदय से जुड़ी बीमारियों के आते हैं। जबकि इमरजेंसी कार्डियोलॉजी में 20-25 मरीज हर दिन आ रहे।
ये है रिस्क फैक्टर
डायबिटीज : युवाओं में टाइप 2 डायबिटीज देखने को मिल रहा है। इसके पीछे भी लाइफस्टाइल है। अनाप-शनाप खाना, असमय भोजन करना भी इसके प्रमुख कारण हैं।
हाइपरटेंशन : यह भी युवाओं में हार्ट अटैक होने का एक कारण हो सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि हाइपटेंशन की भी फैमिली हिस्ट्री हो सकती है।
कॉलेस्ट्राल : बढ़ा हुआ कॉलेस्ट्राल भी रिस्क फैक्टर है। हृदय की धमनियों को सुरक्षित रखने के लिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
धूमपान : हृदय से जुड़ी बीमारियों में धूमपान महत्वपूर्ण कारण है। चिकित्सकों का मानना है कि तंबाकू के अंदर जो केमिकल होते हैं, उनसे हृदय से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है।
तनाव : तनाव के कारण हृदय पर दबाव बढ़ा है। हालिया शोधों में स्पष्ट हुआ है कि काम से जुड़ा तनाव और हृदय से जुड़ी बीमारियों के बीच संबंध है।
पांच मिनट का यह फामूर्ला अपनाएं
डा. प्रकाश कहते हैं, तनाव को दूर करने के लिए पांच मिनट का एक फार्मूला अपनाएं। जो लोग काम के दौरान तनाव महसूस करते हैं, उनके लिए यह बेहद जरूरी है। वे कहते हैं, आफिस में रहें या वर्क फ्राम होम, हर घंटे पांच मिनट के लिए ब्रेक लें। गर्दन को सीधा करें, थोड़ा बहुत शरीर को स्ट्रेच करें। पानी पीएं। इस अवधि में अपने दिमाग को आफिस की गतिविधि से अलग करें। यानी आठ घंटे की ड्यूटी में कुल 40 मिनट का ब्रेक आप ले सकेंगे। ऐसा करने से आप अपने आप को ताजा महसूस करेंगे। तनाव आसपास भी नहीं फटकेगा। हृदय सहित दूसरी बीमारियों से दूर रह सकेंगे।
हृदय की बीमारियों की अनदेखी न करें
कार्डियोलॉजिस्ट डा. वरुण कुमार का कहना है कि कई बार हम गैस या दूसरी चीजों को जोड़कर देखते हैं और गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन तबतक काफी देरी हो जाती है। डा. वरुण भी मानते हैं कि लाइफस्टाइल में बदलाव हृदय से जुड़ी बीमारियों का अहम कारण है। नियमित व्यायाम करें और पौष्टिक आहार लें तो हृदय की बीमारियों से बच सकते हैं।
'स्ट्रेस के कारण भी हृदय रोग होता है। इससे निजात पाने के लिए लोगों को सूर्य नमस्कार और ब्रिथिंग एक्सरसाइज को अपनाना चाहिए। सूर्य नमस्कार में कुल 14 स्टेप होते हैं। इससे शरीर का हर भाग सक्रिय हो जाता है। ब्रिथिंग एक्सरसाइज में ओमकार की ध्वनि और अनुलोम-विलोम से बीमारी दूर होती है।' -रेणु पांडेय, योग प्रशिक्षक।
'वेस्टर्न कल्चर, स्ट्रेसफुल लाइफ और गलत खान-पान के कारण कम उम्र के युवा हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं। यंग जनरेशन वेस्टर्न कल्चर को तेजी से अपना रही है। लेकिन वे ध्यान नहीं देते कि हमारी एक्टिविटी वहां जैसी नहीं है। इससे निजात पाने के लिए स्कूल के समय से ही बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। पेरेंट्स अपने बच्चों को आउटडोर गेम के प्रति जागरूक करें।' -संजय सिंह, हृदय रोग विशेषज्ञ।
'रिम्स में हृदय रोग के एक चौथाई मरीज 40 वर्ष से कम उम्र के हैं। यह आंकड़ा पिछले दस सालों में तेजी से बढ़ा है। अधिकतर युवा धूमपान, तंबाकू और स्ट्रीट फूड की चपेट में हैं। इस कारण वे बीमार पड़ रहे हैं। घर का खाना खाएं, व्यायाम करें और नशीले पदार्थों से दूर रहें, तभी हृदय रोग की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।' -डा. पीजी सरकार, हृदय रोग विशेषज्ञ, रिम्स।