पानी के लिए रांची में मिशन मोड पर होगा काम, रिसाइक्लिंग भी होगी
रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बतौर महागठबंधन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे सुबोधकांत सहाय ने कहा कि पानी के लिए मिशन मोड पर काम होगा।
संजय कुमार, रांची
रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बतौर महागठबंधन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ कांग्रेसी सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय राजधानी रांची में गहराते जलसंकट को लेकर चिंतित हैं। इस संकट के प्रति लोगों को आगाह करने तथा इससे निजात दिलाने के विविध उपायों पर फोकस करने वाले दैनिक जागरण के कितना-कितना पानी अभियान की उन्होंने सराहना की। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर क्षेत्र की जनता उन्हें अपना समर्थन देती है तो वे इस समस्या का निदान मिशन मोड पर करेंगे। उनकी कोशिश बेकार पानी की रिसाइक्लिंग भी होगी, ताकि एक पानी का उपयोग कई स्तरों पर हो। प्रस्तुत है दैनिक जागरण के संजय कुमार की उनसे बातचीत के खास अंश -
राजधानी रांची के कई क्षेत्रों में पानी पाताल छू रहा है। कई इलाके ड्राई जोन घोषित हो चुके हैं। इस स्थिति से निपटने की आपकी क्या रणनीति होगी?
- राजधानी में व्याप्त जलसंकट से भली भांति वाकिफ हूं। प्रतिनिधित्व का मौका मिला तो विभागीय समन्वय से इस मसले का स्थायी समाधान निकालूंगा। इसे लेकर तैयार होने वाली डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में भविष्य की आबादी, पानी और जल स्रोत की जरूरतों को रेखांकित किया जाएगा। राजधानी रांची की लगभग आधी आबादी तक ही पाइप लाइन के सहारे जलापूर्ति हो रही है। कब तक घर-घर तक जलापूर्ति संभव हो सकेगी?
- हमारे कार्यो की प्राथमिकता सूची में यह सबसे ऊपर होगा। समय का निर्धारण शहर में पाइपलाइन की मौजूदा स्थिति को देखकर ही संभव हो सकेगा। हां, इतना जरूर कहूंगा, प्रोजेक्ट आज की तरह लटकने नहीं दूंगा। आबादी बढ़ने के साथ यह समस्या और भी गहराती चली जाएगी। पानी को लेकर आपकी भावी योजना क्या होगी?
- तालाबों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ शहर के इर्द-गिर्द बहने वाली नदियों को अक्षुण्ण बनाने तथा तमाम जल स्रोतों को बचाने और नए स्रोत विकसित करने पर फोकस होगा। हटिया, रुक्का तथा कांके डैम के जीर्णोद्धार पर विशेष काम होगा। जल संकट की बड़ी वजह प्राकृतिक जल स्रोतों का अतिक्रमण अथवा विकास के नाम पर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया जाना है। इससे कैसे निपटेंगे?
- कानूनन आप जल स्रोतों का अतिक्रमण किसी भी कीमत पर नहीं कर सकते। ऐसे स्थलों की पहचान कर उसे अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा। विकास के नाम पर जल स्रोतों से खिलवाड़ न हो, स्थापित कानूनों का सहारा लेकर इस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। 80 फीसद वर्षा जल यूं ही बह जा रहा है। भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति बड़ी आबादी लापरवाह नजर आती है। कैसे सामान्य होगी स्थिति?
- भवनों की प्रकृति के हिसाब से वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया जाएगा। जल संचयन को लेकर विभिन्न स्तरों पर जागरूकता फैलाई जाएगी।
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