महिलाओं का समूह घरों को कर रहीं रौशन, आर्थिक रूप से भी हो रही सशक्त
ओरमांझी के इरबा में महिलाओं का समूह कम पैसे में घरों को रोशन कर रही है।
By Edited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 04:13 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 12:32 PM (IST)
शक्ति सिंह, रांची : ओरमांझी के इरबा में महिलाओं का समूह कम पैसे में घरों को रौशन करने का काम कर रही हैं। ग्रामीण इलाकों में बिजली का संकट है और यह सोलर लाइट गरीबों के लिए नायाब तोहफा से कम नहीं है। सिर्फ 102 रुपये में महिलाओं के समूह द्वारा सोलर लाइट तैयार किया जा रहा है, जिसकी कीमत सिर्फ 120 रुपये रखी गई है। एक बार चार्ज करने के बाद से सोलर लाइट पांच से छह घंटे तक घरों को उजाला रखता है। इतने समय में घर में महिलाएं खाना बना लेती हैं, तो बच्चे अपनी पढ़ाई भी पूरी कर लेते हैं।
जबकि बाजार में चाइनीज लाइट की कीमत 300 से 500 रुपये हैं। इसकी अपेक्षा महिलाओं के द्वारा तैयार लाइट की कीमत काफी कम है। 17 महिलाएं इस काम में जुड़ी इरबा के ब्लॉक कार्यालय में 17 महिलाएं सोलर लाइट बनाने के काम में जुड़ी हैं, पिछले पांच महीने से सोलर लाइट का उत्पादन कर रही हैं। इसके पहले इन्हें प्रशासन की ओर से विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया। पहले एक सोलर लाइट को तैयार करने में महिलाओं को एक घंटे तक का वक्त लगता था, पर अब अनुभव के साथ-साथ इस तैयार करने में उन्हें सिर्फ 20 मिनट का समय लगता है। किया जा चुका है 2 हजार सोलर लाइट का उत्पादन इन महिलाओं द्वारा अब तक 2 हजार सोलर लाइट का उत्पादन किया जा चुका है।
प्रशासन सरकारी उपक्रमों से संपर्क साधा है कि एक साथ भारी संख्या में सोलर लाइट उत्पादन करने के लिए वर्क ऑर्डर मिल सके। प्रशासन को एक-दो उपक्रमों से हरी झंडी भी मिली है, उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही सोलर लाइट के निर्माण के लिए वर्क ऑर्डर मिल जाएगा। स्वरोजगार की दिशा में बेहतर विकल्प दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासन और महिलाओं के इस कार्य को सराहा है। स्वरोजगार की दिशा में यह बेहतर विकल्प हैं। सोलर लाइट का निर्माण कर बेहतर कमाई कर सकते हैं।
गांव तो गांव शहर में भी बिजली को लेकर समस्या अक्सर बनी रहती है। ऐसे में यहां सोलर लाइट का बहुत बड़ा बाजार मौजूद है। प्रशासन भी बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रहा है। रांची में भी महिलाओं को किया जाएगा प्रशिक्षति दूसरे जिले भी इस प्रयोग को अपने जिलों में लागू करने पर विचार कर रहा है। कुछ जिलों के उपायुक्त इस विधि को अपनाने के लिए रांची से संपर्क साधा है, ताकि वहां की भी महिलाओं को इसका प्रशिक्षण मिल सके और सोलर लाइट का उत्पादन कर सके। 'कल तक कोई काम नहीं करती थी। लेकिन, तीन महीने के प्रशिक्षण में सोलर लाइट बनाने का अनुभव प्राप्त हो गया और आज मैं बीस मिनट में एक सोलर लाइट तैयार कर लेती हूं।' मंजू,प्रशिक्षु, सोलर लाइट 'यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। कल तक इसे बनाने में काफी वक्त लगता था। पर अब तक 25 मिनट में एक सोलर लाइट बना लेती हूं। इस कार्य को सीखने से मेरा आत्मविशवास बढ़ा है।' सुहानी प्रशिक्षु 'सोलर लाइट निर्माण के लिए स्वयं सहायता समूह की 17 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, जो इस दिशा में बेहतर कार्य कर रही है। अब तक दो हजार के करीब सोलर लाइट का निर्माण हो चुका हैं। इन्हें देखकर और भी महिलाएं जुड़ेंगी और स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा।' राय महिमापत रे, उपायुक्त, रांची
जबकि बाजार में चाइनीज लाइट की कीमत 300 से 500 रुपये हैं। इसकी अपेक्षा महिलाओं के द्वारा तैयार लाइट की कीमत काफी कम है। 17 महिलाएं इस काम में जुड़ी इरबा के ब्लॉक कार्यालय में 17 महिलाएं सोलर लाइट बनाने के काम में जुड़ी हैं, पिछले पांच महीने से सोलर लाइट का उत्पादन कर रही हैं। इसके पहले इन्हें प्रशासन की ओर से विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया। पहले एक सोलर लाइट को तैयार करने में महिलाओं को एक घंटे तक का वक्त लगता था, पर अब अनुभव के साथ-साथ इस तैयार करने में उन्हें सिर्फ 20 मिनट का समय लगता है। किया जा चुका है 2 हजार सोलर लाइट का उत्पादन इन महिलाओं द्वारा अब तक 2 हजार सोलर लाइट का उत्पादन किया जा चुका है।
प्रशासन सरकारी उपक्रमों से संपर्क साधा है कि एक साथ भारी संख्या में सोलर लाइट उत्पादन करने के लिए वर्क ऑर्डर मिल सके। प्रशासन को एक-दो उपक्रमों से हरी झंडी भी मिली है, उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही सोलर लाइट के निर्माण के लिए वर्क ऑर्डर मिल जाएगा। स्वरोजगार की दिशा में बेहतर विकल्प दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासन और महिलाओं के इस कार्य को सराहा है। स्वरोजगार की दिशा में यह बेहतर विकल्प हैं। सोलर लाइट का निर्माण कर बेहतर कमाई कर सकते हैं।
गांव तो गांव शहर में भी बिजली को लेकर समस्या अक्सर बनी रहती है। ऐसे में यहां सोलर लाइट का बहुत बड़ा बाजार मौजूद है। प्रशासन भी बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रहा है। रांची में भी महिलाओं को किया जाएगा प्रशिक्षति दूसरे जिले भी इस प्रयोग को अपने जिलों में लागू करने पर विचार कर रहा है। कुछ जिलों के उपायुक्त इस विधि को अपनाने के लिए रांची से संपर्क साधा है, ताकि वहां की भी महिलाओं को इसका प्रशिक्षण मिल सके और सोलर लाइट का उत्पादन कर सके। 'कल तक कोई काम नहीं करती थी। लेकिन, तीन महीने के प्रशिक्षण में सोलर लाइट बनाने का अनुभव प्राप्त हो गया और आज मैं बीस मिनट में एक सोलर लाइट तैयार कर लेती हूं।' मंजू,प्रशिक्षु, सोलर लाइट 'यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। कल तक इसे बनाने में काफी वक्त लगता था। पर अब तक 25 मिनट में एक सोलर लाइट बना लेती हूं। इस कार्य को सीखने से मेरा आत्मविशवास बढ़ा है।' सुहानी प्रशिक्षु 'सोलर लाइट निर्माण के लिए स्वयं सहायता समूह की 17 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, जो इस दिशा में बेहतर कार्य कर रही है। अब तक दो हजार के करीब सोलर लाइट का निर्माण हो चुका हैं। इन्हें देखकर और भी महिलाएं जुड़ेंगी और स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा।' राय महिमापत रे, उपायुक्त, रांची
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