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महिला सशक्तीकरण और राष्ट्र निर्माण है 21वीं सदी का लक्ष्य

शहर में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया के जेसिया भवन में कार्यक्रम हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 03:22 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 03:22 AM (IST)
महिला सशक्तीकरण और राष्ट्र निर्माण है 21वीं सदी का लक्ष्य

जागरण संवाददाता, रांची : शहर में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया के उद्योग भवन में शुक्रवार को महिला उद्यमियों का सम्मेलन हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन यूएस कॉन्सुलेट जनरल-कोलकाता, टेक्सास विश्वविद्यालय, झारखंड ओपन कॉफी क्लब तथा झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने मिलकर किया। महिला उद्यमी तथा ब्रेकिंग द ग्लास कार्यक्रम की निदेशक दिव्या राजपूत ने इस कार्यक्रम में महिला उद्यमियों को आने वाले भविष्य में उनकी भूमिकाओं से जोड़ प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी नारी की सदी है और यह समय महिला सशक्तीकरण से समाज निर्माण तथा राष्ट्र निर्माण का है। इस कार्यक्रम में झारखंड के विविध क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाली कुल 30 महिला उद्यमियों ने भाग लिया।

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जेसिया के अध्यक्ष फिलिप मैथ्यू ने कहा कि उद्यमियों को आगे आने और समाज में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों को बिजनेस एन्वायरमेंट, टेक्नोलॉजी एडॉप्शन, मार्केट एक्सेस और स्टार्ट अप की स्थिरता पर चर्चा करने तथा चार अलग-अलग स्तरों पर सवालों के जवाब देकर प्रमुख प्राथमिकताओं की पहचान करने के लिए चार के समूहों में विभाजित किया गया था।

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बांस का प्रयोग बेहतर

आर्किटेक्टर की पढ़ाई कर चुकी रांची की सुरभि सिन्हा ने बताया कि काफी समय से उनका झुकाव बांस के उत्पादों के प्रति है। चूंकि लगातार प्रदूषित हो रहे वातावरण में इकोफ्रेंडली होने के कारण बांस में बेहतर संभावनाएं हैं। पेशे से आर्किटेक्टर होने के कारण उन्हें बांस से बनने वाली चीजों की क्षमताएं मालूम हैं। अगर प्लास्टिक तथा लकड़ी के विकल्प की बात की जाए तो बांस उसका एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अभी शहरों में बांस से बनी चीजों का उपयोग बस फैशन मात्र के लिए रह गया है तो गांव में झंडे तथा तंबू गाड़ने के लिए रह गया है। वह कहती हैं बाहर के देशों में बांस का अच्छा उपयोग हो रहा है। वह बांस को लोगों के आम जीवन से जोड़ना चाहती हैं।

इस कार्यक्रम में आयीं जमशेदपुर की ज्योति ने बताया कि वह कुछ वर्ष तक प्राइवेट नौकरी करने के बाद खुद का उद्यम करने के विषय में सोच रही हैं। वह बताती हैं कि वह जिस ट्राइबल एरिया से संबंध रखती हैं। उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वह कहती हैं कि वह अपने ट्राइबल लोगों के साथ जुड़कर अपने उद्यम को विस्तार देना चाहती हैं।


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