महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर मनाई तीज, अखंड सौभाग्य की कामना की
पति की दीर्घायु के लिए गुरुवार को सुहागिनों ने तीज का निर्जला उपवास किया।
जासं, रांची: पति की दीर्घायु के लिए गुरुवार को सुहागिनों ने तीज का निर्जला उपवास किया। शहर के अलग-अलग मंदिरों में इसे लेकर खास उत्साह देखने को मिला। दोपहर बाद मंदिरों में महिलाएं सेालह श्रृंगार करके कथा सुनने पहुंची। वहीं बड़ी संख्या में महिलाओं ने कोरोना संक्रमण के कारण अपने-अपने घरों पर ही तीज की पूजा की। सुहागिनों ने भगवान शिव, देवी पार्वती और गणेश जी की कच्ची मिट्टी से मूर्ति बनायी। साथ ही, इनकी विधि-विधान से पूजन किया। तीज व्रत का पारण आज सुबह 6 बजे के बाद का मुहूर्त अच्छा है। हरितालिका तीज के व्रत में आठो पहर पूजन का विधान है। इसलिए व्रत की रात्रि -जागरण करते हुए महिलाओं ने शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप या भजन भी किया। गुरुवार को दिन में बादल छाए रहने की वजह महिलाओं को निर्जला व्रत में थोड़ी कम परेशानी हुई। तीज त्योहार भारतीय सभ्यता संस्कृति परंपरा का हिस्सा
हरितालिका तीज व्रत पर 24 घंटे का निर्जला उपवास रखकर पति की लंबे आयु की कामना की। उनका कहना है कि तीज त्योहार भारतीय सभ्यता संस्कृति परंपरा की एक हिस्सा है, जिसे उनके पूर्वज सदियों से मनाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि त्योहार में महिलाएं अपनी उत्कृष्टता दिखाते हुए उमंग और खुशियों को जाहिर करती हैं। गुंजन के पति रांची रेल मंडल में सीनियर डीसीएम अवनीश हैं।
गुंजन वैस, एनएसओ की डिप्टी डायरेक्टर व्रत में श्रद्धा और समर्पण है जरूरी
रांची रेल मंडल के डीएससी प्रशांत कुमार यादव की पत्नी श्रेया झा ने कहा कि सुखमय पारिवारिक जीवन के लिए प्रतिवर्ष तीज निर्जला व्रत करती हैं। अपने पति के दीर्घायु होने की मंगल कामना के लिए पावन तीज व्रत बड़े ही निष्ठा श्रद्धा और भक्ति भाव से करती हैं। उनका कहना है कि इस व्रत में श्रद्धा और समर्पण जरूरी है। सुहागन अपने पति की रक्षा आयु वृद्धि और स्वास्थ्य की मंगल कामना करती हैं। भगवान शिव व पार्वती की कृपा से व्रत पूर्ण हो जाता है।
श्रेया झा पति के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक है तीज:
मेरे घर में पारंपरिक रूप से पीढि़यों से तीज का त्योहार होता आया है। मेरी मां और सासू मां करीब 50 वर्षों से तीज करती आ रही हैं। मेरे लिए तीज पति के लिए प्रेम और समर्पण का त्योहार है। इस व्रत में 24 घंटे निर्जल रहना मुश्किल है। मगर ये आसान तब है जब इसे पूरी श्रद्धा से किया जाए।
ऋचा संचिता, अधिवक्ता तीज मेरे लिए बड़े महात्म का त्योहार है। करीब 20 वर्षों से ये पर्व मैं लगातार करती आ रही हूं। मैंने सबसे पहले ये व्रत अपने ससुराल बिहार के नवादा में किया था। पति की दीर्घायु के लिए किया जाने वाले इस त्योहार के लिए मैं काफी पहले से उत्साहित रहती हूं। इस वर्ष भी मैंने पूरी विधि विधान से पूजा की है।
ज्योत्स्ना, संचालिका, जावेद हबीब हर बार की तरह इस बार भी तीज को लेकर काफी उत्साहित हूं। अपने पति के लंबे उम्र की कामना के साथ हर वर्ष ये व्रत बड़ी श्रद्धा के साथ रखती हूं। शाम में अपने आसपास की महिलाओं के साथ एक साथ मिलकर घर पर ही पंडित को बुलाकर शिव और पार्वती की पूजा करती हूं।
किरण श्रीवास्तव
गणेश चतुर्थी आज, घर में पधारेंगे विघ्नहर्ता
जासं, रांची : गणपति बप्पा का आगमन आज होगा। कोरोना संकट के बीच इस बार पूरे शहर में सादगी के साथ गणेश चतुर्थी का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि विधि पूर्वक पूजा करने और घर में गणेश स्थापित करने से विघ्नहर्ता भक्तों को सारे कष्टों को हर लेते हैं। गुरुवार की रात 2.12 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है। चतुर्थी शुक्रवार की रात 12.18 बजे तक रहेगी। ऐसे में गणेश भक्तों को पूरा दिन पूजा के लिए वक्त मिलेगा। शहर में कई लोग अपने-अपने घरों में गणपति की प्रतिमा स्थापित करते हैं। इसके साथ ही कई स्थानों पर मंदिरों में भी आयोजन किया जा रहा है। सुबह 10 बजे से होगी डोरंडा में पूजा:
श्री गणेश पूजा समिति डोरंडा न्यू काली पूजा परिसर काली मंदिर रोड डोरंडा के द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणेश चतुर्दशी के अवसर पर गणेश पूजा का आयोजन किया गया है । कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पूजा पंडाल का स्वरूप थोड़ा छोटा रखा गया है एवं कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए ही भक्तों पूजा अर्चना एवं दर्शन कर पाएंगे। पंडाल में सुबह 10 बजे से विधिवत पूजा अर्चना कर पूजा प्रांगण भक्तों के लिए खोल दी जाएगी तथा दिन में भक्तों के लिए भोग प्रसाद की व्यवस्था की जाएगी और रांची के गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। यहां गणपति पूजा 10 सितंबर से लेकर 12 सितंबर तक विराजमान रहेंगें। इस पूजा के आयोजन को सफल बनाने में मुख्य रूप से समिति के संरक्षक टापू घोष, शंभू गुप्ता ,रोहित शारदा ,अध्यक्ष अमित गुप्ता, बबलू दास, विकल घोष ,राजू दास,बिट्टू घोष, बापी घोष, मनोज मालाकार, अजय घोष, विक्की गोष,बाबू सोना, जितेंद्र कुमार सहित अन्य लोग अपना योगदान दे रहे हैं। प्रकृति की पूजा है मिथिला का चौरचन
जासं, रांची: पूरे मिथिला में चौरचन का त्योहार पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। चौरचन को चौठचंद्र भी बोलते हैं। मिथिला में मनाया जाने वाला चौठचंद्र ऐसा त्योहार जिसमें चांद की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। मिथिला के अधिकांश त्योहारों का नाता प्रकृति से जुड़ा होता है। छठ में जहां उगते और डूबते सर्य की उपासना की जाती है वहां चौठचंद्र में मिथिला के लोग चांद की पूजा करते हैं। ये व्रत पुत्र की दीर्घालु के लिए किया जाता है।
महिलाएं करती हैं व्रत
मिथिलानी समूह की संस्थापिका निशा झा बताती हैं कि चौठचंद्र के दिन मिथिला की महिलाएं पूरे दिन व्रत करती हैं। इसके साथ ही शाम को भगवान गणेश की पूजा के साथ चांद की विधि विधान से पूजा कर अपना व्रत तोड़ती हैं। चौठचंद्र पर्व के दौरान व्रति महिलाएं सूर्य के डूबने और चंद्रमा दिखने के दौरान कच्चे चावल को पीसकर रंगोली भी बनाती हैं। इससे मिथिला की भाषा में अरिपन कहा जाता है। चौठचंद्र पर्व के दौरान घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को चढ़ाया जाता है। क्या है पर्व के पीछे की कहानी
ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को भगवान गणेश ने शाप दिया था। इसको लेकर ये कहानी प्रचलित है कि चांद को अपनी सुंदरता पर घमंड था और चांद ने गणेश का उपहास उड़ाया था। इससे क्रोधित होकर गणेश ने चांद को शाप दिया था कि जो भी इस दिन चांद को देखेगा उसे कलंक लगने की डर होगा। इस शाप से मुक्ति पाने के लिए भादो मास की चतुर्थी तिथि के दिन चांद ने भगवान गणेश की पूजा अर्चना की। चांद को अपनी गलती का अहसास होने के बाद भगवान गणेश ने कहा कि इस दिन चांद की पूजा के साथ जो मेरी पूजा करेगा उसे कलंक का भागी नहीं बनना पड़ेगा। इस मान्यता के बाद इस पर्व को खास कर बिहार के मिथिला के लोग बड़े विधि विधान के साथ मनाते हैं।