आखिरकार झारखंड में क्यों बेचैन हैं कांग्रेस के विधायक, यहां जानें विस्तार से
Jharkhand News Political Updates कांग्रेस विधायकों का अलग-अलग प्रेशर समूह है जो लगभग हर महीने अपनी शिकायतों को लेकर रांची से लेकर दिल्ली तक गुहार लगाता है। सत्ता में साझीदार कांग्रेस विधायकों में बेचैनी की आखिरकार वजह क्या है और इसका क्या परिणाम निकल सकता है।
रांची, [प्रदीप सिंह]। झारखंड में लगातार हाशिये पर जा रही कांग्रेस को 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दरम्यान संजीवनी मिली। मजबूत क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ तालमेल करने के कारण उसके 16 विधायक जीतने में सफल हुए। मोर्चा का जनाधार कांग्रेस में शिफ्ट हुआ और भाजपा के हाथ से सत्ता फिसल गई। हेमंत सोरेन की सरकार में राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को सहयोगी नंबर दो का तमगा मिला और मंत्रिमंडल में चार अहम पदों की जिम्मेदारी भी हाथ आई।
कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के पास वित्त, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और कृषि सरीखे महत्वपूर्ण विभाग हैं। इसके बावजूद क्या कारण है कि कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी रह-रहकर झलकती है। दरअसल विधायकों ने अलग-अलग प्रेशर ग्रुप बना रखा है जो प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस आलाकमान और अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार पर दबदबा बनाना चाहता है। इनकी दुखती रग है कि मंत्रिमंडल समेत महत्वपूर्ण बोर्ड और निगमों में भागीदारी मिले, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मंत्रिमंडल में रिक्त एक पद पर कांग्रेस की दावेदारी ठुकरा दी है।
मोर्चा का तर्क है कि विधायकों की संख्या के लिहाज से जो फार्मूला तैयार हुआ है, उसके मुताबिक रिक्त पद उनके कोटे के लिए है। रही बात बोर्ड और निगम की तो इसके लिए दोनों दलों (झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस) के नेता आपस में सहमति बनाएं। हालांकि कांग्रेस मंत्री के एक रिक्त पद पर दावेदारी से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
उधर बोर्ड और निगम को लेकर भी सबने अपने-अपने स्तर पर लाबिंग शुरू की है। इसका बंटवारा होने के बाद भी स्थिति सामान्य होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि सबकी नजर मलाइदार बोर्ड-निगमों पर होगी। पिछले महीने पांच विधायकों ने इसी मांग को लेकर नई दिल्ली में अपने स्तर से मुहिम चलाई। उनकी वापसी के बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। इसमें भरोसा दिलाया गया कि इन मसलों को उचित फोरम पर उठाया जाएगा।
महिला विधायकों का अलग प्रेशर ग्रुप
कांग्रेस की महिला विधायकों का प्रेशर ग्रुप पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर विरोध में है। इसकी पृष्ठभूमि कई दिनों से तैयार हो रही थी। बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद के खिलाफ थाने से बालू लदे ट्रैक्टरों को भगाने का आरोप लगा तो अन्य विधायकों ने उनके खिलाफ हुई कार्रवाई पर एकजुटता दिखाई। इसके बाद रामगढ़ की विधायक ममता देवी ने थाने से अवैध कोयला लदे ट्रकों को बगैर केस दर्ज किए छोड़ देने का आरोप मढ़ा। इस प्रकरण पर महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने कई सवाल उठाए।
दीपिका कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव भी हैं। उन्होंने आनन-फानन में कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के समक्ष विधायकों के मामले उठाए। इन विधायकों ने रांची में अपनी बैठक भी कर डाली, जिसमें झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी मौजूद थीं। इसका असर भी पड़ा। झारखंड पुलिस के महानिदेशक ने इनकी शिकायतों की जांच करने का आदेश दिया है। इसके अलावा सभी जिलों को भी निर्देश जारी किया गया है कि जनप्रतिनिधियों के साथ पुलिस शिष्टाचार से पेश आए।
जल्द होगी विधायक दल की बैठक
विधायकों की कई स्तरों पर नाराजगी झेल रहे कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के समक्ष मुश्किल यह है कि इन्हें कैसे मनाएं। सारी गतिविधियों से प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह भी अवगत हैं। जल्द ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा की नजर भी इन गतिविधियों पर है। कांग्रेस नेतृत्व हर हाल में विधायकों की शिकायतों का समाधान करने की दिशा में पहल करेगा।