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Weekly News Roundup Ranchi: पुलिसवालों ने मांगा वेतन, थमा दिया लॉलीपॉप...

Weekly News Roundup Ranchi होली-दीवाली छठ-दशहरा ईद-बकरीद करमा-रामनवमी के दिन भी विधि-व्यवस्था संभालने वाली पुलिस के लिए साल में एक माह का वेतन दिए जाने का प्रावधान बना है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 05:36 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 01:45 PM (IST)
Weekly News Roundup Ranchi: पुलिसवालों ने मांगा वेतन, थमा दिया लॉलीपॉप...
Weekly News Roundup Ranchi: पुलिसवालों ने मांगा वेतन, थमा दिया लॉलीपॉप...

रांची, [दिलीप कुमार]। झारखंड पुलिस अपनी किस्‍मत पर रो रही है। लॉ एंड ऑर्डर से लेकर लोगों की सुरक्षा में दिन-रात एक करने वाले पुलिसवाले भले ही सप्‍ताह के सातों दिन ड्यूटी करते हों, लेकिन वेतन के नाम पर उन्‍हें सरकार की ओर से छलावा ही मिलता है। पुलिस महकमे में एक माह का अतिरिक्‍त मानदेय को लेकर पुलिसकर्मी से लेकर अधिकारी तक अब खुलकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।

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लॉलीपाप थमा दिया

झारखंड पुलिस में सिपाही से इंस्पेक्टर स्तर तक के अधिकारियों-कर्मियों को एक माह का अतिरिक्त वेतन देना था, लेकिन पूर्व की सरकार ने लॉलीपाप थमा दिया। सप्ताह के सात दिन और 24 घंटे काम करने वाली पुलिस, होली-दीवाली, छठ-दशहरा, ईद-बकरीद, करमा-रामनवमी के दिन भी विधि-व्यवस्था संभालने वाली पुलिस के लिए साल में एक माह का वेतन दिए जाने का प्रावधान बना है। अधिकतर पुलिसकर्मी विभागीय प्रशिक्षण पर भी जाते रहते हैं। क्षतिपूर्ति अवकाश भी उनका अपना होता है। सरकार के एक माह के अतिरिक्त वेतन के लिए बने संकल्प के अनुसार ऐसी स्थिति में प्रशिक्षण अवधि व क्षतिपूर्ति अवकाश लेने वाले पुलिसकर्मियों-पदाधिकारियों को इस मानदेय से वंचित होना पड़ेगा। सिपाही से इंस्पेक्टर रैंक तक के एसोसिएशनों के पदाधिकारियों का कहना है कि यह एक माह का अतिरिक्त मानदेय नहीं, बल्कि लॉलीपाप है। राज्य के 80 फीसद पुलिसकर्मी इस व्यवस्था के लाभ से वंचित हो जाएंगे।

खूंटे पर बटन कैमरा

झारखंड पुलिस की वर्दी के बटन में कैमरा लगना था, लेकिन यह क्या, यह तो विभाग के खूंटे में टंग गया है। पुलिस आधुनिकीकरण के नाम पर मिलने वाली राशि के दुरुपयोग का यह एक उदाहरण मात्र है। पुलिस को आधुनिक बनाने के नाम पर ऐसे कई उपकरण व वस्तुएं अब तक खरीदी जा चुकी हैं, जो शो-पीस बनकर रह गए और उनका रत्ती भर भी फायदा नहीं मिला। झारखंड पुलिस ने 2017 में 424 बटन कैमरे खरीदे। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च भी हुए, लेकिन किसी वर्दी के बटन में दो-चार दिन से ज्यादा दिनों तक यह कैमरा नहीं चल सका। अब दूसरे फ्लॉप शो की तैयारी शुरू हो चुकी है। हद है जनाब। 424 बटन कैमरों पर करोड़ों खर्च कर मन नहीं भरा कि अब 136 बॉडी वोर्न कैमरा खरीदने का प्रस्ताव बना डाला। बटन शो के बाद अब कंधा कैमरा शो चलाएंगे क्या।

थाने में रहेंगे साहब

एसपी साहब किसी एक थाना में रात गुजारेंगे। वहां की पुलिसिंग देखेंगे। पुलिस कैसे कार्य करती है, उसे परखेंगे। यह आदेश पूर्व की सरकार व पुलिस मुख्यालय का था जो कभी धरातल पर उतरा ही नहीं। आदेश ठेंगे पर है। साहब दिन में तो गलती से कभी चले गए, कभी गए ही नहीं, रात में क्या जाएंगे। अधिकतर जिलों से भी यही सूचना है। एसपी साहब थानों में कभी रात गुजारते ही नहीं। एक दिन पूर्व गिरिडीह में महिला डॉक्टर से दुव्र्यवहार का मामला नियमित गाइडलाइंस व टीम मॉनीटरिंग नहीं करते रहने का नतीजा है। जिला मुख्यालय के एसी वाले कमरे को छोड़ उन्हें कहीं नींद ही नहीं आती। क्या करें, साहब जो ठहरे। समय के साथ साहब फील्ड से ज्यादा कमरे में सिमट गए। एसपी साहब भूल गए कि इन्हें जनता के बीच, जनता की सेवा के लिए वेतन मिलता है।

आपदा के संकटमोचक

टेस्ट वाली टीम में एक मंत्री जी ताबड़तोड़ बल्ला घुमा रहे हैं। ऑलराउंडर हैं तो बाउंसर भी मारते हैं। अभी ऐसी गेंदें फेंकी हैं कि डॉक्टर, सिविल सर्जन और ड्रग इंस्पेक्टर ठिठके हुए हैं। सोच रहे कि न जाने मंत्री जी की कौन सी गेंद उन्हें रिटायर्ड हर्ट कर दे। खैर, राहत तब मिली जब पता चला कि मंत्री जी को एक और पिच पसंद आ गई है। नाम से खतरनाक आपदा वाली पिच पर पूर्व के बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाए थे। लेकिन नए मंत्री जी तो धाकड़ हैं, यहां भी खूंटा गाड़ दिया। ऐसे चौके-छक्के मारने शुरू किए कि वर्षों से बेजान पिच पर हरियाली नजर आने लगी। मीडिया का भी ध्यान खींच लिया। आपदा वाले विभाग से जुड़े लोगों की बांछें खिल आई हैं कि अब वे सही मायने में अपने नाम को सार्थक करेंगे। मन ही मन संकटमोचक को सराह रहे।


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