Move to Jagran APP

रांची में जल संकट गहराया, जानें-क्या है कारण और निदान

राजधानी रांची के कुएं अभी से सूखने लगे हैं। लालपुर, कोकर, मोरहाबादी, कांके, अपर बाजार और डोरंडा के इलाकों में स्थिति सबसे अधिक खराब है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 04:09 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 04:09 PM (IST)
रांची में जल संकट गहराया, जानें-क्या है कारण और निदान
रांची में जल संकट गहराया, जानें-क्या है कारण और निदान

जासं, रांची। राजधानी में अगर आने वाले 10 साल तक इसी रफ्तार से भूगर्भ जल का दोहन होता रहा तो राजधानी भी आने वाले दिनों में पूरी तरह सूख जाएगी। रांची में भूगर्भ जल पूरी तरह खत्म हो सकता है। पानी का संकट होगा तो पूरी रांची प्यासी हो जाएगी। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो रांची में बड़ी ही तेजी से भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। जिसका असर आने वाले 10 सालों में साफ तौर से देखने को मिलेगा।

loksabha election banner

रिपोर्ट के अनुसार, हर साल जल स्तर औसतन छह फीट कम होता जा रहा है। बेहतर बारिश के बाद भी राजधानी में पानी के दोहन के प्रतिशत के हिसाब से महज 4.46 प्रतिशत पानी ही रिचार्ज हो पाता है। 80 प्रतिशत से भी अधिक बारिश का पानी सड़कों पर बह जाता है।

जल संकट गहराया

गर्मी शुरू होते ही राजधानी रांची सहित आसपास के इलाकों में पेयजल की समस्या शुरू हो गई है। एक तरफ बढ़ती गर्मी तो दूसरी ओर पेयजल की कमी ने कई वाडोर्ं में चिंताएं बढ़ा दी है। पानी को लेकर अभी से ही कई इलाकों में मारामारी शुरू हो गई है। पीने की पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे में लोगों को शुद्ध पेयजल कैसे मुहैया हो यह एक चिंता का विषय बना हुआ है।

राजधानी रांची के हरमू स्थित विद्या नगर इलाका में भी पानी का बुरा हाल है। यहां 50 हजार से अधिक की आबादी है। पीने के पानी के लिए एक एक घर में दो से तीन बोरिंग कराए गए हैं। इनमें से कई बोरिंग गिरते भूगर्भ जल स्तर की वजह से फेल हो गए हैं। वहीं, लोगों का कहना है कि टैंकरों के माध्यम से पीने के पानी उपलब्ध कराने के मामले में नगर निगम भी निष्क्रिय है।

रोज होती है शहर में 50 से भी अधिक बोरिंग

राजधानी में बोरिंग की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। घरों में बोरिंग जमकर हो रही है। आंकड़ों की मानें तो वैध और अवैध तरीके से राजधानी में रोजाना 50 से भी अधिक बोरिंग हो रही है। राजधानी में लगातार गिर रहे जल स्तर का मुख्य कारण यही है। लगातार हो रही बोरिंग की वजह से ही भूमिगत जल का स्तर गिरता जा रहा है।

बारिश का 80 फीसदी सरफेस वाटर और 74 फीसदी ग्राउंड वाटर बह जाता है। शहर की भौगोलिक बनावट और भूमिगत जल के स्तर को रिचार्ज करने का इंतजाम नहीं होने के कारण 38 फीसदी क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है, जो भविष्य के भयावह होने कासंकेत दे रहे हैं।

अभी से सूखने लगे हैं कुएं

राजधानी के कुएं अभी से सूखने लगे हैं। लालपुर, कोकर, मोरहाबादी, कांके, अपर बाजार और डोरंडा के इलाकों में स्थिति सबसे अधिक खराब है। मार्च में कुओं का सूखना अपने आप में बड़ी बात है। आम तौर पर मार्च में यह स्थिति कभी नहीं हुई थी। इस बार कुओं का गिरता जलस्तर चिंता की बात बनती जा रही है। बात साफ है कि मई और जून में कुएं पूरी तरह से सूख जाएगी।

झारखंड में सिर्फ 500 एमसीएम ही है पानी का भंडार

राज्य में भूगर्भ जल का भंडार मात्र 500 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है। पहाड़ी इलाका होने के कारण झारखंड में होने वाली बारिश का ज्यादातर पानी बह जाता है। औसतन हर साल राज्य में 1400 मिमी बारिश होती है।

जानें, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

राजधानी रांची में लगातार भू जल स्तर का नीचे जाना एक बड़ी समस्या के तौर पर उभर रही है। लगातार हो रहा भूजल का दोहन इसका मुख्य कारण है। डीप बोरिंग पर समय से रोक नहीं लगाया गया, तो आने वाले समय में बड़ी समस्या होगी। इस ओर योजना बनाने की जरूरत है। घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिगं को भी बढ़ाना होगा।

-नीतिश प्रियदर्शी, पर्यावरण एक्सपर्ट

जानें, क्या है कारण

-लगातार डीप बोरिंग होना

-वाटर हार्वेस्टिंग का धरातल पर नहीं उतरना।

-पानी की बार्बादी

जानें, क्या है निदान

-छोटे घरों में भी शॉकपिट बने

-वाटर हार्वेस्टिंग

-पेड़-पौधों को लगाएं और बढ़ाएं

-पीसीसी सड़क पर रोक लगे 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.