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जल संचयन एक सामाजिक जिम्मेवारी

पीने के लिए बोरिंग पानी का उपयोग किया जा रहा है, जो कि कुछ सालों बाद पीने योग्य नहीं रहेगा।

By Edited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 07:45 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 10:39 AM (IST)
जल संचयन एक सामाजिक जिम्मेवारी
जल संचयन एक सामाजिक जिम्मेवारी

रांची, जेएनएन। देश के अन्य शहरों की तरह ही राजधानी में भी पानी की किल्लत लोगों को परेशान करने लगी है। जानकार बताते हैं कि आने वाले समय में यह समस्या और भी बड़ी होगी। जिस प्रकार शहर के जलाशय अपना अस्तित्व खो रहे हैं, वैसे में वह दिन दूर नहीं जब शहर के लोग पानी की तलाश में यहां से पलायन करने लगेंगे। यह स्थिति आज से केवल 10 साल के बाद आएगी। वर्तमान में शहर में सप्लाई किया जा रहा पानी पीने के युक्त नहीं है।

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पीने के लिए बोरिंग पानी का उपयोग किया जा रहा है, जो कि कुछ सालों बाद पीने योग्य नहीं रहेगा। क्योंकि भूमि जल का जो हिस्सा पीने के योग्य माना जाता है, उसका एक बड़ा भाग हम खत्म कर चुके हैं। पर्यावरणविद् नीतिश प्रियदर्शी बताते हैं कि रांची पठारी क्षेत्र है, जहां भमिगत जल एक सीमित मात्रा में ही पाया जाता है। पहले यहां पीने के लिए सप्लाई का पानी ही प्रयोग में लाते थे और भूमि जल सुरक्षित रहता था। लेकिन जब पानी गंदा आने लगा तो लोग अपने घर में बो¨रग करने लगे। बोरिंग के कारण भूमिगत जल कम होने लगा और हम पानी की कमी की ओर बढ़ने लगे।

इसमें जल प्रदूषण और जनसंख्या जैसे कारण मुख्य हैं। 45 से 55 फीसद वर्षा जल नहीं जा पाता है भूमि के अंदर रांची में पानी की कमी का एक कारण वर्षा जल का भूमि जल में नहीं मिल पाना भी है। नीतिश प्रियदर्शी ने बताया शहर में होने वाली बारिश का करीब 45 से 55 प्रतिशत पानी जमीन में नही जा पाता है। इसका कारण है कि हम खाली जमीन और तालाबों को सीमेंट से ढक दे रहे हैं। वर्षा जल बहकर नदियों में मिल रहा है और दूर चला जा रहा है। इससे भूमिगत जलस्तर पर असर पड़ रहा है। बेहतर है कि हम जमीन को कंक्रीट से नहीं ढंकें और वर्षा जल को जमीन में मिलने का रास्ता रहने दें। नदियां भी हो रहीं अतिक्रमण का शिकार रांची की खासियत थी इसकी नदियां और जलप्रपात। लेकिन वर्तमान में नदियां नष्ट होने के कगार पर हैं। स्वर्णरेखा और हरमू जैसी नदियों में अब पानी नहीं, बल्कि घरों का गंदा पानी बहता है। संकरी होती हुई ये अब ना तो किसी की प्यास बुझाने योग्य हैं और ना ही भूमि जल में सहयोग देने योग्य। इस कारण डैमों पर भी असर पड़ा है। डैमों में पानी नहीं बचा है और जितना बचा है, वह पीने योग्य नही है। यह स्थिति आने वाले समय में और भी भयावह हो जाएगी। जल संचयन के लिए क्या करें

घर के बाहर छोटे-छोटे गड्ढे बनाएं, जिसमें वर्षा का जल रुक सके। संभव नहीं हो तो पानी को एक स्थान पर रोकने का उपाय करें, जिससे पानी बहकर दूर ना जाए। - डीप बो¨रग कर पानी के स्तर को नुकसान नहीं पहुंचाएं। नहाने और अन्य कार्यो के लिए सप्लाई पानी का प्रयोग करें। -रोजाना कार धोने जैसे कार्यो में पानी को बर्बाद करने से बचें। इन कार्यो को महीने में दो-तीन बार कर जल संरक्षण करें।

- जब जरूरत ना हो तो पानी के नल को बंद रखें। जितना कम हो सके पानी का प्रयोग करें।


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