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रांची में फिटनेस सर्टिफिकेट ले दौड़ा रहे खटारा वाहन

रांची रांची में सैकड़ों जर्जर वाहन सड़क पर घूम रहे हैं। खास बात यह है कि फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर ये खटारा वाहन दौड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 02:20 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 06:18 AM (IST)
रांची में फिटनेस सर्टिफिकेट ले दौड़ा रहे खटारा वाहन
रांची में फिटनेस सर्टिफिकेट ले दौड़ा रहे खटारा वाहन

जागरण संवाददाता, रांची : रांची में सैकड़ों जर्जर वाहन सड़क पर घूम रहे हैं। साइलेंसर से काले धुएं छोड़ने वाले वाहन शहर में जगह-जगह मिल जाएंगे। इंजन खराब हालत में है लेकिन फिर भी इसे जैसे-जैसे चलाया जा रहा है। यही हाल भारी वाहनों का है। ऐसे वाहन हादसों को आमंत्रित कर मौत का कारण बन रहे हैं। बावजूद प्रशासन की लापरवाही से इन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाता है। पैसों के बल पर शहर में सैकड़ों जर्जर भारी वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र ले रहे हैं। फिटनेस सर्टिफिकेट न भी हो, तब भी बेरोकटोक वाहन सरपट दौड़ रहे हैं। जबकि वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र देने के लिए पूरे जिले में एक ही मोटर वेहिकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) हैं। जिन्हें रांची के अलावा गुमला जिले का भी प्रभार है। बिना मशीन के जांच : रांची में केवल एक ही फिटनेस सेंटर है। वह भी निजी हाथ में। कुछ दिन पहले तक दो फिटनेस सेंटर चल रहे थे। एक ओरमांझी में और दूसरा रामपुर रिग रोड में। फिलहाल ओरमांझी वाला फिटनेस सेंटर विभागीय जांच की वजह से बंद है। फिटनेस सेंटर से व्यवसायिक वाहनों को ही ज्यादातर फिटनेस प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। निजी वाहन, बाइक आदि को पंजीयन के समय ही 15 साल के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। 15 साल बाद फिर फिटनेस प्रमाण पत्र लेना पड़ता है, जो प्रत्येक वर्ष नवीकरण किया जाना अनिवार्य है। इनकी होती है फिटनेस जांच :

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बड़े और छोटे वाहनों की इंजन, सस्पेंशन, स्टीयरिग, ब्रेक, प्रदूषण, बैक लाइट, फॉग लाइट, हेड लाइट, पार्किंग लाइट, हार्न, साइलेंसर, चक्के, स्पीड गर्वनर, सेफ्टी ग्लासेज।

एमवीआई के पास नहीं जाना चाहते वाहन मालिक :

एक आंकड़े के अनुसार प्रति माह सरकारी फिटनेस सेंटर से 40 से 50 वाहनों को ही फिटनेस प्रमाण पत्र मिलता है। वहीं, निजी फिटनेस सेंटरों से प्रतिमाह 1000 से 1500 फिटनेस प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं। एमवीआई के पास फिटनेस प्रमाण पत्र लेने वालों को मोरहाबादी मैदान में अपने वाहनों की फिटनेस जांच करवानी होती है। जांच में ब्रेक, इंजन, प्रदूषण, बैक लाइट, फॉग लाइट, हार्न, हेड लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर आदि की जांच होती है। भारी व्यावसायिक वाहनों की जांच के लिए 500 रुपये, मध्यम वाहनों के लिए 400 रुपये, हल्के वाहनों के लिए 300 रुपये और तीन चक्कों के लिए 100 रुपये निर्धारित है। लेकिन, निजी फिटनेस सेंटरों के पास जाने से जांच से मुक्ति तो मिलती ही है। रुपये खर्च करने पर फिटनेस प्रमाण पत्र भी मिल जाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे जुगाड़ वाहन : रांची शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में जुगाड़ वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं। जबकि परिवहन विभाग ने इसपर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर ट्रॉली और जुगाड़ वाहन दिख जाते हैं। जुगाड़ वाहनों में वैसे ट्रैक्टर, ट्राली, जीप और टैक्सी आदि शामिल हैं, जिन्हें गांवों में सिंचाई में उपयोग आने वाले डीजल इंजन से जोड़कर बनाया जाता है। ऐसे जुगाड़ वाहन बेहद खतरनाक होते हैं और ऐसे वाहनों से दुर्घटनाओं की आशंकाएं सर्वाधिक होती हैं।

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'वाहनों की फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए लगातार जांच अभियान चलाई जाती है। बिना फिटनेस पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाती है।'

संजीव कुमार, डीटीओ रांची।

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