पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया को झारखंड में झटका, नौ माह से बेकार पड़े हैं 5000 स्मार्ट फोन
स्मार्ट फोन के जरिए आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ-साथ विभागीय गतिविधियां बढ़ाने पर जोर है।
राज्य ब्यूरो, रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया का सपना झारखंड में सिसक रहा है। पहले देश भर में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू की गई नगड़ी की डीबीटी योजना पर राज्य सरकार के यू टर्न से राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हुई। अब आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिए जाने वाले 5000 स्मार्ट फोन नौ माह से बेकार पड़े रहने पर सवाल उठा है। करीब साढ़े तीन करोड़ खर्च कर खरीदे गए इस स्मार्ट फोन को अब भी सिम का इंतजार है। इस फोन से आंगनबाड़ी सेविकाओं और विभागीय गतिविधियों को अपग्रेड करने की योजना थी। अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि बीते दो माह से वे दस दिनों में सभी स्मार्ट फोन को चालू कर सेविकाओं को सौंपने की रट लगा रहे हैं।
पिछले वर्ष नवंबर में ही कार्बन कंपनी के स्मार्ट फोन की खरीद की गई थी। महिला, बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाह शैली की तस्दीक करने वाले ऐसे स्मार्ट फोन की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। संभवत: अब तक उपयोग नहीं किए गए ऐसे स्मार्ट फोन की बैटरी भी जवाब दे चुकी हो। मुख्य सचिव तक पहुंचा मामला करोड़ों रुपए के मोबाइल के बेकार पड़े रहने की जानकारी मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी तक पहुंचने के बाद आनन-फानन में सिमकार्ड के टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। स्मार्ट फोन मुख्यालय से जिलों को पहुंचा दिए गए लेकिन इनका वितरण अब तक नहीं किया गया है। बताया गया कि पोषण अभियान को गति देने और पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए सात जिलों में आंगनबाड़ी सेविकाओं को 5000 स्मार्ट फोन दिए जाने थे। ये फोन सिर्फ इसलिए नहीं बांटे जा सके क्योंकि सिमकार्ड नहीं था। जून माह में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी के स्तर से हुई एक समीक्षा बैठक में यह मामला सामने आया। तब सीएस ने कड़े तेवर दिखाते हुए इस हीला-हवाली पर नाराजगी जाहिर की थी। 4जी के जमाने में 3जी मोबाइल एक तरफ जहां मोबाइल सेवा प्रदाता मोटे ऑर्डर के लिए कार्यालयों की खाक छान रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इतनी बड़ी संख्या में पुरानी तकनीक वाले बिना सिम के मोबाइल खरीदे जाने की आतुरता भी समझ से परे है। अभी हाल ही में 4जी के जमाने में 3जी मोबाइल के सिमकार्ड से जुड़ा टेंडर फाइनल किया गया है। जिसमें एयरटेल, वोडाफोन और जिओ को सिमकार्ड मुहैया कराने के लिए अधिकृत किया गया। अब जिलों में बकायदा ट्रेनिंग कैंप आयोजित कर इन स्मार्ट फोन का वितरण किया जाएगा। सात जिलों में बांटे जाने हैं स्मार्ट फोन सात जिलों लातेहार, दुमका, पलामू, लोहरदगा, धनबाद, गिरिडीह और कोडरमा में सेविकाओं को स्मार्ट फोन दिया जाना है। हालांकि प्रथम चरण में कुल 18 जिलों का चयन किया गया है।
जिनमें देवघर, हजारीबाग, सरायकेला-खरसावां, साहिबगंज, गुमला, जामताड़ा, गढ़वा, चतरा, पाकुड़, पश्चिम सिंहभूम व देवघर शामिल हैं। स्मार्ट फोन में कॉमन एप्लीकेशन साफ्टवेयर लोड किया जाना है, जिसके माध्यम से पोषाहार से संबंधित सभी जानकारी सेविकाओं को तत्काल मिल जाएगी। पेपरलेस वर्किंग और डिजिटल इंडिया को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। निदेशक बोले, जल्द बांटे जाएंगे फोन महिला, बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग के निदेशक मनोज कुमार स्वीकारते हैं कि स्मार्ट फोन बांटने में कुछ विलंब हुआ है। कहते हैं कि अब स्मार्ट फोन जिलों को मुहैया करा दिए गए हैं। सेविकाओं को ट्रेनिंग देने के साथ ही उन्हें स्मार्ट फोन मुहैया करा दिए जाएंगे।