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शादी में शगुन के रूप में देते हैं सिर्फ 11 रुपये... महंगे गिफ्ट देने पर प्रतिबंध... मारवाड़ी समाज की अनूठी पहल

Unique Marriage Culture कहानी झारखंड के कोडरमा जिले की है। मारवाड़ी समाज ने यहां अनूठी पहल से सबका दिल जीत लिया है। यहां शादी में लोग एक दूसरे को सिर्फ 11 रुपये नेवता देते हैं। महंगे उपहार देने पर पूरी तरह प्रतिबंध है। वर्षों से परंपरा चली आ रही है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Wed, 08 Jun 2022 03:35 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jun 2022 03:37 PM (IST)
Unique Marriage Culture: शादी के शगुन में देते हैं सिर्फ 11 रुपये... महंगे गिफ्ट देने पर प्रतिबंध

कोडरमा (अनूप कुमार)। Marwari Samaj In Jharkhand समाजवाद के प्रवर्तक रहे महाराजा अग्रसेन के आदर्शों पर आज भी चल रहा है झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया शहर का मारवाड़ी समाज। महाराजा अग्रसेन की समाजवादी सोच समाज के लोगों के रग-रग में है। कहते हैं, महाराजा अग्रसेन के राज में आनेवालों को बसाने के लिए एक रुपया और एक ईंट दिए जाने की परंपरा थी, ताकि सभी से एक-एक रुपये सहयोग लेकर व्यापार कर सके और एक-एक ईंट जोड़कर अपना आशियाना बना सकें। लोगों में परस्पर सहयोग की भावना बनी रहे।

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चाहकर भी आप नहीं दे सकते हैं महंगे गिफ्ट

समाज में गरीबी-अमीरी का भेद समाप्त हो और एक-दूसरे के प्रति आदर का समान भाव बना रहे, इसी सोच के तहत झुमरीतिलैया का मारवाड़ी समाज में आज भी शादी-विवाह जैसे शुभ अवसरों पर न्योता यानी शगुन में सिर्फ 11 रुपये ही स्वीकार करता है। चाहकर भी आप महंगे उपहार नहीं दे सकते हैं। जिस घर में शादी है, वह परिवार इसे स्वीकार ही नहीं करेगा। झारखंड के किसी अन्य जिले में ऐसी रोचक परंपरा देखने को नहीं मिलेगी। मारवाड़ी समाज के पूर्व अध्यक्ष श्यामसुंदर सिंघानिया कहते हैं, यह परंपरा करीब 35 साल से चली आ रही है। तब 11 रुपये का कुछ मोल भी हुआ करता था। तब यह सोचकर निर्णय किया गया था कि कोई भी किसी के यहां यह सोचकर जाने में संकोच नहीं करे कि वह दूसरों से कम सामर्थ्य रखता है। गरीबी-अमीरी का भेद नहीं हो। समाज के कार्यक्रमों में सभी लोग शरीक हों।

समाज को जोड़ने के लिए शुरू हुई यह परंपरा

श्यामसुंदर सिंघानिया कहते हैं, आज भले ही 11 रुपये का कोई मोल नहीं, फिर भी यह परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा ने समाज को मजबूती प्रदान की है। सबको जोड़ कर रखा है। भविष्य में इसे बढ़ाने का भी कोई इरादा नहीं है। महंगा उपहार और मोटी रकम से समाज में भेदभाव होगा। लोग 11 रुपये बस एक शगुन के रूप में लेते हैं। बकायदा लिफाफा फाड़कर लोग इसे रजिस्टर में नोट करते हैं। यदि कोई इससे ज्यादा देना चाहे तो उसे वापस कर दिया जाता है।

समधी मिलन के दौरान चार रुपये देने की परंपरा

श्यामसुंदर सिंघानिया के अनुसार, इसी तरह मारवाड़ी समाज की शादी में समधी मिलन की परंपरा है। इसमें भी लड़कीवाले लड़के वाले को सिर्फ 4 रुपये देते हैं। यह रकम लड़के के परिवार के बुजुर्ग सदस्य और लड़के के मामा या नाना को भी दिया जाता है। आजकल इसमें थोड़ा बदलाव हुआ है। कुछ लोग चार चांदी का सिक्का भी देते हैं। लेकिन यहां पर कम ही परिवार ऐसे मिलेंगे जो चांदी का सिक्का देते हैं। ज्यादातर लोग चार रुपये देकर ही रस्म पूरी करते हैं।

शादी में जमकर करते हैं खर्च, लेकिन नहीं लेते दहेज

दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए श्यामसुंदर सिंघानिया बड़े गर्व से कहते हैं कि मारवाड़ी समाज की शादी में दहेज अब लगभग समाप्त हो गया है। बहुत कम ही परिवार ऐसे मिलेंगे जहां दहेज की मांग की जाती हो। दहेज मांगने वाले परिवारों में लोग बेटी की शादी करने से कतराने भी लगे हैं। अच्छा नहीं मानते हैं। हां यह जरूर है कि लोग शादी में सामर्थ्य के अनुसार बढ़चढ़कर खर्च करते हैं। बरात में शामिल सभी लोगों का जमकर स्वागत करते हैं। भाेजन, सजावट, गाजे-बाजे पर बढ़िया से खर्च करते हैं।

कामना- पुरखों की यह परंपरा आगे भी चलती रहे

समाज के वयोवृद्ध समाजसेवी शंकरलाल चौधरी बताते हैं कि मारवाड़ी समाज की शादी में इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है। इसके पीछे लोगों की सोच है कि मेहमानों का स्वागत एक जैसा होना चाहिए। अमीरी-गरीबी के आधार पर कोई भेद नहीं हो। वहीं, किशन संघई कहते हैं कि वर्षों से चली आ रही परंपरा आगे भी जारी रहे, यही कामना है। किसी भी समाज की मजबूती के लिए वहां सभी के प्रति समान आदर का भाव होना चाहिए। इसी के तहत समाज के लोगों पर यह बंधेज है।

झारखंड के झुमरीतिलैया में रहते हैं 500 मारवाड़ी परिवार

उल्लेखनीय हो कि झुमरीतिलैया झारखंड का एक बेहतरीन शहर है। देश दुनिया में कई कारणों से मशहूर है। इस शहर में मारवाड़ी समाज के करीब 500 परिवार निवास करते हैं। अधिकतर लोग कारोबार से जुड़े हैं। इस समाज ने अपने बूते शहर में अग्रसेन भवन, राणी सती सेवा सदन जैसे भवन बना रखे हैं, जहां समाज की गतिविधियां संचालित होती हैं। शादी-विवाह, मृत्यु जैसे सुख-दुख के अवसरों पर सभी एकसाथ खड़े नजर आते हैं।


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