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Jharkhand Coronavirus News : रिम्स के चिकित्सक ढूंढ रहे हैं कोविड की काट

रिम्स के दो वरीय चिकित्सक शोध की दिशा में काम कर रहे हैं। वहीं एलोपैथिक चिकित्सक यूनानी दवा को लेकर शोध कर रहे हैं। इस शोध कार्य के लिए आयुष मंत्रालय ने अपनी मंजूरी दी है। साथ ही शोध के लिए 6 लाख रुपये का अनुदान दिया गया है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 11:31 AM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 11:31 AM (IST)
Jharkhand Coronavirus News : रिम्स के चिकित्सक ढूंढ रहे हैं कोविड की काट
रिम्स के चिकित्सक ढूंढ रहे हैं कोविड की काट। प्रतीकात्मक तस्वीर

रांची (शक्ति सिंह) । दुनिया में कोरोना के टीका को बाजार में लाने के लिए विभिन्न देश युद्ध स्तर पर लगे हुए हैं। इस बीच रांची में रिम्स के दो विशेषज्ञ डॉक्टर यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत कोरोना की काट पर काम करने जा रहे हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इनके शोध के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बल्कि उम्मीद की किरण को देखते हुए 6 लाख रुपये का अनुदान भी दिया है।

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हालांकि शोध करने वाले डॉक्टर यूनानी चिकित्सक  नहीं हैं। पहले चिकित्सक कार्डियोथोरेसिक सर्जन डा अंशुल कुमार और दूसरे क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डा मोहम्मद सैफ  हैं। हालांकि चिकित्सकों ने अपने शोध में कंसलटेंट के लिए एक यूनानी चिकित्सक को जोड़ेंगे।

रिम्स पहले भी शोध में बड़े बड़े काम करते रहा है। भारत सरकार भी रिम्स के टीम का इस्तेमाल बड़े अभियान और शोध कार्यों में करती रही है। जिनका परिणाम बेहतर रहा है

50 मरीजों पर किया जाएगा शोध

शोध 50 मरीजों पर किया जाएगा। शोध 3 तरह के लोगों पर किया जाएगा। पहला  वह  जो पूरी तरह से स्वस्थ है, दूसरा जो बीमार है और तीसरा जो कोविड से ठीक हो चुका है। इन पर यूनानी की दवाइयां चलाई जाएंगी। यूनानी की तीन दवाइयां दी जाएंगी । जबकि उसी तरह ऐसे ही मरीजों पर सामान्य दवाइयां चलाई जाएंगी। दो तरह की चल रही दवाइयों का मरीजों पर कितना असर पड़ रहा है। इस पर टीम शोध करेगी।

प्रत्येक 15 दिनों पर होगी मरीजों की जांच

मरीजों को दवाइयों के असर का शोध करने के लिए प्रत्येक 15-15 दिनों पर उनका सैंपल जांच किया जाएगा। 45 दिनों तक तीन दफा मरीजों की जांच होगी। जांच के बाद आई रिपोर्ट पर यह आकलन किया जाएगा कि कौन सी दवा किस मरीज पर सबसे ज्यादा कारगर है। किस दवा से मरीज की इम्यूनिटी बढ़ी है। जांच में मरीज का लिंफोसाइटस, फेरेटिन, सीआरपी लेवल, एलडीएच लेवल और सीडी 4 व सीडी 8 की जांच की जाएगी।

इन मरीजों पर नहीं किया जाएगा शोध

शोध के दौरान वैसे मरीजों पर नहीं किया जाएगा जिन्हें पहले से ही गंभीर रोग है। साथ ही गर्भवती महिला और बच्चों को इस शोध में नहीं शामिल किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य मरीजों पर शोध किया जाएगा।

5 महीने में शोधकर्ता सौंपेंगे अपनी रिपोर्ट

5 महीने में शोधकर्ता अपनी रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौंप देंगे। शुरुआती डेढ़ महीने मरीजों को दवा दी जाएगी। इस दौरान जो जांच रिपोर्ट आएगी उस पर आकलन कर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेंगे।

पहली बार कोविड पर झारखंड के चिकित्सकों को मिली है शोध की मंजूरी

चिकित्सकों का दावा है की पहली बार आयुष मंत्रालय द्वारा झारखंड के चिकित्सकों को कोविड पर शोध करने की मंजूरी दी गई है। वह भी एलोपैथ के चिकित्सकों के द्वारा।


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