सरना कोड के लिए जागें आदिवासी, नहीं होगा अब और इंतजार
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधि सरना कोड को लेकर 6 दिसंबर को रेल-रोड चक्का जाम करने की तैयारी जोर शोर से कर रहे हैं। इसके तहत विभिन्न इलाकों में समिति द्वारा जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। ...
रांची (जागरण संवादाता) : अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधि सरना कोड को लेकर 6 दिसंबर को रेल-रोड चक्का जाम करने की तैयारी जोर शोर से कर रहे हैं। इसके तहत विभिन्न इलाकों में समिति द्वारा जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है।
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि सरना कोड आदिवासियों का संवैधानिक अधिकार है। सरना समाज का चारों ओर से भटकाव हो रहा है। समाज को सरना कोड लेना है। केंद्र सरकार से सरना कोड मांगना हमारा नैतिक अधिकार भी है। इसलिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए रेल-रोड चक्का जाम का निर्णय सही है। इसके लिए समाज के सभी लोगों का समर्थन मिल रहा है। विभिन्न स्थानों पर जन जागरण चलाकर सहयोग लिया जा रहा है और लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। सरना कोड के लिए आदिवासी समाज को जागना होगा। नहीं तो फिर दस वर्ष का इंतजार करना होगा।
संजय तिर्की ने कहा कि हमारी पहचान नहीं रहने के कारण हमारा समाज, धर्म, रीति-रिवाज विलुप्त होने के कगार पर है जिससे आदिवासियों का अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। आदिवासी भारत देश के मूलवासी हैं। राजनीतिक षड्यंत्र के तहत आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने समाज से अपील की है कि 6 दिसंबर को आहूत रेल-रोड चक्का जाम को सफल बनाने में सहयोग करें। इस बैठक में सरना समिति के उपाध्यक्ष लालू राम उरांव, सिल्ली सरना समिति के सचिव गदुरां उरांव, वसुदेव सिंह मुंडा, शंकर उरांव, केंद्रीय सरना समिति के संजय तिर्की, प्रमोद एक्का, प्रशांत टोप्पो, सूरज तिग्गा, गंगा बोइंग बेड़ा पंचायत गंगा घाट के मुखिया मालती मुंडा सहित अन्य शामिल थे।