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झारखंड में क्यों घट रहे आदिवासी, पड़ताल में जुटी सरकार

झारखंड में आदिवासियों की घटनी आबादी ने सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, आजादी के इन सात दशकों में राज्य में आदिवासियों की आबादी 9.27 फीसद घट गई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 01:12 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 04:28 PM (IST)
झारखंड में क्यों घट रहे आदिवासी, पड़ताल में जुटी सरकार
झारखंड में क्यों घट रहे आदिवासी, पड़ताल में जुटी सरकार

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में क्रमिक रूप से घटती जा रही आदिवासियों की आबादी ने सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है। घटती आबादी की मूल वजहों की तलाश करने के लिए गठित जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की उप समिति इसकी पड़ताल में 26 जून से संताल परगना प्रमंडल के अध्ययन दौरे पर जाएगी। 30 जून तक दुमका, पाकुड़ और साहिबगंज का दौरा कर ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता वाली उप समिति इससे जुड़े तथ्यों का संग्रह करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।

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मंगलवार को इस मसले पर मंत्रणा करने के लिए आयोजित उप समिति की दूसरी बैठक में यह निर्णय लिया गया। तय हुआ कि उप समिति अपने अध्ययन के दौरान संबंधित जिलों के बुद्धिजीवियों, आदिवासी संगठनों, जनजातीय विकास के क्षेत्र में काम कर रही गैर सरकारी संस्थाओं आदि से भी परामर्श करेगी। मौके पर कल्याण विभाग की ओर से संग्रह किए गए आंकड़े पेश किए गए, जो काफी चौंकाने वाले निकले। रिपोर्ट के अनुसार आजादी के इन सात दशकों में राज्य में आदिवासियों की आबादी 9.27 फीसद घट गई।

जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की पिछले साल तीन अगस्त को हुई बैठक में आदिवासियों की घटती आबादी के कारणों और उसके रोकथाम के लिए उप समिति का गठन किया गया था। बैठक में बतौर उप समिति के सदस्य विधायक ताला मरांडी और गंगोत्री कुजूर के अलावा आदिवासी कल्याण आयुक्त गौरी शंकर मिंज ने शिरकत की।

यूं घटी आबादी
वर्ष आदिवासियों का
प्रतिशत
1951 35.8
1991 27.66
2001 26.30
2011 26.11
(आदिम जनजातियों की संख्या में अन्य जनजातियों की अपेक्षा अधिक कमी देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के अनुसार 2001 में इनकी संख्या जहां 3,87,000 थी, वहीं 2011 में इनकी आबादी 2,92,000 हो गई)।

इन बिंदुओं पर पड़ताल 
- रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले आदिवासी परिवार वापस लौटे अथवा नहीं।
-अनुसूचित जनजातियों में जन्म और मृत्यु दर की मौजूदा स्थिति।
-खेती-बाड़ी के बाद बहुत से आदिवासी परिवार बाहर चले जाते हैं। सामान्य तौर पर उनकी अनुपस्थिति में जनगणना होती है। आबादी के आंकड़े में कहीं इसका प्रभाव तो नहीं पड़ रहा।
-किन-किन जिलों के किन-किन क्षेत्रों में आबादी में अधिक गिरावट दर्ज की गई।


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