नीम, गिलोय व हरसिंगार से कर सकते हैं चिकनगुनिया और डेंगू का इलाज
आयुर्वेद में वायरस आधारित बीमारियों का भी है अचूक इलाज
जागरण संवाददाता, रांची : डेंगू व चिकनगुनिया के बढ़ते कहर के बीच आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में तीन दशक से शोध कर रहे प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. सुरेश अग्रवाल इसका आसान समाधान लेकर आए हैं। विभिन्न रिसर्च और खुद के मरीजों पर आजमाए इलाज का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एलौपैथ के प्रैक्टिशनर आम तौर पर डेंगू, चिकनगुनिया समेत ज्यादातर बीमारियों में एंटीबायोटिक दवा दे देते हैं, जिसके नुकसान ज्यादा हैं और फायदे नहीं के बराबर। एक समस्या और है कि डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, मिजल्स, स्मॉल पॉक्स, चिकन पॉक्स, कोल्ड फ्लू आदि वायरस आधारित बीमारियों के इलाज के लिए एलोपैथ में कोई कारगर इलाज नहीं है। इनके टीके तो उपलब्ध हैं लेकिन कोई प्रभावी एंटीवायरल दवा नहीं है। हमारी पुरातन आयुर्वेद पद्धति में सभी तरह के फ्लू और वायरल बीमारियों समेत ज्यादातर बीमारियों का आसान इलाज उपलब्ध है। ये उपाय ऐसे हैं जिन्हें जरा सी मेहनत कर कोई भी घरेलू नुस्खे की तरह इस्तेमाल कर सकता है। अगर बाजार से भी खरीदना पड़े तो कम कीमत में उपलब्ध है। सबसे अहम बात यह है कि ये इलाज शर्तिया हैं।
डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार चिकनगुनिया, डेंगू या किसी भी वायरल बीमारी में गिलोय का तना और नीम, हरसिंगार, तुलसी व कालमेघ की पत्तियां रामवाण साबित होती हैं। इनमें से किसी एक का भी उपयोग किया जा सकता है और सबके मिश्रण का भी उपयोग खाली पेट में दो बार करने से मरीज ठीक हो जाता है। इन औषधियों की गोलियां और चूर्ण भी बाजार में उपलब्ध हैं।
डॉक्टर अग्रवाल जहां हमेशा बुखार के लिए दवा खाने या डॉक्टरों द्वारा दवा दिए जाने की सलाह को गलत ठहराते हैं वहीं एंटीबायोटिक के सभी बीमारियों में प्रयोग को भी घातक बताते हैं। वे कहते हैं कि बुखार आम तौर पर शरीर का मित्र होता है, क्योंकि बढ़े हुए तापमान में बीमारियों के कारण वायरस नष्ट हो जाते हैं और शरीर का रोग प्रतिरोधक सिस्टम उस वक्त बेहतर काम करता है। जबतक बहुत ज्यादा बुखार न हो, दवा देना गलत और अवैज्ञानिक है। गीली पंिट्टयां सर पर रखना या गीले कपड़े से शरीर पोंछने जैसे हमारे पारंपरिक समाधान बहुत कारगर हैं। गिलोय, कालमेघ आदि औषधियां बुखार को वैज्ञानिक तरीके से धीरे-धीरे उतारती हैं। ------------
चिकनगुनिया ठीक होने के बाद शुरू होता है जोड़ों का दर्द, गिलोय से कर सकते हैं ठीक डॉ. अग्रवाल के अनुसार चिकनगुनिया ठीक हो जाने के बाद भी 50-60 प्रतिशत मरीजों में जोड़ों का दर्द शुरू हो जाता है। इसे भी गिलोय या ऊपर बताए गए औषधीय पौधों के पत्तों के मिश्रण के सेवन से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए अमृता, श्यौनाक, पिप्पली, पिप्पलामूल, नागरमोथा, यष्टिमधु, चित्रक, सौंठ, हरसिंगार के पत्ते, बलायचांग, गोकुलकांटा व लघुपंचमूल का मिश्रित काढ़ा सेवन कर ठीक किया जा सकता है।