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बसों का परिचालन बंद होने की घोषणा से परिवहन उद्योग में चिता, फिर भी लॉकडाउन के पक्ष में संचालक

झारखंड सरकार द्वारा 16-27 मई तक राज्य में बसों का परिचालन बंद रखने की घोषणा की गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 08:36 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 08:36 AM (IST)
बसों का परिचालन बंद होने की घोषणा से परिवहन उद्योग में चिता, फिर भी लॉकडाउन के पक्ष में संचालक
बसों का परिचालन बंद होने की घोषणा से परिवहन उद्योग में चिता, फिर भी लॉकडाउन के पक्ष में संचालक

जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड सरकार द्वारा 16-27 मई तक राज्य में बसों का परिचालन बंद करने की घोषणा करने के बाद से परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोग चितित हैं। राजधानी रांची के खादगढ़ा स्थित बिरसा मुंडा बस टर्मिनल से रोजाना 300-400 बसों का परिचालन झारखंड के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के लिए होता था। लेकिन कोरोना के चलते जारी स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू होने के बाद से इन राज्यों को जाने वाली बसों के परिचालन में 80-90 फीसदी की कमी आई है। इन दिनों जिन बसों का परिचालन हो भी रहा है, उनमें यात्रियों की संख्या आधी से कम ही रहती है।

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कभी सुबह से देर रात तक गुलजार रहने वाले इस अंतरराज्यीय बस अड्डे पर गुरुवार को बसें तो कई खड़ी दिखीं, लेकिन उनमें यात्रा करने वाले लोगों की संख्या नाममात्र की थी।

कोरोना संक्रमण के खौफ के कारण लोग अब स्वयं बसों से यात्रा करने से कतराने लगे हैं। इधर, इस दौरान बस टर्मिनल से घोषणा कर यात्रियों को लगातार सचेत किया जा रहा है कि वे यात्रा के दौरान मास्क पहन कर शारीरिक दूरी का पालन करते रहें और समय-समय पर हाथों को सैनिटाइज करते रहें।

परिवहन व्यवसाय से जुड़े मो. अशरफ ने कहा कि पता चला है कि सरकार द्वारा 16 से 27 मई तक अंतरराज्यीय बसों के साथ ही स्थानीय बसों का परिचालन बंद करने की घोषणा की गई है। इसे 27 मई तक लागू किया गया है। इससे परिवहन व्यवसाय पर और भी असर पड़ेगा। क्योंकि पिछले साल जब कोरोना की वजह से कई महीनों तक परिवहन व्यवसाय बंद रहा था। पिछले तीन-चार महीने से हालात सुधर रहे थे लेकिन अब फिर वहीं हाल हो गया।

गफ्फार हुसैन ने कहा कि जनहित में सरकार का यह फैसला सर्वथा उचित है। लेकिन इस फैसले से परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों पर अच्छा-खासा फर्क पड़ेगा। बस मालिक पुतुल चंद्र ने कहा कि उम्मीद है कि दो सप्ताह के लाकडाउन के बाद स्थिति में सुधरने पर सरकार परिवहन उद्योग को कुछ ढील दे। ताकि इस व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों की रोजी रोटी चल सके।


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