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Jharkhand: साहब की मीटिंग में पान चबा रहे थे गोड्डा के सिविल सर्जन, हो गया ट्रांसफर

Jharkhand News Political Update झारखंड स्वास्थ्य विभाग ने गोड्डा के सिविल सर्जन से मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। अपर मुख्य सचिव की वीडियो कांफ्रेंसिंग में पान चबाते पकड़े गए थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ही सिविल सर्जन को जमकर फटकार लगाई गई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 03:12 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 06:33 AM (IST)
Transfer of Godda Civil Surgeon वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ही सिविल सर्जन को जमकर फटकार लगाई गई थी।

रांची, राज्य ब्यूरो। गोड्डा के सिविल सर्जन डाॅ. शिव प्रसाद मिश्रा पिछले दिनों राज्य स्तरीय बैठक में पान चबाते पाए गए और नप गए। तत्काल प्रभाव से उनका ट्रांसफर तो हो ही गया, स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह द्वारा कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने को लेकर पिछले माह पांच जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग की जा रही थी। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई उस बैठक में गोड्डा के सिविल सर्जन पान चबा रहे थे।

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अपर मुख्य सचिव ने उन्हें बैठक में पान खाते पकड़ लिया। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ही सिविल सर्जन को जमकर फटकार लगाई तथा पान थूककर बैठक में शामिल होने को कहा। साथ ही उन्होंने सिविल सर्जन को स्पष्टीकरण पूछने का आदेश विभागीय पदाधिकारियों को दिया। उनके निर्देश पर डॉ. मिश्रा से स्पष्टीकरण भी पूछा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अब स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने गोड्डा सिविल सर्जन को अंतिम स्मार पत्र भेजते हुए स्पष्टीकरण देने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

रिम्स के संविदाकर्मियों ने रघुवर दास से की मुलाकात

रिम्स के संविदाकर्मियों ने रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से भाजपा प्रदेश कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। रघुवर ने संविदा कर्मियों को भरोसा दिलाया कि भाजपा उनके साथ खड़ी है। यदि उनके साथ न्याय नहीं होता है तो भाजपा उनके हक के लिए आवाज उठाएगी। कहा कि झारखंड की असंवेदनशील सरकार का एक और कारनामा सामने आया है।

कोरोना महामारी के दौरान काम करने वाले लगभग 800 स्वास्थ्य कर्मियों को निकाल दिया गया और उन्हें भुगतान भी नहीं किया गया। दूसरी लहर जिस समय पीक पर थी, उस समय इन स्वस्थ कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सेवा की और कई लोगों की जान बचाई। उन्हें पुरस्कृत करने की जगह राज्य सरकार इन्हें काम से निकाल रही है।


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