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Tokyo Olympic: बड़े टूर्नामेंट में पदक जीतने से युवा खेलों की ओर आकर्षित होंगे

टोक्यो ओलिंपिक में भारत को शूटिंग स्पर्धा में पदक की ज्यादा उम्मीद थी। हो भी क्यों ना पिछले कुछ वर्षों से भारतीय शूटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया था। लेकिन अब तक हुए मुकाबलों में भारतीय टीम की झोली खाली ही रही है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 02:31 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 02:31 PM (IST)
Tokyo Olympic: बड़े टूर्नामेंट में पदक जीतने से युवा खेलों की ओर आकर्षित होंगे
Tokyo Olympic: बड़े टूर्नामेंट में पदक जीतने से युवा खेलों की ओर आकर्षित होंगे। जागरण

रांची, जासं। टोक्यो ओलिंपिक में भारत को शूटिंग स्पर्धा में पदक की ज्यादा उम्मीद थी। हो भी क्यों ना पिछले कुछ वर्षों से भारतीय शूटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया था। लेकिन अब तक हुए मुकाबलों में भारतीय टीम की झोली खाली ही रही है। टोक्यो ओलिंपिक के पहले दिन पदक के प्रबल दावेदार सौरभ चौधरी सातवें स्थान पर रहे। अभिषेक वर्मा 17वें स्थान पर रहे। वहीं रविवार को दस मीटर एयर पिस्टल में मनु भाकर और यशस्वनी क्रमश: 12वें व 13वें स्थान पर रही। स्कीट स्पर्धा में आनंद वीर सिंह बाजवा 18वें और मैराज अहमद 25वें स्थान पर रहे।

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राष्ट्रीय शूटर विभूति सिंह ने बताया कि पूरे देश की तरह यहां के युवा शूटरों को उम्मीद थी कि भारतीय निशानेबाज बेहतर करेंगे लेकिन अभी तक भारत की झोली खाली है। उन्होंने कहा कि जब आप खेलते हो तब यह मायने नहीं रखता कि आपकी रैंकिंग क्या है और कितने पदक जीत चूके हैं। वहां मायने रखता है कि उस दिन आप वहां कैसा प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि आप वहां के माहौल व मौसम के अनुरुप कैसे ढलते हैं। भारतीय निशानेबाजों को भी वहां तालमेल बैठाने में परेशानी हो रही होगी। लेकिन अभी भी उम्मीदें बाकी हैं।

रांची जिला शूटिंग संघ के अध्यक्ष विनय सिंह ने कहा ओलंपिक जैसे मंच पर भाग लेना ही बड़ी बात है। लेकिन जब आप बड़े टूर्नामेंट में भाग लेते हैं तो युवा भी इन खेलों से जुड़ेंगे। ओलंपिक में पदक जीतने का मतलब है कि झारखंड जैसे छोटे राज्यों के खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाती है।

झारखंड राज्य रायफल संघ के पूर्व महासचिव संजेश मोहन ठाकुर ने कहा कि जब रांची में नेशनल गेम्स का आयोजन हुआ था तब यहां कई युवा शूटर सामने आए थे। उसी तरह अगर ओलिंपिक में भारतीय निशानेबाज पदक जीतेंगे तो इस खेल के विकास में वह मील का पत्थर साबित होगा।


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