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झारखंड में जैविक कृषि की अपार संभावनाएं, व्यापक नीति की जरूरत

राज्य के 15 जिले में 250 किसानों के साथ जैविक कृषि पर प्रदान एवं झारखंड सीएसओ फोरम के सदस्यों द्वारा विगत एक वर्ष से एक्शन रिसर्च पायलट लिया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम रहे हैं। व्यापक नीति व कार्यक्रम की आवश्यकता है ताकि राज्य रसायनमुक्त खेती की ओर बढ़े।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Sun, 31 Oct 2021 03:15 PM (IST)Updated: Sun, 31 Oct 2021 03:15 PM (IST)
झारखंड में जैविक कृषि की अपार संभावनाएं, व्यापक नीति की जरूरत
किसानों के द्वारा किया जा रहा एक्शन रिसर्च पायलट काफी सफल प्रयास

रांची (जासं) प्रदान एवं झारखंड सीएसओ फोरम के संयुक्त तत्वावधान में कांके स्थित स्थानीय सभागार में आयोजित जैविक कृषि पर राज्य स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. शिवेंद्र कुमार उपस्थित रहे। अतिथियों ने पुनर्जीवित खेती पर प्रदान द्वारा तैयार की गई पुस्तक का विमोचन किया। इस दौरान बताया गया कि राज्य के 15 जिले में 250 किसानों के साथ जैविक कृषि पर प्रदान एवं झारखंड सीएसओ फोरम के सदस्यों द्वारा विगत एक वर्ष से एक्शन रिसर्च पायलट लिया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम रहे हैं।

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डा. शिवेंद्र कुमार ने दूरदराज से आई महिला एवं पुरुष किसानों को उनके जैविक कृषि के प्रयोग में साझेदारी के लिए प्रशंसा की। उन्होंने पुनर्जीवित कृषि पर किए जा रहे इस अनूठे रिसर्च के लिए सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रयास की सराहना करते हुए कहा की झारखंड में जैविक कृषि की अपार संभावनाएं हैं। व्यापक नीति एवं कार्यक्रम की आवश्यकता है, ताकि राज्य रसायनमुक्त खेती की ओर बढ़ सकें।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक बालकृष्ण झा ने कहा कि झारखंड में जैविक खेती के कई सफल प्रयोग हुए हैं। इन सभी प्रयोगों को देखते हुए राज्य को जैविक खेती वाले राज्य के रूप में बदलने का पूर्ण अवसर है। सरकार, सिविल सोसाइटी, तकनीकी एवं रिसर्च संस्थानों के संयुक्त प्रयास से इसे सफल किया जा सकता है।

इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन विवेकानंद रिसर्च विश्वविद्यालय के डा. अविजित दत्ता ने कहा कि किसानों के द्वारा किया जा रहा यह एक्शन रिसर्च पायलट काफी सफल प्रयास है। इसे और व्यापक स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है। कार्यशाला में शामिल दुमका प्रखंड के किसान महेश मुर्मू ने कहा कि पुनर्जीवित खेती के बहुस्तरीय एवं मिश्रित खेती के माध्यम से आमदनी के साथ-साथ घर के लिए सालों भर पोषणयुक्त एवं रसायनमुक्त शाक-सब्जी मिला है और इससे परिवार में समृद्धि आई है।

कार्यशाला में पटमदा से गायत्री महतो, छत्तरपुर पलामू से सावित्री देवी, दुर्योधन नगेशिया, प्रकाश करमाली, श्यामसुंदर  सहित 40 किसान उपस्थित थे।  कार्यक्रम का संचालन प्रदान के कार्यक्रम समन्वयक नित्यानंद दहल एवं सुतार ने किया।


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