संविदाकर्मियों की सेवा नियमितीकरण में अभी ढेरों अड़चनें
संविदाकर्मियों की सेवा नियमितीकरण में अभी ढेरों अड़चनें
रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ठेके और दैनिक वेतन पर काम कर रहे कर्मियों को नियमित करने को लेकर कई बार बयान दे चुके हैं और इसके लिए अलग से कमेटी का गठन भी हो चुका है लेकिन अभी भी इसमें ढेरों अड़चनें हैं। सबसे पहली बाधा है सरकार के पास सूचनाओं का अभाव होना। विभिन्न विभागों में अनियमित तौर पर कार्यरत कर्मियों की संख्या को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट तस्वीर सरकार के पास नहीं है। सरकार की ओर से कार्मिक विभाग ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रधान सचिव को पत्र लिखकर ऐसे कर्मियों की सूची तलब की है, लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट का आदेश का अनुपालन भी सुनिश्चित करना होगा। इस आदेश के अनुसार उन्हीं लोगों की सेवा नियमित हो सकेगी जिनकी नियुक्ति रिक्त पद के विरुद्ध हुई हो और जिन्होंने काम करते हुए कम से कम दस वर्ष पूरे कर लिए हों। इस संदर्भ में पहले से ही नियमितीकरण नियमावली बनकर तैयार है जिसका पूरा अनुपालन करना होगा।
सूत्रों के अनुसार राज्य में डेढ़ लाख से अधिक अनियमित कर्मी कार्यरत हैं। इनमें पारा शिक्षक और पारा हेल्थ वर्कर तक के नाम शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न विभागों में संविदा के आधार पर नियुक्त कर्मी भी मौजूद हैं। इनमें से कई नियमावली में दर्ज बातों के अनुकूल नहीं हैं। कुछ कर्मियों को इसका लाभ भी मिलेगा लेकिन इसमें समय लग सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार कर्मियों को नियमित नहीं कर पाने की स्थिति में मानदेय बढ़ोतरी पर भी विचार कर सकती है। एक समान कार्य के लिए एक समान वेतन के सिद्धांत पर संविदा कर्मियों का मानदेय बढ़ाए जाने की चर्चा भी साथ-साथ चल रही है।
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दो नवंबर को विकास आयुक्त ने फिर बुलाई बैठक
संविदा कर्मियों की सेवा को नियमित करने के लिए बनी कमेटी की बैठक एक बार फिर दो नवंबर को होगी। विकास आयुक्त के स्तर पर बुलाई गई बैठक में कार्मिक, वित्त और विधि विभाग के सचिव भी मौजूद होंगे। पिछली बैठक में सभी अधिकारी नहीं पहुंच पाए थे। इस बार भी विभिन्न विभागों में कर्मियों की संख्या उपलब्ध होने के बाद कमेटी ठोस निर्णय की दिशा में आगे कदम बढ़ाएगी।