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जान लेने-देने का खूब चला खेल, घर में कैद है भालू

रविवार को नगड़ी प्रखंड में एक अजीब-गरीब घटना हुई। यहां एक भालू ने पहले

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 08:52 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 09:24 PM (IST)
जान लेने-देने का खूब चला खेल, घर में कैद है भालू

पिस्कानगड़ी : रविवार को नगड़ी प्रखंड में एक अजीब-गरीब घटना हुई। यहां एक भालू ने पहले एक व्यक्ति पर हमला किया, पर कुत्तों के झुंड ने भालू पर हमला करके उसे बचा लिया। पर भालू भागते हुए एक कुएं में गिर गया। ग्रामीणों ने कुएं में रस्सी के सहारे कुएं में बांस डाल दिया। इससे निकलकर भालू भागकर गांव में घुस गया। भालू घर में साढ़े आठ बजे घुसा, जिसे रात लगभग सवा नौ बजे निकाला जा सका। लगभग 14 घंटे तक ग्रामीण परेशान रहे।

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जानकारी के अनुसार रविवार को नगड़ी प्रखंड के डुमरटोली गांव में एक जंगली भालू आ धमका। इसी दौरान लगभग छह बजे साहेर गाव के किसान सुधीर कुमार सुबह साढ़े छह बजे अपने बासिला गाव स्थित खेत में मकई देखने गए थे। बसिला गांव डुमरटोली से सटा हुआ है। वहां से खेत देखकर लौटने के दौरान अचानक भालू ने सुधीर पर हमला कर दिया। संयोग था कि बगल में कुत्तों का झुंड था, जिसने भालू पर हमला कर दिया। इससे घबराकर भालू वहां से भागा। पर, डूमर टोली के एक कच्चे कुएं में गिर गया। ग्रामीणों ने कुएं में बास और रस्सी बाधकर छोड़ दिया। उसे पकड़कर भालू कुएं से बाहर निकाल गया और भागते हुए गाव पहुंचा और मादी मुंडा के घर में घुस गया। ग्रामीणों पहले तो भालू को निकालने का प्रयास किया, पर नहीं निकलने पर वन विभाग को इसकी सूचना दी। सूचना पर वनपाल मनोज कुमार और उप वनपाल विकास कुमार घटनास्थल पर पहुंचे और पूरे घर को सील कर दिया। साथ ही घर के बाहर पिजड़ा लगा दिया। बाद में भालू को निकलने के बाद वन विभाग की टीम ने उसे पिजरे में कैद कर दिया। उसे ओरमांझी स्थित बिरसा जैविक उद्यान में ले जाने की तैयारी चल रही थी।

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पूर्व में भी इटकी के कुएं में गिर चुका है यही भालू

बताया जाता है कि क्षेत्र में एक ही भालू है, जो लोगों पर हमला करता है। पूर्व में भी यह भालू इटकी थाना क्षेत्र के बिधानी गाव स्थित एक कुएं में गिर गया था। वहां से निकलने के बाद यह नगड़ी प्रखंड में आया है।

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भालू को कुएं में निकालने की इनकी रही भूमिका

भालू को कुएं से निकलने में स्थानीय ग्रामीण नीरज शाही, अमन शाही, लक्ष्मण कुमार, अतेश शाही, कृष्णा उराव, लालदेव उराव, बिरसा मुंडा, परमा महतो, दुबराज महतो, अयता उराव, शकर प्रजापति का सराहनीय सहयोग रहा।


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