Move to Jagran APP

मछली पालन के नाम पर हो रहा मछली पकड़ने का खेल

- अगस्त 2019 में रांची नगर निगम ने की थी कांके डैम समेत छह तालाबों की बंदोबस्ती की गई है। अरगोड़ा तालाब में मछली पकड़ने का खेल चलता है। 700 रुपये प्रति व्

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 10:22 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 10:22 PM (IST)
मछली पालन के नाम पर हो रहा मछली पकड़ने का खेल
मछली पालन के नाम पर हो रहा मछली पकड़ने का खेल

- अगस्त 2019 में रांची नगर निगम ने की थी कांके डैम समेत छह तालाबों की बंदोबस्ती

loksabha election banner

700 रुपये प्रति व्यक्ति अरगोड़ा तालाब में दिन भर मछली पकड़ने के लिए जाते हैं 300 से लेकर 500 रुपये तक शहर के दूसरे तालाबों में बंसी से मछली पकड़ने के लिए जाते हैं

::::::::::::::::::::::::::::::::::

जागरण संवाददाता, रांची : रांची नगर निगम क्षेत्र में तालाबों की बंदोबस्ती के नाम पर मछली पकड़ने का खेल हो रहा है। अरगोड़ा तालाब में बंशी से दिनभर मछली पकड़ने के लिए प्रति व्यक्ति सात सौ रुपये लिए जाते हैं। शहर के हर तालाब में यह खेल हो रहा है। फिर भी रांची नगर निगम के अधिकारी इस खेल से अनजान हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो तालाबों में मछली पकड़ने के खेल में काफी फायदा है। तालाब में लोगों को मछली मिले या न मिले, दिनभर के लिए तय राशि का भुगतान तो करना ही पड़ता है। बंशी से मछली पकड़ने वालों के लिए सबसे महंगा अरगोड़ा तालाब है। अन्य तालाबों में इस खेल के लिए प्रति व्यक्ति तीन सौ से लेकर पांच सौ तक लिए जाते हैं। ::::::::::::::::

मछली पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी तालाबों की बंदोबस्ती

डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय की पहल पर रांची नगर निगम के आठ तालाबों व कांके डैम की बंदोबस्ती के लिए अगस्त 2019 में टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई थी। हालांकि बंदोबस्तधारी तालाब में मछली पालन को बढ़ावा देने की जगह मछली पकड़ने का खेल कर प्रतिदिन अवैध कमाई कर रहे हैं।

:::::::::::::::::::

धुमसा टोली तालाब की नहीं हुई बंदोबस्ती

धुमसा टोली तालाब के लिए अब तक एक भी बंदोबस्तधारी सामने नहीं आए। तालाब में पानी है ही नहीं। स्थानीय लोग पाइप लाइन के पानी से तालाब में पानी डाल रहे हैं। कभी यह तालाब शहर की शान हुआ करता था। तालाब के पानी में अपार्टमेंटों की छवि दिखाई देती थी। फिलहाल तालाब के चारों किनारे सूख चुके हैं। तालाब के किनारे मूर्तियों के अवशेष भी पड़े हुए हैं।

:::::::::::::::::

कडरू तालाब में हो रहा घोंघा पालन

कडरू तालाब का जलस्तर गर्मी की आहट से पूर्व ही घट चुका है। तालाब परिसर के बीच में ही पानी बचा हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि फिलहाल इस तालाब में घोंघा पालन हो रहा है।

::::::::::::::

बंदोबस्ती की शर्ते

- 03 वर्षो के लिए होगी तालाब की बंदोबस्ती, अर्थात 01.09.2019 से 31.08.2022 तक।

-

10 फीसद प्रतिवर्ष के हिसाब से बंदोबस्त की राशि का भुगतान करना होगा

- तालाब एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में निर्मित संरचना का रख-रखाव व साफ-सफाई की जिम्मेदारी बंदोबस्तधारी या सहयोग समिति की होगी।

- बंदोबस्तधारी की ओर से हरसंभव प्रयास किया जाएगा कि तालाब प्रदूषित न हो। तालाब प्रदूषित पाए जाने पर नगर आयुक्त को जुर्माना लगाने का अधिकार होगा।

- तालाब में आयोजित होने वाले पर्व-त्योहार को बंदोबस्तधारी द्वारा बाधित नहीं किया जाएगा।

::::::::::::

तालाबों का नाम बंदोबस्तधारी का नाम बंदोबस्ती की राशि

कांके डैम - बलीराम प्रसाद - 1,11,000

बनस तालाब - मेसर्स स्वास्ति कंस्ट्रक्शन - 40,000

अरगोड़ा तालाब - विनोद कच्छप - 82,000

दिव्यायन तालाब - रौशन प्रसाद - 30,000

हातमा बस्ती तालाब - संजय मुंडा - 28,000

तेतर टोली तालाब - रौशन प्रसाद - 30,000

कडरू तालाब - मंजू देवी - 90,500 कोट ::

तालाब के साथ मजाक किया जा रहा है। तालाब की बंदोबस्ती मछली पालन को बढ़ावा देने व तालाब की साफ-सफाई के उद्देश्य से की गई थी। इस मामले की सत्यता की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.