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    तिलैया डैम पर 1955 में सबसे पहले जारी किया गया था डाक टिकट

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 13 Oct 2021 06:30 AM (IST)

    क्या आप जानते हैं झारखंड में सबसे पहले किस पर डाक टिकट जारी किया गया था।

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    तिलैया डैम पर 1955 में सबसे पहले जारी किया गया था डाक टिकट

    जासं, रांची : क्या आप जानते हैं झारखंड में सबसे पहले किस पर डाक टिकट जारी किया गया था। या फिर झारखंड की कौन-कौन सी शख्सियत पर डाक टिकट जारी किए गए हैं। दरअसल, वर्ष 1955 में झारखंड से संबंधित पहला डाक टिकट जारी हुआ था। तब से लेकर अब तक कुल 14 टिकट जारी किए गए हैं। राज्य का पहला डाक टिकट तिलैया डैम पर जारी किया गया था। राज्य का दूसरा डाक टिकट सिदरी पर 26 जनवरी 1955 को जारी हुआ था। सिदरी की प्रसिद्धि उर्वरक कारखाने के रूप में रही थी। हालांकि वर्ष 2002 में यह बंद हो गई। इसके अलावा एसीसी और इस्को कंपनी है। स्टील इंडस्ट्री ऑफ इंडिया पर 1 मार्च 1958 को राज्य से संबंधित तीसरा डाक टिकट जारी हुआ था।

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    राज्य से संबंधित चौथा डाक टिकट जमशेदजी टाटा पर 7 जनवरी 1965 को जारी किया गया। जमशेदजी टाटा भारत के महान उद्योगपति तथा विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप के संस्थापक थे। देश में बड़े पैमाने पर पहला कारखाना 1907 ई. में जमशेदजी टाटा द्वारा बिहार (अब झारखंड) के साकची नामक स्थान पर स्थापित किया गया था। 29 साल बाद जेआरडी टाटा पर 29 नवंबर 1994 को डाक टिकट जारी हुआ था। जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा भारत के वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगों के अग्रणी थे। जेआरडी टाटा दशकों तक टाटा ग्रुप के निदेशक रहे। इस्पात, इंजीनियरिग, होटल, वायुयान और अन्य उद्योगों के विकास का श्रेय उन्हें जाता है। 1932 में उन्होंने टाटा एयरलाइंस शुरू की। उन्हे वर्ष 1957 मे पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। प्रोजेक्ट टाइगर पर जारी किया गया था डाक टिकट

    प्रोजेक्ट टाइगर पर आधारित छठा डाक टिकट 22 नवंबर 1983 को जारी किया गया था। भारत में बाघों की वास्तविक आबादी को बरकरार रखने के लिए केंद्र ने 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर को लांच किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत बेतला नेशनल पार्क में बाघों के संरक्षण से जुड़ी योजना को लागू किया गया था। दरअसल, बेतला नेशनल पार्क देशभर में पहला नेशनल पार्क था जिसका चयन पूरे देश में सबसे पहले बाघों के संरक्षण करने के लिए किया गया। इंडियन ट्रीज पर सातवां डाक टिकट 19 नवंबर 1987 को जारी किया गया। धरती आबा पर 1988 में जारी किया गया था डाक टिकट : भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर 1988 को डाक विभाग ने उन पर डाक टिकट जारी किया था। बिरसा मुंडा का जन्म खूंटी जिले के उलीहातु गांव में 15 नवम्बर 1875 में हुआ था। बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के ऐसे नायक रहे, जिन्होंने न सिर्फ आदिवासियों के हितों के लिए संघर्ष किया बल्कि तब के अंग्रेजी शासन से लड़ाई भी लड़ी। 2002 में शहीद सिदो-कान्हो मुर्मू पर डाक टिकट जारी किया गया था। सिदो-कान्हो के नेतृत्व में ही संताल विद्रोह हुआ था जिसे हम हूल दिवस के रूप में मनाते हैं। अब तक इन पर जारी हुआ है डाक टिकट

    नाम कब जारी हुआ

    तिलैया डैम 1955

    सिदरी 1955

    स्टील इंडस्ट्री आफ इंडिया 1958

    जमशेद जी टाटा 1965

    फ्लावरिग ट्रीज 1981

    प्रोजेक्ट टाइगर 1983

    इंडियन ट्रीज 1987

    बिरसा मुंडा 1988

    जेआरडी टाटा 1994

    इंडियन फार्मास्यूटिकल कांग्रेस एसोसिएशन 1998

    गणतंत्र के 50 वर्ष होने पर 2000

    ब्लैक बक 2000

    माइंस सेफ्टी 2002

    सिदो -कान्हू 2002 30 हजार से अधिक डाक टिकटों का है कलेक्शन

    शहर के फिलाटेलिस्ट सत्यदेव के अनुसार आधुनिक युग में डाकघर को लोग भूलते जा रहे हैं। बचपन से ही उन्हें डाक टिकटों से बड़ा प्रेम रहा है। अब तक कुल 30 हजार टिकट कलेक्शन किए हैं। जिसमें आजादी से 20 वर्ष पहले के भी टिकट शामिल हैं। सत्यदेव कहते हैं कुछ दशक पहले जब डाकिया हमारे मोहल्ले में आता था, तो मेरी नजर लिफाफे पर चिपके डाक टिकट में होती थी। मैं उसे किसी भी तरह प्राप्त करना चाहता था। अभी मेरे पास 30 हजार से अधिक डाक टिकट हैं। मुझे डर लगता है कि बदलते जमाने के दौर में कहीं या बंद ना हो जाए। लोगों को आकर्षित करता है स्पेशल कवर

    : शहीद चौक स्थित जीपीओ के फिलाटेली विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बीते 25 सितंबर 2021 को सोहराई पेंटिग पर आधारित 300 पीस स्पेशल कवर आए थे जो अब 100 बची है। अलग अलग थीम पर बेस्ड कवर की बिक्री अधिक होती है। इस वर्ष अब तक तीन विशेष अवकरण आया है। पहला नारी सशक्तिकरण पर। दूसरा सोहराई पेंटिग और तीसरा परिस्थितिकी तंत्र पर। 200 रुपये देकर खुलवा सकते हैं फिलाटेली एकाउंट

    : फिलाटेली विभाग डाक टिकटों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में कैंप का आयोजन करता है। वहीं ट्रेड फेयर में एक्जीबिशन भी लगाया जाता है। कोई भी व्यक्ति 200 रुपये देकर फिलाटेली डिपोजिट एकाउंट खुलवा सकता है। सदस्यों को नए जारी हुए टिकट को डाकिया के माध्यम से भेजा जाता है। खुद को ब्रांड बनाने के लिए माय स्टांप का इस्तेमाल करते है लोग : फिलाटेली विभाग द्वारा खुद के लिए या दूसरों को उपहार के रूप में देने के लिए टिकट को प्रिट कराया जाता है। इसे कोई भी खुद के लिए या दूसरों के लिए प्रिट करवा सकता है। जन्मदिन, शुभकामनाएं, शुभ विवाह, वर्षगांठ और रिटायरमेंट जैसे अवसर पर इसकी डिमांड बढ़ जाती है।