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जर्जर हैं स्कूल, शिक्षक भी उपलब्ध नहीं

शिक्षा विभाग लाख दावा करे लेकिन स्कूलों में अभी भी इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर शिक्षक व आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 01:42 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 05:14 AM (IST)
जर्जर हैं स्कूल, शिक्षक भी उपलब्ध नहीं
जर्जर हैं स्कूल, शिक्षक भी उपलब्ध नहीं

जागरण संवाददाता रांची : शिक्षा विभाग लाख दावा करे, लेकिन स्कूलों में अभी भी इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर शिक्षक व आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी है। कई स्कूलों में 200 छात्रों पर सिर्फ दो ही शिक्षक हैं। स्थिति ऐसी है कि स्कूल है तो भवन जर्जर, शौचालय है तो इस्तेमाल करने लायक नहीं। कई स्कूलों में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति अधिक खराब है। स्कूलों में चापाकल खराब है। कई स्कूलों का विलय तो कर दिया गया, लेकिन छात्रों की सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा गया। स्कूल और शिक्षा दोनों का हाल बेहाल है। टीम भी आती है। जांच भी करती है, लेकिन सुधार के नाम पर कुछ भी नहीं किया जाता। पढ़ने के लिए जाते हैं आठ किमी

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जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर नगड़ी प्रखंड के साहे पंचायत के सुदूर वन क्षेत्र में स्थित जारा टोली गांव में शिक्षा व्यवस्था का हाल बदहाल है। गांव में लगभग 70 घर हैं जिसमें करीब 600 लोग रहते हैं। पढ़ने वाले बच्चे भी करीब 100 हैं। यहां एक सरकारी प्राथमिक-मध्य विद्यालय है। इसमें शिक्षक केवल एक हैं। यानी एक शिक्षक कक्षा एक आठ तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। इस गांव के बच्चे पढ़ने के लिए आठ किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल जाते हैं। शौचालय की स्थिति बदतर

बेड़ो प्रखंड मुख्यालय से महज छह किलोमीटर की दूरी पर दिघिया गांव स्थित राजकीयकृत उच्च विद्यालय दिघिया (जनता हाई स्कूल दिघिया) की स्थिति बदहाल है। छात्र-छात्राओं को शौच जाना हो तो उन्हें झाड़ियों के पीछे जाना पड़ता है। विद्यालय में शौचालय प्रयोग करने लायक नहीं है। यह विद्यालय स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोल रहा है। गौरतलब है कि बेड़ो प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है। विद्यालय में नौवीं व 10वीं मिलाकर कुल 421 विद्यार्थी नामांकित हैं। इनमें 221 छात्र एवं 200 छात्राएं हैं। स्कूल के विलय के बाद बढ़ गई दूरी

पुराना राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तमाड़ बाजार टांड़ का विलय होने के बाद यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए दूर जाना पड़ता है। स्थानीय निवासी निशा रवानी ने बताया कि उनका बेटा शुभम रवानी कक्षा दो में पढ़ता है। अब उसका नामांकन डेढ़ किलोमीटर दूर बुनियादी मध्य विद्यालय में कराना पड़ा। इधर, हरिहरपुर जामटोली पंचायत के खुराटोली गांव स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय एक पारा शिक्षक के सहारे चल रहा है। यहां 54 बच्चे हैं। दिखावे के लिए चलता है अभियान

अभिभावक फगुवा उरांव, बिरसा उरांव व मोंडल मुंडा का कहना है कि सरकार स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाती है, लेकिन जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो बच्चे कैसे बेहतर शिक्षा प्राप्त करेंगे। किसान अजय कच्छप कहते हैं कि बेहतर शिक्षा के लिए गांव में ही स्कूल की सुविधा होनी चाहिए, ताकि बच्चों को दूर न जाना पड़े।


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