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Lok Sabha Polls 2019: झारखंड में भाजपा के समक्ष लंबी लकीर खींचने की चुनौती

Lok Sabha Polls 2019. झारखंड में भाजपा के समक्ष लंबी लकीर खींचने की चुनौती है। पार्टी नेतृत्व ने राज्य की सभी 14 सीटों पर जीत हासिल करने का टास्क सौंपा है।

By Edited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 06:41 AM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 06:45 AM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: झारखंड में भाजपा के समक्ष लंबी लकीर खींचने की चुनौती
Lok Sabha Polls 2019: झारखंड में भाजपा के समक्ष लंबी लकीर खींचने की चुनौती

रांची, जासं। झारखंड में भाजपा के समक्ष लंबी लकीर खींचने की चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव में 40.7 फीसद मत हासिल कर 14 में से 12 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस चुनाव में पिछले पराक्रम को दोहरा पाएगी, सभी की निगाहें इस पर लगी हैं। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड को राज्य की सभी 14 सीटों पर जीत हासिल करने का टास्क सौंपा है।

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झारखंड में भाजपा के लिए विपक्ष का महागठबंधन बड़ी चुनौती माना जा रहा है। विपक्ष यदि एकजुट होकर चुनाव लड़ता है भाजपा के लिए पिछले चुनाव के परिणामों को दोहराना मुश्किल होगा। भाजपा को भी इस बात का एहसास है, शायद यही वजह है कि उनसे अपने सहयोगी आजसू को पहली बार लोकसभा चुनाव में साझीदार बनाया है। भाजपा को झारखंड में पिछले लोकसभा चुनाव में 40.7 फीसद मत मिले थे। 2014 में ही हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूरे प्रदेश में 31.25 फीसद मत मिले थे।

छह-सात माह के भीतर ही परिदृश्य बदल गया था और भाजपा को पूरे राज्य में करीब 10 फीसद मतों का नुकसान हुआ था। हालांकि इस नुकसान की भरपाई उसने झाविमो से छह विधायकों को तोड़कर कर ली थी। पार्टी के आंतरिक सर्वे में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है इस बार लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत में गिरावट आएगी। इस गिरावट को आजसू के माध्यम से साधने की जुगत लगाई जा रही है। आजसू ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने बूते नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 3.99 फीसद वोट हासिल हुए थे।

विपक्ष की बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 13.40 फीसद, झाविमो को 12.25 फीसद, झामुमो को 9.42 फीसद और राजद को 1.66 फीसद मत मिले थे। इन सभी दलों का कुल योग 36.73 फीसद था। जाहिर है भाजपा को विपक्षी दलों के इस कुनबे से चार फीसद अधिक वोट मिले थे। यदि भाजपा का वोट शेयर इस बार इतने ही प्रतिशत गिरा तो लक्ष्य में बाधा पहुंच सकती है। यही वजह है कि भाजपा घाटे की भरपाई को आजसू के रूप में भुनाना चाह रही है। हालांकि हर चुनाव नया होता है और इसकी हार-जीत के समीकरण भी अलग होते हैं। लेकिन पिछले चुनाव के वोट प्रतिशत को आधार बनाकर ही राजनीतिक दल अपनी रणनीति को अंजाम देते हैं।


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