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बड़ी लापरवाही: रांची में बिना मेडिकल किट शिक्षकों को कोरोना संक्रमितों का दाह संस्कार करवाने की दी ड्यूटी

कोरोना से बचाव को ले जिला प्रशासन की टीम जोर-शोर से लगी है। सदर अस्पताल को कोविड हेल्थ सेंटर बनाकर यहां की जिम्मेदारी नौ अलग-अलग टीमों को दी गई है। इन टीमों में शिक्षक भी शामिल हैं। नौ टीमों में एक मेडिकल मैनेजमेंट टीम है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 03:24 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 03:24 PM (IST)
बड़ी लापरवाही: रांची में बिना मेडिकल किट शिक्षकों को कोरोना संक्रमितों का दाह संस्कार करवाने की दी ड्यूटी
बड़ी लापरवाही: रांची में बिना मेडिकल किट शिक्षकों को कोरोना संक्रमितों का दाह संस्कार करवाने की दी ड्यूटी। जागरण

रांची, जासं । कोरोना से बचाव को ले जिला प्रशासन की टीम जोर-शोर से लगी है। सदर अस्पताल को कोविड हेल्थ सेंटर बनाकर यहां की जिम्मेदारी नौ अलग-अलग टीमों को दी गई है। इन टीमों में शिक्षक भी शामिल हैं। नौ टीमों में एक मेडिकल मैनेजमेंट टीम है। इसके तहत शिक्षकों को डाक्टर व नर्सों के साथ आइसीयू वार्ड में तैनात किया गया है। शिक्षकों का कार्य होगा कि आइसीयू बेड में अत्यधिक गंभीर मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सों को सहयोग करेंगे। वे संबंधित व्यक्तियों को बेड आवंटित कराएंगे।

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शिक्षक परेशान हैं कि वे डाक्टर को किस रूप में सहयोग करेंगे। प्रतिनियुक्त शिक्षकों को खुद की सुरक्षा के लिए मेडिकल किट तक नहीं दिया गया है। संक्रमित मरीज के पास रहने से उन्हें खतरा बना रहता है। इसी तरह बिना किसी सुरक्षा उपाय के  डेथ मैनेजमेंट टीम में शिक्षकों को रखे जाने से शिक्षक परेशान हैं। इनका कार्य होगा मृत व्यक्ति का दाह-संस्कार सुनिश्चित करवाना।

घर नहीं जाएंगे, कहीं रहने की व्यवस्था करा दे जिला प्रशासन

शिक्षकों का कहना है कि वे इस आपदा की घड़ी में भाग नहीं रहे हैं, बल्कि उनकी भी सुरक्षा का ध्यान रखा जाए। ड्यूटी के बाद शिक्षक घर नहीं जाना चाहते हैं। उनका कहना है कि घर में अन्य सदस्यों को भी उनके कारण संक्रमण का खतरा रहेगा। इसलिए जितने दिनों की ड्यूटी है, उस अवधि तक जिला प्रशासन कहीं रहने ही व्यवस्था करे।

रांची जिला में प्राथमिक से लेकर प्लस टू तक करीब सात से आठ हजार शिक्षक होंगे। लेकिन इस तरह की आपदा में हर बार हाई स्कूल व प्लस टू स्कूल के ही कुछ शिक्षकों को लगा दिया जाता है। इनकी सूची जिला प्रशासन के पास उपलब्ध है। इसमें बदलाव नहीं किया जाता है। बीते वर्ष भी कोरोना काल के दौरान इसी सूची के शिक्षकों को लगाया गया था। उस समय भारी विरोध के बाद सूची में बदलाव करते हुए प्राथमिक व मध्य विद्यालय के शिक्षकों को ड्यूटी दी गई थी। इतना ही नहीं अल्पसंख्यक स्कूल के शिक्षकों को भी ड्यूटी में नहीं लगाने से अन्य शिक्षक विराेध जता रहे हैं। इनका कहना है कि अल्पसंख्यक शिक्षक जब सारी सरकारी सुविधा लेंगे तो ड्यूटी क्यूं नहीं करेंगे। यदि सही तरीके से शिक्षकों को बदल-बदल कर लगाया जाए तो एक शिक्षक का नंबर एक महीने बाद आएगा। ऐसे में संक्रमण का भी खतरा नहीं रहेगा।

रोजेदारों को हो रही अधिक परेशानी

कोविड सेंटर में प्रतिनियुक्त कई ऐसे शिक्षक हैं जो रोजा में हैं। इनकी ड्यूटी शाम तीन से रात 11 बजे और रात 11 से सुबह 7 बजे तक की है। ऐसे में शाम में इफ्तार व सुबह में सेहरी में परेशानी होती है। ड्यूटी और इफ्तार व सेहरी साथ-साथ संभव नहीं हो पाता है। साथ ही रोजा के वक्त इम्युनिटी भी कम हो जाती है। ऐसे शिक्षकों का कहना है कि वे ड्यूटी से भाग नहीं रहे हैं, केवल रोजा तक उन्हें छोड़ दिया जाए।


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