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यह कुरकुरे का रैपर नहीं, बच्चों की अंग्रेजी की किताब है ..

कचरे में फेंके गए सर्फ, कुरकुरे के रैपर और चॉकलेट के डिब्बे से यह शिक्षक छात्रों को अंग्रेजी का ज्ञान देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 11:12 AM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 11:12 AM (IST)
यह कुरकुरे का रैपर नहीं, बच्चों की अंग्रेजी की किताब है ..
यह कुरकुरे का रैपर नहीं, बच्चों की अंग्रेजी की किताब है ..

हजारीबाग, विकास कुमार। कचरे में फेंके गए सर्फ, कुरकुरे के रैपर और चॉकलेट के डिब्बे अगर किताब का रूप लेते हुए अंग्रेजी के शब्द बन जाएं। विद्यालय की शिक्षण पद्धति का हिस्सा बन जाएं तो सहसा विश्वास नहीं होगा। लेकिन, प्राथमिक विद्यालय मायापुर पबरा कटकमसाडी के शिक्षक महेंद्र कुमार ने इसे ही बच्चों के लिए अंग्रेजी की किताब बना डाली है।

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शून्य निवेश आधारित शिक्षा में अभिनव प्रयोग कर शिक्षा विभाग के लिए आदर्श स्थापित कर दिया है। परंपरागत शिक्षण विधि में बिना कोई बदलाव किए नई कला इजाद करने वाले शिक्षक महेंद्र सर्फ के पैकेट से लेकर कुरकुरे के रैपर, चॉकलेट के डिब्बों को बच्चों को अंग्रेजी सिखाने का जरिया बना चुके हैं। इससे बच्चे अब अंग्रेजी के शब्द ए,बी,सी, डी सीख रहे हैं।

यू ट्यूब पर भी लोकप्रिय : बेकार पड़े कचरों से शिक्षा की नई इबारत लिख रहे महेंद्र यू ट़यूब पर भी अपने नवाचार गतिविधि के लिए खासे प्रसिद्ध हैं। इनके शिक्षण के नए तरीके को लेकर 80 वीडियो यू ट्यूब पर है। अपने स्कूल के बच्चों को इन्हीं कचरों के डिब्बे से तराशते हुए देखा जा सकता है।

चार कैटेगरी में बनाए गए इन वीडियो में अंग्रेजी शिक्षण पद्धति, शिक्षण विधि एवं संकल्पना, शिक्षा संकल्पना तथा डीएलएड के विद्यार्थियों के लिए डीएलएड प्रशिक्षण संकल्पना धूम मचा रही है। अबतक 50 हजार 584 लोग इनके वीडियो को देख चुके हैं। वहीं यू ट्यूब पर 500 से अधिक लोग इनके फॉलोअर भी हैं।

घटने लगे बच्चे तो निकाला उपाय : कचरे से एबीसी का ज्ञान सिखाने की तकनीक बच्चों के लिए बोझिल होती शिक्षा को रूचिकर बनाने के लिए हैं। ये स्वयं से सारे उपाय करते है और बच्चों में सफल होने के बाद इसे यू टयूब पर दूसरों के लिए डालते हैं।

1994 बैच के शिक्षक महेंद्र को यह तरकीब तब सूझी जब लगातार स्कूल आने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम होने लगी। सेवा बस्ती मायापुर में 30 घरों के बीच विद्यालय संचालित है। बच्चों को प्रेरित करने के लिए आसपास की वस्तुओं से इन्हें पढ़ाने का संकल्प लिया और दो सालों में इनकी योजना ने इन्हें औरों से अलग बना दिया।

राज्यपाल ने किया सम्मानित : यू ट्यूब पर शिक्षक के अभिनव प्रयोग को देखकर उन्हें प्रखंड स्तर पर शिक्षकों ने सम्मानित किया। बाद में शून्य निवेश पर बेहतर शिक्षा के लिए उपायुक्त रविशकर शुक्ला ने सम्मानित किया। इसके बाद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने इनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया।

प्रदेश से 12 हजार आवेदन, 32 लोगों में देवेंद्र भी शुमार : शून्य निवेश आधारित शिक्षा को लेकर 22 राज्यों में नवाचार गतिविधि अभियान के तहत प्रशिक्षण दे रही अरविंदो सोसाइटी की किताब में भी शिक्षक महेंद्र को स्थान मिला है। इस पुस्तक में अपने लेख और आइडिया के लिए 12 हजार शिक्षकों ने आवेदन दिए थे। प्रदेश भर में चयनित 32 लोगों में एक नाम महेंद्र का भी है।


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