झारखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने का आदेश
Supreme Court ने झारखंड सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए पेयजल विभाग के चतुर्थ वर्ग में कार्यरत 29 दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की सेवा नियमित करने का आदेश दिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस अभय मनोहर सप्रे व अरुण मिश्र की अदालत ने सरकार की एसएलपी (विशेष लीव पिटीशन) को खारिज करते हुए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के चतुर्थ वर्ग में कार्यरत 29 दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की सेवा नियमित करने का आदेश दिया है। अदालत ने हाई कोर्ट द्वारा इनकी सेवा नियमित करने के आदेश को बरकरार रखा है। दरअसल शंकर कच्छप सहित 26 लोगों की झारखंड में पेयजल विभाग में 1989 से दैनिक वेतनभोगी के रूप में बहाली हुई थी।
वर्ष 1996 में सरकार ने सभी की सेवा समाप्त करते हुए निकाल दिया। इसके खिलाफ सभी ने श्रम न्यायालय में आवेदन दाखिल किया। श्रम न्यायालय ने सभी की सेवा वापस लेने का निर्देश दिया। इसके बाद वर्ष 2009 में सरकार ने सभी की सेवा बहाल कर दी। वर्ष 2016 में इन लोगों ने सेवा नियमित करने की मांग करते हुएहाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। इसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने इनकी नियुक्ति के समय से सेवा नियमित करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि उमा देवी के आदेश का सरकार गलत इस्तेमाल नहीं करे। इन लोगों ने काम किया, इसका मतलब है कि सरकार को इनकी जरूरत थी। एकल पीठ के आदेश को सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी। सरकार की ओर से बताया गया कि ये लोग स्वीकृत पदों पर काम नहीं कर रहे हैं। इस कारण इनकी सेवा नियमित नहीं की जा सकती। खंडपीठ ने सरकार की दलील नहीं मानी और कहा कि जब प्रार्थी 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं तो पदों को सृजित कर उनकी सेवा नियमित की जानी चाहिए। इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी, जिसपर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट के आदेश को बहाल रखा।