बकोरिया मुठभेड़ की सीबीआइ जांच रोकने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
रांची राज्य ब्यूरो पलामू के सतबरवा स्थित बकोरिया में आठ जून 2015 की रात कथित मुठभेड़ मे
रांची, राज्य ब्यूरो : पलामू के सतबरवा स्थित बकोरिया में आठ जून 2015 की रात कथित मुठभेड़ में मारे गए 12 लोगों के मामले की जांच सीबीआइ करती रहेगी। सीबीआइ जांच रोकने के लिए दायर झारखंड सरकार की स्पेशल लीव पीटिशन (एसएलपी) पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट से जारी आदेश को बहाल रखा। सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद झारखंड सरकार व पुलिस को झटका लगा है।
एक तरफ झारखंड सरकार इस मुठभेड़ मामले की सीबीआइ जांच रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन (एसएलपी) दाखिल की थी। उससे पहले ही पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका था। पीड़ित पक्ष ने एसएलपी के पूर्व ही कैविएट फाइल कर दिया था।
विशेषज्ञों की मानें तो पीड़ित पक्ष को सुने बगैर एसएलपी पर सुनवाई नहीं होती है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पीड़ित पक्ष के तर्क को सुनने के बाद ही अदालत ने सरकार की याचिका को खारिज की।
इस पूरे प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ की दिल्ली स्थित क्राइम सेल रांची में है और छानबीन कर रही है। अनुसंधानकर्ता एएसपी डीके राय सीआइडी की रिपोर्ट, फॉरेंसिक साक्ष्य से संबंधित रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों की जांच में जुटे हैं। इस मामले में उन्होंने शिकायतकर्ता का भी पक्ष जाना है और झारखंड पुलिस के कुछ पुलिस अधिकारियों से भी उनकी बातचीत हुई है।
झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने किया है केस को टेकओवर
झारखंड हाई कोर्ट के 22 अक्टूबर के आदेश पर ही सीबीआइ की दिल्ली स्थित क्राइम सेल ने केस को टेकओवर किया है। पुलिस ने मुठभेड़ में 12 लोगों को मारने का दावा किया था। जबकि, मृतक के परिजन इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए राज्य की जांच एजेंसी सीआइडी की जांच पर सवाल उठाए थे। परिजन हाई कोर्ट पहुंच गए थे।
इस केस के शिकायतकर्ता तत्कालीन सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम हैं। इस मामले में सबसे पहले पलामू के सदर थाने में नौ जून 2015 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मोहम्मद रुस्तम ने लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र के उदय यादव, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के निमाकातू निवासी एजाज अहमद, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के मझिगाव निवासी योगेश यादव व नौ अज्ञात मृतक तथा एक अज्ञात नक्सली के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
पीड़ित पक्ष को सुनने के बाद ही हाई कोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने का आदेश दिया था।