बकोरिया मुठभेड़ की सीबीआई जांच रोकने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
bakoria encounter. बकोरिया मुठभेड़ की सीबीआइ जांच रोकने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।
रांची, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने बकोरिया मुठभेड़ की सीबीआइ जांच रोकने की याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में झारखंड सरकार और झारखंड पुलिस को झटका लगा है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
बकोरिया मुठभेड़ में सीबीआइ जांच को रोकने के लिए झारखंड सरकार ने 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर चल रही सीबीआइ जांच को रोकने के लिए सरकार ने स्पेशल लीव पिटीशन दायर किया था। सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के स्टैंडिंग काउंसल तपेश कुमार सिंह ने स्पेशल लीव पिटीशन दायर की था। सीबीआइ जांच रोकने को लेकर यह याचिका दाखिल की गई थी।
पलामू जिले के सतबरवा ओपी अंतर्गत बकोरिया में आठ जून 2015 को हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी। दिल्ली सीबीआइ के डीएसपी केके सिंह इसका अनुसंधान कर रहे थे। उन्हें अनुसंधान से हटाते हुए सीबीआई के एएसपी डीके रॉय को नया अनुसंधान पदाधिकारी बनाया गया था। सीबीआई ने यह प्राथमिकी झारखंड हाई कोर्ट के 22 अक्टूबर के आदेश पर दर्ज की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बहाल रखा था।
पलामू के सतबरवा स्थित बकोरिया में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था। मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाई कोर्ट में राज्य की जांच एजेंसी सीआइडी की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। सीबीआइ ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। इस केस के शिकायतकर्ता तत्कालीन सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम हैं।
उन्होंने लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र के उदय यादव, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के निमाकातू निवासी एजाज अहमद, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के मझिगांव निवासी योगेश यादव व नौ अज्ञात मृतक तथा एक अज्ञात नक्सली के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। हाई कोर्ट ने वादी सहित पुलिस के अधिकारी हरीश पाठक के पूरी जांच पर सवाल खड़े करने पर सीबीआइ जांच का आदेश दिया था।