Move to Jagran APP

जैक में पठन-पाठन सीबीएसई तर्ज पर, मूल्यांकन अपने नियम पर

झारखंड एकेडमिक काउंसिल की मैट्रिक व इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रारंभ हो रही है। जैक में मूल्यांकन की स्थिति ठीक नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 07:46 AM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 07:46 AM (IST)
जैक में पठन-पाठन सीबीएसई तर्ज पर, मूल्यांकन अपने नियम पर
जैक में पठन-पाठन सीबीएसई तर्ज पर, मूल्यांकन अपने नियम पर

प्रणय कुमार सिंह, रांची :

loksabha election banner

झारखंड एकेडमिक काउंसिल की मैट्रिक व इंटरमीडिएट की परीक्षा 20 फरवरी से शुरू होगी। इसके बाद उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन दो अप्रैल से होगा। अच्छी बात यह है कि जैक ने मूल्यांकन को ले अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसके बाद भी जिस तरह से सीबीएसई में कॉपियों का मूल्यांकन किया जाता है उस तरह से जैक द्वारा नहीं किया जा रहा है। झारखंड सरकार के स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था तो जैक ने सीबीएसई की तर्ज पर शुरू कर दिया, परंतु मूल्यांकन अपने नियम के अनुसार करवा रहा है। इधर सीबीएसई में जिन-जिन विषयों की परीक्षा समाप्त होते जाती है उसका मूल्यांकन कार्य शुरू हो जाता है। वहीं जैक में एक साथ शुरू होता है। जैक की ओर से मूल्यांकन में सजगता बरतने के बाद भी रिजल्ट के बाद स्क्रूटनी में अंकों में फेरबदल हो जाता है। टॉपर बदल जाते हैं। वर्ष 2017 की मैट्रिक व इंटरमीडिएट की केवल टॉप टेन में शामिल 73 विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं की स्क्रूटनी कराने पर 30 (41 प्रतिशत) विद्यार्थियों के अंक बदल गए थे। थोड़ा बदलाव, लेकिन यह नाकाफी

सीबीएसई हर वर्ष मूल्यांकन शैली को इंप्रूव करता है। जैक भी इस बार मूल्याकन शैली में थोड़ा बदलाव किया है, लेकिन इंप्रूव करने की संभावनाएं और है। जैक ने वर्ष 2019 की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में मुख्य परीक्षक को अपने स्तर पर मूल्यांकन कार्य से मुक्त कर दिया है। अब मुख्य परीक्षक अपने अधीन कार्यरत सभी सह परीक्षक द्वारा जांची गई सभी उत्तरपुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन के साथ अंकों के योग को भी देखेंगे। फिर भी जैक में एक उत्तरपुस्तिका को एक ही परीक्षक जांचते हैं। यहां को-आर्डिनेटर कॉपी नहीं देखते हैं। सीबीएसई में आधी-आधी जांचते हैं दो परीक्षक

सीबीएसई में पिछले वर्ष से सबसे पहले एक उत्तरपुस्तिका को एक परीक्षक आधी जांचते हैं। जहां तक वे जांचते है वहां अंत में हस्ताक्षर कर दूसरे परीक्षक को दे देते हैं। दूसरा परीक्षक बची आधी उत्तरपुस्तिका जांचने के बाद हस्ताक्षर करते हैं। अब यह कॉपी सहायक मुख्य परीक्षक के पास जाता है। ये पुनर्मूल्याकन में देखते हैं कि सभी प्रश्नों की जांच हुई है या नहीं। यहां से कॉपी को-आर्डिनेटर के पास जाता है। ये देखते हैं कि सभी उत्तर के अंक मिले हैं या नहीं, कुछ छूटा तो नहीं है। अंत में मुख्य परीक्षक अचानक किसी कॉपी को उठाकर देखते हैं कि मार्किंग स्कीम के अनुसार हो रहा है या नहीं। इतने चरणों से गुजरने के बाद त्रुटि की संभावना न के बराबर रह जाती है। एक परीक्षक को हर दिन 30 कॉपी मूल्यांकन के लिए मिलता है।

जैक में कोडिंग नहीं, पैरवी करना आसान

सीबीएसई उत्तरपुस्तिका को मूल्यांकन के लिए भेजने से पहले उसके पहले पृष्ठ को हटा कर वहां डमी रौल नंबर दे देता है। जबकि जैक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जिन्हें कॉपी में पैरवी करवानी होती है वे ट्रेजरी से पता कर लेता है कि कौन सी कोड की कॉपी किस शहर के किस मूल्यांकन केंद्र पर जांची जाएगी। ऐसे में केंद्र के बाहर दलाल सक्रिय हो जाते हैं। वर्ष-2018 में जैक की किस विषय की कॉपी मूल्यांकन के लिए कहां भेजी गई है, सबकुछ वाट्सएप पर वायरल हो गया था। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जैक टॉपर्स की सूची पांच-छह माह बाद जारी करता है। अंतिम में जैसे-तैसे होता मूल्यांकन

जैक की इंटरमीडिएट में अंग्रेजी, इकोनोमिक्स, हिंदी जैसे कुछ विषय सभी संकायों के विद्यार्थी रखते हैं। ऐसे में इन विषयों की उत्तरपुस्तिकाएं अन्य की तुलना में तीन गुणा अधिक हो जाती है जबकि परीक्षकों की संख्या सीमित ही रहते हैं। इन विषयों की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन करने वाले परीक्षकों पर अंतिम समय में दबाव बढ़ जाता है, जिससे परेशानी होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.