खेलगांव हाउसिग सोसायटी में फायर फायटिग सिस्टम के नाम पर खड़ा है ढ़ांचा
खेलगांव हाउसिग सोसायटी का नाम सुनते हुए आंखों के सामने व्यवस्थित सोसायटी की बात आती है लेकिन यहां की स्थिति काफी खराब है। अभी तक फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं बना है। लोग परेशान हैं।
नीलमणि चौधरी, रांची
:खेलगांव हाउसिग सोसायटी का नाम सुनते हुए आंखों के सामने व्यवस्थित सोसायटी की तस्वीर उभरती है। चौड़ी सड़कें, हरा-भरा बगीचा। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था आदि-आदि। हालांकि, सोसायटी की हकीकत कुछ और ही है। सोसायटी का निर्माण करने वाले नागार्जुन कंपनी और राज्य सरकार की उदासीनता के कारण निर्माण के 10 वर्ष बीतने से पहले ही सोसायटी अपनी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। हद तो ये है कि सोसायटी के नौ मंजिला गगनचुंबी अपार्टमेंट में आग से बचाव के लिए भी पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं। फायर फायटिग सिस्टम के नाम पर महज ढ़ांचा खड़ा कर दिया गया, लेकिन आजतक इसकी टेस्टिग भी नहीं की गई है। कई अपार्टमेंट में मोटर भी नजर नहीं आएगा। ईश्वर न करें अगर किसी बिल्डिग में आग लग गई तो अपार्टमेंट में लगा फायर फायटिग सिस्टम कोई काम नहीं आएगा। यही हाल सीसीटीवी कैमरे का है। सोसायटी के संयुक्त सचिव अमरेंद्र कुमार के अनुसार 2016 में यहां की व्यवस्था सोसायटी के हाथों में सौंपने के समय बिल्डिग निर्माता नागार्जुन कंपनी, खेलकूद विभाग, झारखंड सरकार और सोसायटी के बीच एक समझौता हुआ था। जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि फायर फायटिग सिस्टम, सीसीटीवी, सिवरेज ट्रिमेंट प्लांट का निर्माण नागार्जुन कंपनी करेगी। समझौता के भी चार साल बीत रहे हैं परंतु स्थिति यथावत है। न तो कंपनी दोबारा कभी झांकने आयी और न ही राज्य सरकार ने ही इसमें रुचि दिखायी। कुल मिलाकर बिल्डर और सरकार के बीच सोसायटी के आमलोग पिस रहे हैं।
गलती बिल्डर की और सोसायटी वालों को झेलना पड़ता है विरोध
नियमानुसार बड़ी सोसायटी में सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट लगाना अनिवार्य होता है ताकि सोसायटी से निकले गंदे पानी से आसपास के लोग परेशान न हो और प्रदूषण न फैले। खेलगांव हाउसिग सोसायटी में भी सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट लगाया जाना था, लेकिन कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इस कारण सोसायटी का गंदा पानी आसपास के गांव में बहता है। गंदगी से परेशान होकर स्थानीय लोग सोसायटी के लोगों को बुरा भला सुनाते हैं। कंपनी ने बाहरी को दे दिया सोसायटी का क्लब
वादा के अनुसार कंपनी को सोसायटी में सुव्यवस्थित क्लब बनाए जाने थे। क्लब बने भी, लेकिन इसे सोसायटी को नहीं सौंपकर व्यवसायिक उपयोग के लिए किसी बाहरी को दे दिया गया। जबकि क्लब के नाम पर कंपनी की ओर से प्रत्येक फ्लैट मालिकों से 40-50 हजार रुपये लिए गए थे। इसको लेकर बीते 20 सितंबर को विरोध मार्च भी निकाला गया था। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की गई थी। ...........
क्या कहते हैं सोसायटी वाले
कोट
खेलगांव हाउसिग कांप्लेक्स बनाने वाली कंपनी नागार्जुन और साझेदार झारखंड सरकार के खेलकूद विभाग को सोसायटी की ओर से कई बार पत्र लिख कर वायदा याद दिलाया गया, लेकिन उन्होंने पल्ला झाड़ लिया। यहां तक कि सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगवाए गए। हमलोगों ने आपस में चंदा कर सीसीटीवी कैमरा लगवाया। वहीं, इंटरकॉम भी नहीं लगा। कंपनी और सरकार के व्यवहार से हमलोग ठगा महसूस कर रहे हैं। अमरेंद्र कुमार, संयुक्त सचिव, खेलगांव हाउसिग सोसायटी कंपनी अब समझौते को नहीं मानती है। इसका उदाहरण ग्रीन एरिया का हाल देखकर लगा सकते हैं। फेज वन के ग्रीन एरिया में कंपनी द्वारा अवैध निर्माण जारी है। सोसायटी ने जब आपत्ति जतायी तो फिलहाल निर्माण रूका हुआ है। वहीं अन्य ब्लॉक में भी ग्रीन एरिया खाली नहीं है। ग्रीन एरिया में मलवा पड़ा हुआ है। चाहरदीवारी भी दुरुस्त नहीं है। सुरक्षा कहीं न कहीं भगवान भरोसे है।
कर्नल अंजनी कुमार, कोषाध्यक्ष खेलगांव सोसायटी
.................
2012 में फ्लैट खरीदने के समय नागार्जुन कंपनी ने कई सपने दिखाये थे जो महज छलावा साबित हुआ। कंपनी की ओर से व्यवस्थित क्लब की बात कही गई थी। बोला गया कि सोसायटी में व्यवस्थित क्लब बनाया जाएगा जिसमें जिम, स्वीमिग पूल, इनडोर गेम की सुविधा होगी। इसके एवज में हमसे 50 हजार रुपये लिए गए। अब कंपनी किसी बाहरी को क्लब दे रही है। अगर हमारे घर में कोई काम होगा तो क्लब भाड़े पर लेना होगा। यह तो आंख में धूल झोंकने के समान है। इंदू मोहन, खेलगांव हाउसिग सोसायटी
खिलाड़ियों को ठहराने के लिए अपार्टमेंट बनाया गया था 2011 में 34वें राष्ट्रीय खेल रांची और धनबाद में आयोजित किए गए थे। खिलाड़ी व आयोजन समिति के कर्मचारियों व अन्य लोगों के ठहरने के लिए खेलगांव में भव्य अपार्टमेंट बनाया गया था। इसका निर्माण नागार्जुन कंपनी द्वारा किया गया था। खेल समाप्त हुआ तो फ्लैट आमलोगों के हाथों बेच दिया गया। खेलगांव हाउसिग सोसाइटी में वर्तमान में 29 ब्लॉक में करीब 1350 फ्लैट हैं। एक हजार परिवार सोसायटी में अभी रह रहे हैं। कई फ्लैट अभी हैंडओवर करने हैं जिसका निर्माण चल रहा है।