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झारखंड में ST-SC कर्मियों को आर्थिक लाभ के साथ मिलेगा प्रमोशन, अनुशंसा लागू करने की तैयारी

Jharkhand News Political Updates प्रमोशन में आरक्षण का मामला। सिफारिशों पर अमल से आर्थिक लाभ के साथ प्रमोशन मिलेगा। विधानसभा की विशेष कमेटी की अनुशंसा लागू करने की तैयारी है। विधानसभा की विशेष कमेटी ने कार्रवाई की भी सिफारिश की है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 03:43 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 04:15 PM (IST)
झारखंड में ST-SC कर्मियों को आर्थिक लाभ के साथ मिलेगा प्रमोशन, अनुशंसा लागू करने की तैयारी
Jharkhand News, Political Updates विधानसभा की विशेष कमेटी की अनुशंसा लागू करने की तैयारी है।

रांची, [प्रदीप सिंह]। झारखंड सरकार की विभिन्न सेवाओं और पदों पर प्रमोशन से वंचित अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के पदाधिकारियों और कर्मियों को आर्थिक लाभ के साथ प्रोन्नति मिलेगी। एसटी-एसटी कर्मियों की प्रोन्नति संंबंधी प्रविधानों की अवहेलना की जांच को लेकर गठित विधानसभा की विशेष कमेटी ने इस बाबत सिफारिश की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि कमेटी की सिफारिशों पर राज्य सरकार जल्द अमल करेगी।

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अनुशंसा के मुताबिक वैसे पदाधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं, जिन्होंने एसटी-एससी की प्रोन्नति में आरक्षण संबंधी नियमों की अनदेखी की है। कमेटी ने अपनी सिफारिश में साल 2007 के बाद तैनात सभी मुख्य सचिवों और कार्मिक विभाग के प्रधान सचिवों/सचिवों के खिलाफ एससी-एसटी उत्पीड़न कानून के तहत मुकदमा करने की अनुशंसा की है। यह भी आरोप लगाया गया है कि विधानसभा की विशेष समिति और सरकार को भी अधिकारियों ने गुमराह किया है।

कमेटी की रिपोर्ट 365 पन्नों की है, जिसमें 31 पन्नों में अनुशंसा की गई है। कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कोई स्थापित नियम या सर्वोच्च न्यायालय का आदेश नहीं होने के बावजूद राज्य में 2007 के बाद से एसटी-एससी संवर्ग के पदाधिकारियों और कर्मियों को प्रोन्नति नहीं देकर अन्याय किया गया। एक ओर 1994 में नियुक्त हुए पदाधिकारियों को प्रोन्नति नहीं दी गई, जबकि 2012 में नियुक्त पदाधिकारियों को प्रोन्नति का लाभ दिया गया। इसके कारण लगभग 15 से 20 हजार कर्मी प्रभावित हुए हैं।

विशेष कमेटी को तीन दफा अवधि विस्तार

विधानसभा अध्यक्ष ने पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए विशेष समिति को तीन बार अवधि विस्तार देने की स्वीकृति प्रदान की। मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने इस प्रकरण को विधानसभा में उठाया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने विशेष कमेटी का गठन किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 24 दिसंबर, 2020 को विशेष कमेटी के साथ बैठक के बाद राज्य में प्रोन्नति पर रोक लगा दी। अब कमेटी ने शर्तों के आधार पर प्रोन्नति पर लगी रोक को हटाने की अनुमति प्रदान की है।

कमेटी की प्रमुख अनुशंसा

-झारखंड गठन से अब तक एसटी-एससी के वरीय कर्मियों को प्रोन्नति से वंचित कर सामान्य वर्ग के कनीय कर्मियों को दी गई प्रोन्नति रद की जाए। प्रमोशन से वंचित एसटी-एससी के वरीय कर्मियों को तत्काल प्रभाव से आर्थिक लाभ के साथ प्रोन्नति दी जाए।

-नियम की अनदेखी कर प्रोन्नति की कार्रवाई में शामिल प्रोन्नति समिति के तत्कालीन सभी पदाधिकारियों को चिन्हित किया जाए और उनके खिलाफ एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून के तहत कानूनी कार्रवाई के साथ विभागीय कार्रवाई हो।

-कार्मिक विभाग में नियम विरुद्ध मंतव्य में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। सेवानिवृत्त पदाधिकारी और कर्मी को सेवानिवृत्ति के आधार पर अपराध से मुक्त नहीं किया जाए, क्योंकि उस मंतव्य से एससी-एसटी संवर्ग के सरकारी सेवकों को प्रताड़ना झेलनी पड़ी है, जो अपराध की श्रेणी में आता है।

-अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की प्रोन्नति से संबंधित कोई मामला अगर लंबे समय से न्यायालय में लंबित है तो सशर्त प्रोन्नति प्रदान की जाए।

-वर्ष 2008 में वाणिज्य-कर विभाग झारखंड में वरीय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के पदाधिकारियों को प्रोन्नति से वंचित कर कनीय सामान्य वर्ग के पदाधिकारियों को प्रोन्नति देकर नियम विरुद्ध परंपरा की शुरुआत की गई थी। इसकी निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ एससी एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की अनुशंसा की गई है।


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