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सोनिया के बुलावे पर कांग्रेस के चारों मंत्री दिल्ली गए, बजट से पहले याद आईं चुनावी घोषणाएं

सोनिया गांधी के बुलावे पर प्रदेश में कांग्रेस के चारों मंत्री सोमवार को दिल्ली रवाना हो गए। मिलने की इच्छा जाहिर करने के बाद तीन दिनों पूर्व सोनिया गांधी की ओर से समय दिया गया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 08:46 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 12:32 AM (IST)
सोनिया के बुलावे पर कांग्रेस के चारों मंत्री दिल्ली गए, बजट से पहले याद आईं चुनावी घोषणाएं
सोनिया के बुलावे पर कांग्रेस के चारों मंत्री दिल्ली गए, बजट से पहले याद आईं चुनावी घोषणाएं

रांची, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर प्रदेश में कांग्रेस के चारों मंत्री सोमवार की शाम दिल्ली रवाना हो गए। इन्होंने मिलने की इच्छा जाहिर की थी जिसके बाद तीन दिनों पूर्व सोनिया गांधी की ओर से समय दिया गया था। डॉ. रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता तथा बादल पत्रलेख मंत्री बनने के बाद पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से औपचारिक मुलाकात करेंगे। इस दौरान लगभग दो महीने के कार्यकाल का अनुभव भी साझा करेंगे और चुनावी घोषणाओं के अनुरूप किए गए कार्यों के बारे में जानकारी भी आलाकमान को देंगे।

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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने बताया कि सभी एक साथ मिलेंगे तो निश्चित तौर पर प्रदेश में किए गए कार्यों के बारे में जानकारी देंगे। सोनिया को संगठन की गतिविधियों से भी अवगत करायेंगे। वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं और आलमगीर आलम विधायक दल नेता हैं इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष के साथ-साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल, सहित अन्य नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं।

दो दिन दिल्ली में रहने के बाद 26 फरवरी को सभी नेता रांची वापस आ जाएंगे। आलोक कुमार दूबे ने बताया कि 26 फरवरी को कांग्रेस भवन में आयोजित बादल पत्रलेख का जनता दरबार स्थगित कर दिया गया है और अब इसका आयोजन 28 फरवरी  को दोपहर दो बजे होगा।

भाजपा को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं, बाहरी को बनाया नेता : कांग्रेस

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने बयान जारी कर कहा है कि भाजपा को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं रह गया है और इसी कारण पार्टी ने बाहर से विधायक दल के नेता को मंगवाया है। जनता ने सोचा होगा कि भाजपा के लोग अपने नेता खुद ही चुनेंगे, लेकिन इस फैसले से साफ हो गया है कि भाजपा की मानसिक स्थिति गड़बड़ हो गई है। नई दिल्ली और नागपुर के इशारे पर सारे काम हो रहे हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा-झाविमो में हुई सौदेबाजी के बाद पहली सौगात बाबूलाल को मिल चुकी है। दरअसल, दिल्ली में तो पहले ही सब तय हो चुका था और यहां नाटक चल रहा था।


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