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समाज को महर्षि बाल्मीकि के पदचिह्नों पर चलने की है जरूरत : डा. राजेश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के समाजिक समरसता मंच के राची विभाग की ओर से महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:47 PM (IST)
समाज को महर्षि बाल्मीकि के पदचिह्नों पर चलने की है जरूरत : डा. राजेश

जागरण संवाददाता, राची : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के समाजिक समरसता मंच के राची विभाग के तत्वावधान में शनिवार को काके स्थित स्वíणमा एकेडमी परिसर में रामायण के रचयिता महíष वाल्मीकि की जयंती बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाई गई। कोविड 19 के संयम का अनुपालन करते हुए पुष्पाजलि अíपत की गई। सभा में उपस्थित लोगों को वाल्मीकि जी के जीवन वृतात से अवगत कराते हुए डा. राजेश प्रसाद ने कहा कि वर्तमान समाज को इनके पदचिह्नों पर चलने की जरूरत है।

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भगवान राम के जीवन में आनेवाली चुनौतियों की कल्पना महíष वाल्मीकि ने अपने दिव्य चक्षुओं से देखकर किया था। रामायण में वíणत घटनाएं अक्षरश: घटित हुई जबकि श्री राम के आविर्भाव से पूर्व ही इस धर्मग्रंथ की रचना हो जाने का उल्लेख इतिहास में दर्ज है।

महíष वाल्मीकि का जीवन भी घोर संघर्ष का रहा। व्यक्ति काल के हाथों मजबूर होता रहता है। इसका परिलक्षण स्वयं ही इनके जीवन वृतात से पता चलता है। सर्वप्रथम वाल्मीकि अपने परिवार से, मां-बाप से बिछड़कर जंगल में एक शिकारी के देख रेख में अपनी युवावस्था की दहलीज चढ़ते हैं। बाद में विवाहोपरात जीवकोपार्जन का उपाय न मिल पाने के कारण इन्हें लूटपाट का जीवन अपनाना पड़ जाता है। कालातर में इनकी मुलाकात नारद मुनि से हो जाती है और मुनि का आशीर्वाद और प्रेरणा पाकर ये एक संत का जीवन अपनाकर आगे बढ़ते हैं। संघर्ष और सफलता एक दूसरे के पूरक हैं। हमें सफल होना है तो एक निर्धारित दिशा में संघर्ष से न घबराते हुए आगे बढ़ते ही रहना होगा। अपने जीवन वृतात से भी और अपने महाकाव्य रामायण से भी महíष वाल्मीकि ने संघर्ष करना सिखाया है। समाज में पैदा होने वाली बुराइयों की जड़ व्यक्ति के मन में होती है। व्यक्ति के मन को संस्कारित और शक्तिमान बनाकर हम अपने अनुरूप समाज खड़ा कर सकते हैं। जाति व संप्रदाय में बंटे हिदू समाज को एक होने की जरूरत है

विभिन्न जाति और संप्रदाय में बंटे हिंदू समाज को एक होने की प्रेरणा रामायण के उन पात्रों की विविधता को देखकर पता चलता है जो जंगल में रहते थे और सुग्रीव, हनुमान, जामवंत जैसे वानर और भालू की प्रजाति में होकर भी धर्म के लिए एकजुट हुए और भगवान राम की सेना में शामिल होकर दुराचारी रावण को परास्त कर मा सीता को उनके चंगुल से मुक्त किया था। इनसे हमारा हिंदू समाज एक जुट होने की शिक्षा ग्रहण करता है। सभा को दसवीं की छात्रा कोमल,स्वेता,स्नेहा ने भी संबोधित किया और रामायण के प्रसंगों को जीवन में उतारने का संकल्प दुहराया। मौके पर राची महानगर समिति के सदस्यगण एवं समाज के सभी समुदाय के लोगों की उपस्थिति रही।


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