विशेषज्ञों की ये बातें जान लीजिए, कोविड के दौरान बच्चों की सुरक्षा बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी
चाइल्ड सेंटर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (बाल केंद्रित आपदा जोखिम न्यूनीकरण) पर सीसीडीआरआर- एनआइडीएम गृह मंत्रालय के सहयोग से झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय आनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार से की गयी। इसमें बच्चों के लिए जो बातें कहीं गईं वो बेहद महत्व वाला है।
रांची(जासं ) चाइल्ड सेंटर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (बाल केंद्रित आपदा जोखिम न्यूनीकरण) पर सीसीडीआरआर- एनआइडीएम, गृह मंत्रालय के सहयोग से झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय आनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार से की गयी। कार्यक्रम का आयोजन 22 अक्टूबर तक चलेगा। इसमें यूनिसेफ का भी सहयोग किया गया। एनआइडीएम के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल मनोज कुमार बिंदल और झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
डा पल्लव कुमार ने कहा कि कोविड-19 से बचने के लिए सबसे बेहतरीन उपाय है कि हम व्यवहार परिवर्तन करें। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान बच्चों की सुरक्षा करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चों को इनडोर गेम खेलने के लिए हमें प्रेरित करना चाहिए। इससे वो कुछ हद तक संक्रमण से बच सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि माता-पिता से घरेलू वस्तुओं को साफ और कीटाणुरहित करें। प्रो संतोष कुमार ने सहयोग, प्रशिक्षण और शिक्षा के महत्व और आपदा जोखिम में कमी के लिए प्रक्रियाओं पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में एनआईडीएम में जूनियर रिसर्च ऑफिसर डाल्फी रमन ने कहा कि भारत में खतरे की रूपरेखा और आपदा जोखिम प्रबंधन तंत्र के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि कोविड-19 एक जूनोटिक बीमारी है और इसकी आवृत्ति समय के साथ साथ बढ़ेगी। उन्होंने यह भी बताया कि भूस्खलन की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, नदियों ने अपना मार्ग बदल दिया है, रेत खनन ने अस्थिरता पैदा कर दी है, तूफान की घटनाएं बढ़ गई हैं। लगभग हर राज्य अब बाढ़ प्रकोप है। उन्होंने रोकथाम, शमन, तैयारी और प्रतिक्रिया की संस्कृति के माध्यम से एक समग्र, सक्रिय, बहु आपदा उन्मुख और प्रौद्योगिकी संचालित रणनीति विकसित करके एक सुरक्षित और आपदा प्रतिरोधी भारत के निर्माण के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताओं के बारे में भी बताया।