सड़कों पर पसरा सन्नाटा, श्मशान में सजाई गई चिताएं; हे ईश्वर ! ये नजारा फिर कभी ना दिखे
हमारी खुशियों को न जाने किसकी नजर लग गई। सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। श्मशान में चिताएं सजाई गई हैं। हे ईश्वर यह नजारा फिर कभी ना दिखे। वाहनों में भर भर कर शव कब्रिस्तान से शमशान तक पहुंचाए जा रहे हैं।
रांची, जासं । हमारी खुशियों को न जाने किसकी नजर लग गई। सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। श्मशान में चिताएं सजाई गई हैं। हे ईश्वर, यह नजारा फिर कभी ना दिखे। वाहनों में भर भर कर शव कब्रिस्तान से शमशान तक पहुंचाए जा रहे हैं। अस्पतालों में एक-एक सांस के लिए लोग तड़प तड़प कर मर रहे हैं। लोगों के आंसू और चीत्कार से कलेजा फटा जा रहा है। दवाओं की एक-एक गोली के लिए दुकानों पर हुजूम उमड़ा हुआ है। मोबाइल पर आने वाला हर कॉल अनजाने डर से भर दे रहा है। न जाने दूसरी तरफ से कौन मदद मांग रहा हो। ऐसे हालात में कुछ न कर पाने की बेबसी दिल को झकझोर कर रख देती है।
घंटे 2 घंटे जिसे बेड दिलाने के लिए मिन्नतें करते हैं। थोड़ी देर में पता चलता है कि उसे अब बेड की जरूरत नहीं रही। परिवार के लोग पहले ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश में दर-दर भटकते हैं। एक तलाश पूरी नहीं होती कि पल भर में पूरा माजरा बदल जाता है। अपनों को जिंदा रखने की जद्दोजहद थोड़ी देर में थम जाती हैं। चीखते चिल्लाते पुकारते और मदद मांगते लोग प्लास्टिक का पता पूछते घूम रहे हैं। एंबुलेंस में शव भर-भर कर ले जाए जा रहे हैं। एक एक वाहन में तीन- तीन चार- चार लाशें ऊपर नीचे लदी रह रही हैं। श्मशान में खड़े लोग अब यह गिनना भूल गए हैं कि अब तक उन्होंने कितने लोगों का अंतिम संस्कार किया। हर आने वाले शव को राख में बदलना अब दैनिक काम का हिस्सा हो गया है। काश, ये विनाश का मंजर थम जाए। यह माहौल बदल जाए।