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Shubh Vivah Muhurat: 25 नवंबर देवोत्थान एकादशी से फिर बजेगी शहनाई, जानें विवाह के शुभ मुहूर्त

Marriage Shubh Muhurat in 2020 इस वर्ष नवंबर और दिसंबर में शादी के 17 शुभ मुहूर्त हैं। एक जुलाई हरिशयनी एकादशी से मांगलिक अनुष्ठान बंद था। सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रम-अनुष्ठान से रोक हटा ली है तो शादी की शहनाईं दोबारा गूंजने वाली है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:22 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 06:49 AM (IST)
Shubh Vivah Muhurat: 25 नवंबर देवोत्थान एकादशी से फिर बजेगी शहनाई, जानें विवाह के शुभ मुहूर्त
इस साल विवाह के 12 शुभ मुहूर्त हैं।

रांची, जासं। करीब पांच माह का लंबा इंतजार खत्म होने वाला है। फिर शहनाई बजने वाली है। आगामी 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के बाद से मांगलिक कार्यक्रम आरंभ हो जाएंगे। अधिक मास को जोड़ दें तो पांच माह तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन कर रहे थे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 25 नवंबर को भगवान विष्णु का शयन समाप्त हो जाएगा।

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इस दिन को देवोत्थान एकादशी कहते हैं। देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा होती है। देवोत्थान एकादशी के दिन से ही शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि दोबारा आरंभ हो जाएगा। बरानसी पंचांग के अनुसार नवंबर में शादी के दो लग्न हैं 25 और 30 नवंबर। जबकि दिसंबर में 10 लग्न है।

वहीं, मिथिला पंचांग में नवंबर में शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। दिसंबर में छह लग्न हैं। कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को अपनी शादी टालनी पड़ी थी। अब जबकि हालात बदले हैं तो सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रम-अनुष्ठान से रोक हटा ली है तो शादी की शहनाईं दोबारा गूंजने वाली है।

साल के अंतिम में शादी के 12 शुभ मुहूर्त

पंडित बिपिन पांडेय के अनुसार, साल 2020 के अंतिम माह में शादी के कई अच्छे मुहूर्त हैं। इसमें सबसे अच्छा मुहूर्त 25 नवंबर देवोत्थान एकादशी के दिन का है। इसके बाद सीधे 30 नवंबर को लग्न है। वहीं, अगर मिथिला पंचांग की बात करें तो नवंबर में शादी के कोई शुभ लग्न नहीं है। मिथिला पंचांग के अनुसार दिसंबर में 2, 6,7, 10, 11 और 14 तरीख को शादी हो सकती है। वहीं, बनारसी पंचांग के अनुसार, दिसंबर में शादी के कुल 10 शुभ लग्न 1,2,6, 7, 8, 9,10, 11, 13, 14 तारीख शादी के लिए काफी शुभ है।

देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी संग होगा शालिग्राम का विवाह

देवोत्थान एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। परंपरानुसार इसी दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम परिणय सूत्र में बंधते हैं। दोनों का शुभ विवाह होता है। पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु वृंदा नामक भक्त के साथ छल किया था।

इससे क्रोधित हो कर वृंदा ने विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। मां लक्ष्मी की विनती के बाद वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप मुक्त करने के बाद खुद सती हो गई। कहा जाता है कि उन्हीं के मृत शरीर के राख से तुलसी पौधे का उद्भव हुआ। तभी से तुलसी संग शालिग्राम के विवाह का चलन आरंभ हुआ।

देवोत्थान एकादशी शुभ मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी(देवोत्थान एकादशी) तिथि आरंभ : 25 नवंबर 02:42 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 26 नवंबर प्रात: 5:10 बजे


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