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Shravani Mela 2020: बिन कांवर कैसा सावन, सूना-सूना लग रहा सबका मन

Shravani Mela 2020. बाबा भोले की नगरी देवघर के लिए निकलने वाली कांवर यात्रा बंद है। व्यापारियों का दर्द छलक रहा है। मंदिर बंद होने के कारण खरीदारी नहीं हो रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 12:46 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 12:46 PM (IST)
Shravani Mela 2020: बिन कांवर कैसा सावन, सूना-सूना लग रहा सबका मन
Shravani Mela 2020: बिन कांवर कैसा सावन, सूना-सूना लग रहा सबका मन

रांची, जासं। Shravani Mela 2020 सावन में भक्त भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक नहीं कर पा रहे। कोरोना संक्रमण के कारण सरकारी प्रतिबंध व हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में बाबा भोले की नगरी देवघर के लिए निकलने वाली कांवर यात्रा बंद है। इसका प्रतिकूल असर बाजार पर दिख रहा है। सावन यात्रा के लिए लाखों की संख्या में भक्त यात्रा से पहले तमाम जरूरी सामग्रियों की खरीद करते हैं। इस बार सब बंद है। व्यापारियों का कहना है कि बीमारी के कारण बाजार पर पड़े प्रतिकूल असर से सावन में उबरने की उम्मीद थी। मंदिरों में ताले लगने के कारण सावन का बाजार भी गुलजार नहीं हो सका।

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नहीं दिख रहा गेरूआ वस्त्र

सावन का महीना शुरू होने से दो-तीन दिन पहले से अपर बाजार, बहुबाजार, चुटिया, मेन रोड, हरमू, रातू रोड आदि बाजार बोल बम के कपड़ों से भर जाता था। हर कपड़े की दुकान में डिस्पले में गेरूआ कपड़ा लगा होता था। मगर इस वर्ष कोरोना संक्रमण को देखते हुए कांवर यात्रा पर रोक लगा दी गई है। इससे बोलबम के कपड़ा बाजार पर बड़ा असर हुआ है।

सुशीला मार्केट में थोक कपड़ा व्यापारी प्रमोद सारस्वत बताते हैं कि हर वर्ष सावन और भादों में कम से कम अपर बाजार से 65 करोड़ का गमछा, हाफ पैंट, गंजी, टी-शर्ट निकल जाता था। मगर इस साल मंदी है। पुरूलिया और बंगाल के कई हिस्सों से व्यापारी एक से एक बढिय़ा क्वालिटी के ङ्क्षप्रटड कॉटन गमछी और कपड़े मंगाते थे। मगर वहां भी अभी संन्नाटा पसरा हुआ है। ऊं नम: शिवाय और बोल बम लिखे गमछे इस साल न के बराबर मंगवाए गए हैं।

बाजार में है हरी साड़ी की मांग

सावन से भादो मास तक में सुहागिनों के कई पर्व तीज आदि आते हैं। इसे लेकर महिलाएं साडिय़ों की जमकर खरीदारी कर रही है। बाजार में हरी रंग की साडिय़ों की ज्यादा मांग है। अपर बाजार के वस्त्र विक्रम खेतावत ने बताया कि बाजार में गेरूआ कपड़ों की मांग न के बराबर है। मगर अगस्त महीने में तीज और राखी का त्योहार होगा। उसे लेकर भी स्टॉक मंगाकर रखा गया है।

राखी के लिए लड़कियों के लिए सलवार सूट और कुर्ती का स्पेशल कलेक्शन मंगवाया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल से बहनों को गिफ्ट में कपड़ा देने का ट्रेंड बढ़ा है। लोग अपनी बड़ी बहन को साड़ी उपहार में दे रहे हैं। राखी के बाद तीज पर्व पड़ेगा और उसके लिए भी अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। सावन में हरे रंग की साड़ी की ज्यादा मांग रहती है।

फिलहाल उनके पास हरे रंग की साड़ी का स्पेशल कलेक्शन उपलब्ध है। सबसे खास बात है कि अभी से लेकर तीज तक काले रंग के कपड़ों की मांग नहीं रहती है। सावन की कॉटन हरी साड़ी के कलेक्शन 350 रुपये से 1500 रुपये तक बाजार में उपलब्ध है। इसके साथ ही सिल्क और जॉरजेट की हरी साडिय़ों की विस्तृत रेंज भी उपलब्ध है जो 1500 से पांच हजार तक की है।

इस बार बाजार में है भारतीय राखी

अपर बाजार के रंगरेज गली में कई दुकानों में राखी की दुकानें सज गई हैं। इसे आमलोगों के साथ थोक विक्रेता भी खरीद रहे हैं। हर वर्ष बाजार में भारतीय राखी से ज्यादा चाइनीज राखी होती थी। मगर इस साल रांची के भाइयों के हाथ पर देसी राखी सजेगी। व्यापारी बता रहे हैं कि इस बार अपर बाजार में बनारस और भोपाल से राखी मंगाई गई है। इसके अलावा कुछ लोकल लोग भी राखी बना रहे हैं। आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ये हमारा पहला कदम है। इससे हमारा लोकल मार्केट मजबूत होगा। रेशम की राखी 30 रुपये लेकर 90 रुपये तक की है। इसके अलावा डिजाइन और रेंज के मुताबिक राखी की कीमत है।

चाइनीज बाजार को 30 करोड़ का नुकसान

अपर बाजार के प्लास्टिक व्यापारी सुरेश पांड्या बताते हैं कि हर वर्ष कांवर को सजाने के लिए चीन से फूल और कलर प्लास्टिक मंगाए जाते थे। करोड़ों रुपये का माल झारखंड के अलग-अलग शहरों के साथ सुलतानगंज से देवघर तक के रास्ते में लगी दुकानों के द्वारा खरीदा जाता था। फूलों और सजावटी सामानों की कीमत प्रति पीस नहीं होती थी, बल्कि किलो से माल आता था। जिसे ग्राहकों तक प्रति पीस के रेट में पहुंचाया जाता था। मगर इस साल कांवर यात्रा नहीं होने से कम से 30 करोड़ का नुकसान चाइनीज बाजार को हुआ है। हालांकि जो रांची के कारोबारी सावन में कांवर बनाते थे, अब वो किसी दूसरे काम को कर रहे हैं।

बेचने लगे आलू

अपर बाजार के सुनील कासलीवाल सीजन बाजार लगाते हैं। मतलब सावन के दिनों में कांवर से लेकर गेरूआ कपड़ों तक का काम होता था। वो बताते हैं कि इस साल सावन में जलाभिषेक और कांवर यात्रा पर पाबंदी से बाजार खराब हो गया। इसलिए आलू बेच रहे हैं। वो बताते हैं कि अब अगले सप्ताह से दुकान में राखी रखना शुरू करेंगे। इसके लिए दिल्ली के सदर बाजार में उन्होंने फोन पर ऑडर दिया है।

पार्लर को हो रहा नुकसान

अपर बाजार के रंगरेज गली के साथ शहर के सभी पार्लरों में हर वर्ष मेहंदी लगवाने की भीड़ रहती थी। मगर कोरोना संक्रमण के भय से लड़कियां घरों में हैं। ऐसे में ज्यादातर लोग घरों में ही मेहंदी लगा रही हैं।  ऐसे में पार्लर संचालकों का काफी नुकसान हो रहा हैं। हालांकि बाजार में लोगों की सुविधा के लिए टैटू मेहंदी भी आ गयी है। दिल्ली के बाजार की पंसद रही टैटू मेहंदी आम टैटू की तरह है।

बस इसे लगाने के बाद आम मेहंदी की तरह पानी से हाथों को बचाना होता है। इस टैटू में एक से बढ़कर एक बढिय़ा डिजाइन उपलब्ध है। इसकी कीमत 100 रुपये लेकर 300 रुपये तक है। दुकानदार बताते हैं कि ये मेहंदी कम से कम एक सप्ताह कर हाथों पर खिली रहती है।

लोगों की बात

'दस सालों में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि मैंने कांवर यात्रा नहीं की हो। लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण बाबा के दर्शन के लिए नहीं जा रहा। हालांकि सरकार के द्वारा किए गए ऑनलाइन दर्शन के जरीये रांची से बाबा को प्रणाम कर रहा हूं। जब कोरोना का कहर खत्म होगा मैं जरूर बाबा के दर्शन के लिए जाउंगा।' -सतीश कुमार, कोकर।

'कोरोना महामारी ने बाबा को अपने भक्तों से दूर कर दिया है। सात सालों से बाबा को कांवर चढ़ा रहा हूं। इस साल मंदिर में जल तक नहीं चढ़ा सका। मन अजीब सा बेचैन हो रहा है। हमलोग सावन शुरू होने के एक सप्ताह पहले से बोल बम जाने की बातें शुरू कर देते थे। इस बार घर से बाबा को याद कर रहा हूं।' -मुकेश, अयोध्यापुरी।

'हमारा आठ से दस लोगों का ग्रुप था। हमलोग पैदल यात्रा करते थे। इसके लिए दस दिन पहले से सभी सुबह टोली में खाली पैर चलने के लिए प्रैक्टिस करते थे। एक साथ बोलबम के लिए कपड़ा और सामान लेते थे। इस बार मन सूना लग रहा है। अब बस बाबा कृपा करें और कोरोना का अंत हो शिव के दर्शन को पहुंच जाएंगे।' -सूरज वर्मा, लालपुर।

'हमारे पिता भी कांवर लेकर जाते थे। इसके बाद मैं जा रहा हूं। देवघर में कांवर चढ़ाना मेरे घर की परंपरा में शामिल हो गया है। इस बार तो लग ही नहीं रहा कि सावन आया है। बिना कांवर के कैसा सावन। साल के अंत तक अगर कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण हो सका तो परिवार के साथ ट्रेन से जाकर पूजा करूंगा।' -रमेश गुप्ता, बुटी मोड़।

मंदिरों की विशेष सफाई करेगी समिति

प्रति साल सावन में अमरनाथ यात्रा समिति व श्रीराम भरत मिलाप समिति कांवरियों की सेवा करते रही है। देवघर अथवा अमरनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को हर संभव मदद करता है। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण देवघर में बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना बंद है।

ऐसे में समिति बाबा के नाम पर राजधानी के मंदिरों की विशेष साफ-सफाई करेगा। समिति के अध्यक्ष अध्यक्ष रोहित शारदा ने बताया कि पिछली बार जो कांवरिया पहाड़ी मंदिर एवं आमेश्वरधाम जल लेकर पैदल जाते थे, उनके लिए सेवा शिविर का आयोजन कर चाय और मेडिकल फैसिलिटी देते थे। ऐसे में इस बार हमलोगों ने तय किया है कि महादेव के नाम पर आसपास के मंदिरों की साफ-सफाई करेंगे। साथ ही, आर्थिक कारण जिस मंदिरों में पूजा अर्चना में परेशानी हो रही वहां आर्थिक मदद की जाएगी।


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