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आत्मनिर्भर झारखंड : फूलगोभी की खेती से बदलेगी तस्वीर, किसान बनेंगे आत्मनिर्भर

राची और आसपास के इलाकों में मौसम इतना बढि़या है कि फूलगोभी जैसी फसल की खेती आपको आत्मनिर्भर बना सकती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 02:39 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 02:39 AM (IST)
आत्मनिर्भर झारखंड : फूलगोभी की खेती से बदलेगी तस्वीर, किसान बनेंगे आत्मनिर्भर
आत्मनिर्भर झारखंड : फूलगोभी की खेती से बदलेगी तस्वीर, किसान बनेंगे आत्मनिर्भर

जागरण संवाददाता, राची : राची और आसपास के इलाकों में मौसम इतना बढि़या है कि फूलगोभी जैसी मौसमी फसल भी यहा सालों भर उपजायी जा सकती है। गोभी ऐसी फसल है जो किसानों को कम मेहनत और देखभाल में ज्यादा मुनाफा दिलाने में सक्षम है। पिछले कुछ सालों में देश के हर हिस्सों में गोभी की माग सालों भर बनी रहती है। इसे सब्जी के साथ सूप और आचार के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसकी बड़ी मात्रा में इंडस्ट्रीयल खरीद भी की जाती है। मार्च के बाद जब देश के बाकि हिस्सों में फूलगोभी निकलनी बंद हो जाती है, तो राची के किसान इसकी बेहतर उपज कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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दूसरे राज्यों में भेजी जाती है फूलगोभी

ओडिशा, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश।

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बड़े एरिया में होती है फूलगोभी की खेती

बड़ी संख्या में राची के किसान फूलगोभी की खेती करते हैं। इसमें से ज्यादातर किसान पारंपरिक मौसम सितंबर से मार्च तक इस फसल का लाभ खेतों में लेते हैं। मगर पिछले कुछ सालों में संशाधनों और तकनीक के विकास के साथ कुछ प्रगतिशील किसान अगाती और बेमौसमी फूलगोभी भी उपजा रहे हैं।

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दोमट और भुरभुरी मिट्टंी में अच्छी होती है पैदावार

फूलगोभी की खेती में जैविक पदार्थ से भरपूर अच्छे जल निकास वाली दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी, मिट्टी का हल्का एवं भूरभूरा होना उत्तम होता है। पीएच मान 5.5 से 6.8 वाले मिट्टी खेती के लिए उपयुक्त होता है। अधिक अम्लीयता वाली मिट्टी में चूना या डोलोमाइट का प्रयोग आवश्यक है।

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किसानों को नई तकनीक भी जानने की जरूरत

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के उद्यान विभाग के अध्यक्ष डॉ केके झा बताते हैं कि फूलगोभी अच्छी आमदनी देने वाली फसलों की श्रेणी में पहली पंक्ति में आती है। किसानों को बीएयू और आइसीएआर के द्वारा विकसित कृषि की नयी तकनीकों के बारे में कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर काम करना चाहिए।

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गर्मी में ये किस्म सबसे बेहतर

ग्रीष्मकालीन खेती में अर्ली कुआरी, अगात खेती में कुआरी, पूसा कतकी, पूसा दीपाली, अर्ली सिंथेटिक, मध्यकालीन खेती हेतु पूसा कतकी, पूसा दीपाली, पूसा हिम ज्योति, पंत शुभ्रा तथा पिछात खेती के लिए माघी, स्नो बॉल16, डानिया, पूसा स्नो बॉल, पूसा स्नो बॉल 1 तथा संकर किस्मों में हिमानी, स्वाती, अर्ली पूसा हाइब्रिड 1 किस्म की बीज सबसे बेहतर है।

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चरणबंध तरीके से खेतों में लगाए फूलगोभी

किसानों को ग्रीष्मकालीन खेती को फरवरी - मार्च एवं मार्च - अप्रैल, अगात खेती को जून- जुलाई एवं जुलाई - अगस्त, मध्यकालीन खेती को अगस्त - सितंबर और पिछात खेती को अक्टूबर-नवम्बर एवं नवम्बर दिसम्बर माह में बीज लगाना चाहिए। उन्नत किस्मों के लिए 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा संकर किस्मों के लिए 310 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है। उन्नत किस्मों को कतार से कतार 60 सेमी तथा पौधा से पौधा 30-45 सेमी पर बुवाई करते है। बुवाई से पहले खेत में 300 क्विंटल कम्पोस्ट करना चाहिए। उर्वरकों में 120 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फूर तथा 60 किलो पोटाश को डाला जा सकता है। उन्नत किस्मों से 20 टन तथा संकर किस्मों से 30 टन तक उपज मिलती है। जब राची और आसपास के इलाके में फूलगोभी की खेती सालो भर हो सकती है, तो किसान को पूरे प्रक्षेत्र में एक साल फसल लगाने के बजाय कुछ-कुछ अवधि पर लगाना चाहिए। इससे सालों भर फूलगोभी से उसकी आय होती रहेगी।

डॉ. आरएस कुरील, पूर्व कुलपति, बीएयू


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