कल्याण छात्रवृत्ति में 1.40 करोड़ का घपला, 308 विद्यार्थियों ने ले लिए दो बार पैसे; जानें पूरा मामला
रांची में जिला कल्याण विभाग में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति के नाम पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है और यह खुलासा पांच साल बाद हुआ है।
रांची, जेएनएन। जिला कल्याण विभाग में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति के नाम पर 1.40 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। मामला पांच वर्ष पुराना है, जिसका खुलासा हालिया जांच में हुआ है। जिला कल्याण विभाग ने इस गड़बड़ी को देखते हुए न सिर्फ उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया है, बल्कि कार्रवाई की अनुशंसा भी की है। प्रारंभिक जांच में पोस्ट मैट्रिक के 308 छात्रों के खाते में अतिरिक्त 1.40 करोड़ रुपये देने का मामला पकड़ में आया है। वित्तीय वर्ष 2014-15 की इस गड़बड़ी पर इतने दिनों तक विभाग की नजर नहीं पडऩा अपने आप में कई सवाल उठाता है। इस मामले में बैंकों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
पिछले दिनों कार्यपालक दंडाधिकारी नरेश रजक को विभाग का प्रभार मिलने के बाद कैशबुक व स्टेटमेंट मिलान के दौरान यह गड़बड़ी पकड़ में आई। जांच में यह बात भी सामने आई कि बिना कार्यालय आदेश के 308 छात्रों के खाते में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स द्वारा 1.40 करोड़ रुपये डाल दिए गए, जबकि छात्रों के खाते में आइसीआइसीआइ बैंक द्वारा कार्यालय आदेश से यह राशि पूर्व में ही जारी की जा चुकी थी। बताते चलें कि कल्याण विभाग के विभिन्न खाते 12 बैंकों में संचालित हैं।
बैंक हुआ सक्रिय, छात्रों से वसूल होगी राशि
पांच वर्ष पूर्व हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद अब संबंधित बैंक सक्रिय हो गया है। मामला सामने आने के बाद बैंक ने कल्याण विभाग पहुंचकर मामले की जानकारी ली। अब संबंधित राशि वसूल किए जाने की बात बैंक के अधिकारी कर रहे हैं। फिलहाल बैंक गड़बड़ी से जुड़े डाटा के जुगाड़ में जुटा हुआ है। बैंक इस मामले में अपने मुख्यालय के भी संपर्क में है तथा उच्चाधिकारियों की राय ले रहा है। हालांकि, छात्रों से राशि की रिकवरी बैंक के लिए टेढ़ी खीर होगी, यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
विभाग की लापरवाही आ रही सामने
1.40 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति की गड़बड़ी में विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। पांच वर्ष पूर्व के इस मामले में विभाग स्तर से बैंकों के स्टेटमेंट का मिलान तक नहीं करना कई सवाल खड़े करता है, जबकि हर वर्ष ऑडिट का प्रावधान है। लिहाजा, शक की सूई तत्कालीन विभागीय पदाधिकारियों पर भी जाती है।
गहनता से की जा रही है जांच: डीडब्ल्यूओ
प्रभारी जिला कल्याण पदाधिकारी (डीडब्ल्यूओ) नरेश रजक के अनुसार प्रारंभिक जांच में 1.40 करोड़ रुपये की राशि का दो बार भुगतान होने का मामला सामने आ रहा है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में यह राशि छात्रों के खाते में दोबारा भेजी गई, जबकि बैंक को कार्यालय से आदेश निर्गत नहीं किया गया था।