Move to Jagran APP

बनहरदी कोल ब्लाक ड्रिलिग मामले में दस्तावेज में घालमेल कर अफसरों ने किया घोटाला

रांची प्रदीप सिंह बनहरदी कोल ब्लाक में जियोलाजिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए ड्रिलिग के कार्य में राज्य विद्युत बोर्ड के अफसरों ने प्रशासनिक और वित्तीय नियमों की धज्जियां उड़ाई। पतरातू में ताप आधारित पावर प्लांट लगाने के लिए यह कोल ब्लाक भारत सरकार ने आवंटित किया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:07 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 10:41 PM (IST)
बनहरदी कोल ब्लाक ड्रिलिग मामले में दस्तावेज में घालमेल कर अफसरों ने किया घोटाला
बनहरदी कोल ब्लाक ड्रिलिग मामले में दस्तावेज में घालमेल कर अफसरों ने किया घोटाला

रांची, प्रदीप सिंह : बनहरदी कोल ब्लाक में जियोलाजिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए ड्रिलिग के कार्य में राज्य विद्युत बोर्ड के अफसरों ने प्रशासनिक और वित्तीय नियमों की धज्जियां उड़ाई। पतरातू में ताप आधारित पावर प्लांट लगाने के लिए यह कोल ब्लाक भारत सरकार ने आवंटित किया था। इसकी जियोलाजिकल रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश खनन एवं भूतत्व विभाग को दिया गया था। इसपर विद्युत बोर्ड के तत्कालीन सदस्य, उत्पादन ने साउथ वेस्ट पिनाकल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड और सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिग एंड फ्यूल रिसर्च के माध्यम से कार्य कराने का प्रस्ताव दिया।

loksabha election banner

सदस्य (उत्पादन) को एक करोड़ रुपये तक की योजना को स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार था, लेकिन बगैर प्रक्रिया, बोर्ड और सक्षम प्राधिकार के अनुमोदन के उन्होंने खान एवं भूतत्व विभाग की एजेंसी मेसर्स साउथ वेस्ट पिनाकल एक्सप्लोरेशन के पक्ष में उसकी शर्तों के मुताबिक ज्यादा दर पर कार्य को अनुमति प्रदान की। कार्य का आवंटन 14.27 करोड़ रुपये में हुआ। इसके अलावा सर्विस टैक्स का भी भुगतान किया गया। आश्चर्यजनक रूप से तमाम तथ्य छिपाकर बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए गए।

--------

घोटाले की पुष्टि, आवेदन के बाद भी केस नहीं :

ऊर्जा उत्पादन निगम की जांच में घोटाले की पुष्टि हुई और निगम ने 27 मार्च 2019 को केस दर्ज करने के लिए पत्र एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के पुलिस अधीक्षक को भेजा। इसमें उन अफसरों के नाम और कारगुजारी का भी सिलसिलेवार जिक्र है। इस आवेदन के बाद एसीबी ने ऊर्जा उत्पादन निगम को पत्र भेजकर कहा कि मुकदमा दर्ज करने के लिए विभागीय मंत्री की सहमति ली जाए। इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में है। निगम के एक वरीय अधिकारी के मुताबिक स्वतंत्र कंपनी होने के नाते इसकी आवश्यकता नहीं है, लेकिन अधिकारियों के दबाव में इससे जुड़ी फाइल पर अभी तक अनिर्णय की स्थिति है।

---------------

इस अधिकारी पर यह आरोप :

1. काजी मुहम्मद इसराइल : तदेन मुख्य अभियंता (परियोजना), फिलहाल सेवानिवृत्त।

- पत्र उन बातों को शामिल करते हुए जारी किया, जो बोर्ड द्वारा अनुमोदित नहीं थे। उनके द्वारा अनुमोदन की बात कहते हुए पत्र का प्रारूप बनवाया गया और तत्कालीन अध्यक्ष से अनुमोदन प्राप्त किया गया।

2. आरके सिंह : तत्कालीन अधीक्षण अभियंता फिलहाल सेवानिवृत्त।

- पत्र का प्रारूप अनुमोदन के लिए अग्रसारित किया, जबकि इन्हें आपत्ति दर्ज कराना चाहिए था।

3. गोविद यादव : तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, फिलहाल उप महाप्रबंधक।

- पत्र का प्रारूप बनाया और अनुमोदन के लिए उपस्थापित किया। इनकी टिप्पणी में बोर्ड का अनुमोदन न होने की चर्चा करते हुए निर्णय लेने का मंतव्य दिया गया है, लेकिन प्रारूप में बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त होने की बात जोड़ दी गई है, जो इनकी हस्तलिपि में प्रतीत होता है। इन्होंने तथ्यों को सक्षम स्तर पर उजागर नहीं किया।

4. सुधांशु कुमार : तदेन सदस्य, उत्पादन , फिलहाल सेवानिवृत्त।

- प्रारूप पत्र पर तदेन अध्यक्ष का अनुमोदन और मुख्य अभियंता (परियोजना) द्वारा निर्गत करने का आदेश प्राप्त किया।

5. एसएन वर्मा : तदेन अध्यक्ष, विद्युत बोर्ड।

- प्रारूप निर्गत करने पर अनुमोदन प्रदान किया।

-------------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.