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जल का संरक्षण करना हम सब की है जिम्मेदारी

पानी की समस्या गर्मियों में बढ़ जाती है। पूरे साल जल संचयन का विचार नहीं आता, गर्मी आते ही हम इस पर बहस करते हैं। जलसंचयन पूरे साल करना चाहिए, बारिश के पानी का संरक्षण आवश्यक हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Jul 2018 09:13 AM (IST)Updated: Sun, 08 Jul 2018 09:13 AM (IST)
जल का संरक्षण करना हम सब की है जिम्मेदारी

रांची : पानी की समस्या गर्मियों में बढ़ जाती है। यही वजह है कि जल संचयन की याद भी केवल गर्मियों में ही आती है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि जल संचयन का कार्य बारिश के मौसम में होना चाहिए जिससे आने वाले दिनों में हम पानी की उपलब्धता को ले कर आश्वस्त हो सके। लोगों में जल संचयन की भावना को समाहित करने और आने वाली पीढ़ी को इसके प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से दैनिक जागरण द्वारा जलदान अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत शनिवार को ऑक्सफोर्ड स्कूल में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पर्यावरणविद नितीश प्रियदर्शी वक्ता के रूप में उपस्थित हुए। उन्होने स्कूल के बच्चों और उनके अभिभावकों को वर्तमान में जल संचयन की आवश्यकता के बारे में बताया। वक्तव्य के दौरान उन्होने रांची के बारे में बताते हुए इसके भौगोलिक स्थिति का वर्णन किया। रांची अन्य शहरों से किस प्रकार अलग है इसपर भी विशेष चर्चा हुई। इस दौरान विद्यालय के प्राचार्य सूरज शर्मा और अन्य शिक्षक भी मौजूद थे। पानी खरीद कर पीना दयनीय

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पर्यावरणविद नितीश प्रियदर्शी ने कहा कि एक दौर था जब हम लोग सोचते थे कि पानी को खरीदने की नौबत आएगी। आज वो नौबत आ चुकी है जब हम सच में पानी खरीदकर पी रहे हैं। हजारों रुपये लगा कर आरओ से मिलने वाला पानी भी खरीदने के ही बराबर है। इस बात पर विचार जरूर होना चाहिए कि आखिर क्यों पानी जैसे प्राकृतिक द्रव को खरीदना पड़ रहा है। आज की स्थिति आगे आने वाले दिनों की भयावहता की ओर भी इशारा करती है। पौधरोपण है समस्या का निवारण

समस्या के बाद समाधान का जिक्र करते हुए प्रियदर्शी ने कहा कि वृक्ष का लगाना ही सबसे बेहतर निवारण है। पेड़ वर्षा को आकर्षित करते हैं और वर्षा से जलस्रोत बना रहता है। भूमि जल के रीचार्ज नहीं होने से पानी की समस्या बड़ी हो जाती है जिसके लिए आवश्यक है कि वृक्षों की संख्या अधिक हो। पेड़ लगाने के साथ यह भी जरूरी है कि वर्षा जल भूमि के अंदर जा सके। यदि मकान सड़क और आंगन पक्के हो तो भूमि जल रीचार्ज नहीं हो पाता है। लोगों को चाहिए कि वे अपने घर के सामने के स्थान को खुला छोड़ दें और पानी को जमीन तक जाने दें। सभ्यता की शुरुआत से विकास तक के लिए आवश्यक है पानी -

स्कूल के छात्रों को संबोधित करते हुए नितीश प्रियदर्शी ने कहा कि पानी किसी भी सभ्यता की शुरुआत से ले कर उसके विकास तक के लिए आवश्यक है। जब दुनिया में कुछ नहीं था तब हाइड्रोजन और हिलीयम से पानी बना। विज्ञान भी मानता है कि पानी से जीवों की उत्पत्ति हुई है और इंसान भी पानी की वजह से आया है। लेकिन, अपने उत्पत्ति के सबसे बड़े कारण का हम किस प्रकार संरक्षण करते हैं, यह एक विचार करने योग्य विषय है। पानी बचाना हमारा कर्तव्य

ऑक्सफोर्ड के प्राचार्य सूरज शर्मा ने कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए हमारे कार्यो पर चर्चा की। उन्होने कहा कि पानी बहुत जरूरी है और इसे बचाना हमारा कर्तव्य है लेकिन जाने अंजाने में हम कई गलतियां कर बैठते हैं। ब्रश करते हुए नल खुला छोड़ देना, नहाने हुए शावर में से पानी को बहने देते है, ऐसी ही छोटी-छोटी गलतियों की वजह से हम पानी बर्बाद करते हैं। लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है। बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि अगर माता-पिता से भी ऐसी गलती हो रही हो तो आप उन्हें ऐसा करने से रोकें। प्रतिक्रिया -

जलस्रोत को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। जबतक भूमि जल में बढ़ोत्तरी नहीं होती है, जल संचयन संभव नहीं है। इसके लिए हर किसी को प्रयास करना चाहिए।

शिव राम कच्छप, अभिभावक। पानी के जितने भी स्रोत हैं, उन्हें बचाना चाहिए। शहर के तालाब और डैम को बचाने के लिए सरकार कोशिश करे और अपने घर में हम सब पानी की बर्बादी को रोकें।

सोनी कुमारी, अभिभावक। पानी का जितना हो सके कम खर्च करें। अगर संभव हो तो एक बार इस्तेमाल किए गए पानी को दोबारा प्रयोग में लाएं। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए यह आवश्यक है। ममता रॉय, अभिभावक। पानी हम सबके जीवन में बेहद आवश्यक है। इसे बचाना भी उतना ही जरूरी है। पीने के पानी का सही प्रयोग करें। पानी को दोबारा प्रयोग में लाने पर ध्यान दें। - श्वेता रॉय, शिक्षिका। आसानी से मिल रहे पानी को हम व्यर्थ ना गवाएं। जब जरूरत ना हो तो नल को बंद रखें। वाटर रीयूज की पद्धति पर आगे बढ़ें। आज पानी बचाएं तो कल उपयोग के लिए मिलेगा।

: मानसी, छात्रा। नहाने के लिए शावर के जगह बाल्टी का प्रयोग करें। इससे पानी की बर्बादी कम होती है। ऐसे ही छोटे-छोटे कदम से हम जल सरंक्षण की ओर बढ़ सकते हैं।

निवेदिता, छात्रा। वर्षा जल को बचाने की ज्यादा जरूरत है। यदि भूजल स्तर सही रहेगा तो पीने के लिए भी पानी की कमी नहीं होगी। हम सबको इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

गंगाधर प्रसाद, छात्र। प्रतिदिन सुबह ब्रश करने से नहाने तक में इस बात का ध्यान दिया जाए कि पानी की बर्बादी ना हो। वर्षाजल का संचयन हो। लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है।

- गौरव नाग, छात्र।


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