संजीवनी जैसा है मनुष्य के जीवन में संस्कार
दैनिक जागरण की ओर से बिरसा हाईस्कूल में संस्कारशाला कार्यक्रम का हुआ आयोजन किया गया। प्राचार्य ने कहा कि संजीवनी जैसा है मनुष्य के जीवन में संस्कार जागरण संवादद
दैनिक जागरण की ओर से बिरसा हाईस्कूल में संस्कारशाला कार्यक्रम का हुआ आयोजन जागरण संवाददाता, रांची : संस्कार मनुष्य जीवन में संजीवनी के जैसा है। बिना इसके मनुष्य की कोई पूछ नहीं होती। हर सफल व्यक्ति के जीवन में संस्कार की विशेष भूमिका रहती है। ये ऐसा आभूषण है जो दिखता नहीं है मगर मनुष्य के जीवन का श्रृंगार है। ये बाते हर बच्चे को अभी से समझनी चाहिए। ये बातें बिरसा हाईस्कूल, गोंदा, कांके के प्रिंसिपल श्याम प्रसाद सिंह ने बच्चों में संस्कार के संचार के लिए दैनिक जागरण के द्वारा आयोजित कार्यक्रम संस्कारशाला में कही। उन्होंने बच्चों को समझाया कि कैसे आज अनजाने में हम अपने संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं।
कार्यक्रम में संस्कारशाला के वाद विवाद प्रतियोगिता में विजयी हुई डीएवी गांधीनगर की स्वरसाधना और श्रुति पाठक ने स्कूल के बच्चों के सामने संस्कार पर अपने अनुभव वयक्त किये। श्रुति पाठक ने बच्चों को बताया कि केवल माता-पिता को फादर डे और मदर डे पर गिफ्ट देना ही प्यार नहीं है। उनका सम्मान करना और उनकी बातों पर अमल करना चाहिए। इस संसार में भगवान के द्वारा सबसे श्रेष्ठ मनुष्यों को ही बनाया गया है। ऐसा इसलिए है क्योकि केवल मनुष्य के पास ही बुद्धि के साथ विवेक है। विवेक का अर्थ सही और गलत में अंतर करना। हमें अपने जीवन में केवल सही और गलत की परख होनी चाहिए। ये ही संस्कार हैं। हमें हमेशा सच और सही रास्ते पर ही चलना चाहिए।
संस्कार किसी बड़े चीजों में खोजने की जरूरत नहीं
वहीं कार्यक्रम में स्वरसाधना ने कहा कि हमें संस्कार किसी बड़े चीजों में खोजने की जरूरत नहीं है। हम अपने आसपास के लोगों से कैसे मिलते हैं कैसे बात करते हैं। ये भी संस्कार है। हम से अगर कोई गलती हो जाये और हम माफी मांगते है तो ये भी हमारे अच्छे संस्कार की निशानी है। अपनी भुल स्वीकार करना ही एक बड़ी बात है। हमें अपने बड़ों का सम्मान और अच्छी आदतों को अपने अंदर शामिल करना चाहिए।