झारखंड: बालिग बताकर कराई 130 लड़कियों की डिलीवरी, ऐसे हुआ खुलासा
मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी से संचालित 'निर्मल हृदय' से बच्चों की बिक्री का मामला उजागर होने के बाद हर दिन चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।
फहीम अख्तर, रांची। सेवा व त्याग की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी से संचालित 'निर्मल हृदय' से बच्चों की बिक्री का मामला उजागर होने के बाद हर दिन चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। अब सीडब्ल्यूसी (बाल कल्याण समिति) लापता बच्चों का पता लगाने के लिए उन अविवाहित माताओं की तलाश में हैं, जिनका निर्मल हृदय में प्रसव करवाया गया था। सीडब्ल्यूसी, जिला कल्याण अधिकारी और पुलिस की जांच में सामने आए तथ्यों के मुताबिक निर्मल हृदय की ओर से 130 गर्भवतियों की डिलीवरी 18 वर्ष से ऊपर आयु बताकर कराई गई है। ये डिलीवरी सदर अस्पताल, रिम्स और कुछ मिशनरीज अस्पताल में कराई गई हैं। रिकॉर्ड 2015 से 2018 तक का है। रिकॉर्ड जब्त रजिस्टरों में गोपनीय तरीके से दर्ज हैं। इस परिस्थिति में बालिग
गर्भवतियों द्वारा जने गए बच्चों की जानकारी सीडब्ल्यूसी को दिए जाने की अनिवार्यता समाप्त हो जाती है। इसका गलत फायदा उठाकर संबंधित बच्चों की बिक्री के संकेत मिल रहे हैं।
सीडब्ल्यूसी उन 280 बच्चों की भी तलाश कर रही है, जिनका कोई अता-पता नहीं मिल सका है। खुफिया विभाग ने निर्मल हृदय में रहीं गर्भवतियों द्वारा जने बच्चों की खरीद-फरोख्त के पीछे मानव तस्करी, धर्मांतरण सहित अन्य उद्देश्यों की ओर इशारे किए हैं। कई ऐसे बिक्री के मामले भी सामने आ रहे हैं, जिनमें विदेश में भी बच्चों को बेचा गया है। इन सभी पहलुओं की पुलिस जांच कर रही है।
2007 के बाद से खेल ने पकड़ा जोर
बच्चों की बिक्री के खेल ने 2007 के बाद तेजी पकड़ी। बताया जा रहा है कि आश्रम और संस्था की आड़ में बच्चों की बिक्री के खूब खेल हुए हैं। इसी कड़ी में 2015 में सीडब्ल्यूसी के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह और सदस्य मु. अफजल को बर्खास्त करा दिया गया था। इन दोनों अधिकारियों पर छेड़छाड़ का आरोप मढ़ कर सुनियोजित साजिश के तहत हटा दिया गया था। इसके बाद जहांआरा को प्रभारी अध्यक्ष बनाया गया था। इनके अध्यक्ष रहते हुए बच्चों की बिक्री से जुड़ कई मामले सामने आए हैं। पुलिस ने सभी फाइलों को खंगालना शुरू कर दिया है।
समाज कल्याण की टीम के निरीक्षण से हुआ था पर्दाफाश
निर्मल हृदय से बच्चों की बिक्री का मामला तब सामने आया जब जिला प्रशासन को बच्चों की बिक्री की सूचना मिली। इसके बाद समाज कल्याण विभाग और सीडब्ल्यूसी की टीम ने औचक निरीक्षण किया। औचक निरीक्षण में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी व्यवसायी सौरभ कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी प्रीति अग्रवाल के पास गुमला की नाबालिग पीड़िता द्वारा बच्चे को बेचने का मामला सामने आया। इसके बाद सीडब्ल्यूसी ने इस मामले का पर्दाफाश किया।