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गैस चेंबर पर खड़ा है सेल सिटी का अपार्टमेंट, एक चिगारी ला सकती है तबाही

पुंदाग सेल सिटी का गगनचुंबी अपार्टमेंट गैस चेंबर पर खड़ा है। लोग काफी परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 01:48 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:12 AM (IST)
गैस चेंबर पर खड़ा है सेल सिटी का अपार्टमेंट, एक चिगारी ला सकती है तबाही

नीलमणि चौधरी, रांची : पुंदाग सेल सिटी का गगनचुंबी अपार्टमेंट गैस चेंबर पर खड़ा है। एक चिगारी भी तबाही ला सकती है। अपार्टमेंट में रहने वालों की सुरक्षा को दरकिनार कर सेल सिटी के सभी ब्लॉक के बेसमेंट में एलपीजी गैस बैंक बनाया गया है। प्रत्येक बैंक में 25 लीटर के 10-12 सिलेंडर लगाए गए हैं। यहीं से प्रत्येक फ्लैट में पाइप लाइन के जरिये गैस की आपूर्ति की जाती है। मीटर के अनुरूप पैसे की वसूली की जाती है। सेल सिटी सोसायटी की ओर से कई बार कशिश डेवलपर को व्यवस्था ठीक करने को कहा गया, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हालात यह है कि गैस बैंक के समीप आग से बचाव को लेकर अग्निशमन यंत्र भी नहीं लगाया गया है। अगर गैस बैंक के आसपास आग लगी तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इस कारण हर वक्त खतरे की स्थिति बनी रहती है।

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अपार्टमेट में हैं एक हजार से अधिक परिवार

सेल सिटी का निर्माण कशिश डेवलपर्स द्वारा किया गया है। 2009 में इसका निर्माण आरंभ हुआ। 2013 के बाद से फ्लैट लोगों को हैंडओवर किया जाने लगा। सेल सिटी के 21 ब्लॉक में 1700 यूनिट है। फिलहाल एक हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं।

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हैरान हो जाएंगे आप..

कनेक्शन आवासीय, चार्ज कमर्शियल

सेल सिटी में झारखंड विद्युत बोर्ड नहीं बल्कि कशिश डेवलपर्स बिजली सप्लाई करता है। बिजली कनेक्शन लेने के लिए झारखंड विद्युत बोर्ड के बजाय कशिश यूटिलिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को आवेदन देना पड़ता है। मीटर भी कशिश यूटिलिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ही देता है। हैरान करने वाली बात यह है कि यहां बिजली का कनेक्शन तो आवासीय दिया जाता है, लेकिन चार्ज व्यावसायिक वसूला जाता है। एक यूनिट के छह रुपये लिए जाते हैं।

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खाता न बही जो डेवलपर्स कहे वही सही

सेल सिटी में खाता न बही जो डेवलपर्स कहे वही सही वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। नियम अनुसार मेंटेनेंस चार्ज अगर पांच हजार रुपये से ज्यादा होता है तभी जीएसटी लगता है। जबकि यहां का अपना ही नियम है। ब्लॉक निवासी सुनील कुमार के अनुसार उनका टू बीएचके का फ्लैट है। इसका मेंटेनेंस चार्ज 1141 सौ रुपये बनता है। 18 प्रतिशत जीएसटी भी जोड़ कर लिया जाता है।

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वादे बड़े-बड़े एक भी पूरे नहीं : सोसायटी के निवासियों का कहना है कि फ्लैट बेचने समय बड़े-बड़े वादे किए गए। लेकिन अधिकतर वादे सिर्फ कागज तक ही सिमट कर रहा गया। 2013 के बाद से लोगों को फ्लैट सौंपा गया, लेकिन नौ सालों में भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। न तो स्वीमिग पूल बने और न ही ऑडिटोरियम। खाली ग्राउंड पर भी पार्किग बनाया जा रहा है। बच्चों के खेलने के लिए प्ले ग्राउंड तक नहीं है। कोट

फ्लैट की बुकिग के समय डेवलपर्स द्वारा किए गए वायदे अधिकतर झूठे साबित हुए। बिना पर्याप्त सुविधा बेसमेंट में गैस बैंक लगाने के बजाय गैस की आपूर्ति गेल को देने के लिए कई बार लिखा गया है। इसके अलावा बाउंड्री वाल भी ठीक नहीं है। कई जगह से टूटे हुए हैं। आवारा कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है। एक ब्लॉक में करीब सौ से ऊपर फ्लैट हैं जबकि पार्किग महज 40 कार के लिए ही बनाया गया। जब लोगों ने इसकी शिकायत डेवलपर्स से की तो अब खाली स्थानों पर पार्किंग बनाया जा रहा है। यही स्थिति रही तो टहलने का भी जगह नहीं बचेगा। -अमर तिवारी, सेल सिटी सोसायटी अध्यक्ष

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इतने बड़े सेल सिटी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। अपार्टमेंट का गंदा पानी पास के नदी में बहता है। वहीं, जगह-जगह ड्रेनेज खुला है। अगर बच्चा इसमें गिरा तो जिदा बचना मुश्किल है। दूसरी ओर फ्लैट में रहने वाले सभी लोग नगर निगम को टैक्स देते हैं, लेकिन न तो पानी की सुविधा है और न ही साफ-सफाई की। सोसायटी अपने खर्च पर साफ-सफाई की व्यवस्था करता है।

प्रदीप कुमार केशरी, सचिव

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शून्य अंक (सेल सिटी में सुविधाओं पर)

स्वीमिंग पुल : 0

प्ले ग्राउंड : 0

ऑडिटोरियम : 0

ट्रीटमेट प्लांट : 0

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नहीं सुनते बात

-बाउंड्री वाल की जगह से टूटी है। नहीं हो रही मरम्मत।

-पार्किग को पर्याप्त जगह नहीं।

-अब खाली जगह पर बना रहे पार्किग। पहले बताया था जगह को खाली ही रखेंगे। यानी झांसा दिया गया।


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